लखनऊ: लोकसभा चुनाव के बीच इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) को लेकर बवाल तेज़ हो गया है। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है, जिसमें एक युवक बार-बार कमल निशान का बटन दबाता दिख रहा है और हर बार वोट दर्ज होने का दावा कर रहा है। अखिलेश ने इस वीडियो को “चुनावी धांधली का जीता-जागता सबूत” बताते हुए सीधे चुनाव आयोग को घेरा और 3 बड़े सवाल खड़े कर दिए।
जानें वीडियो में क्या है?
आपको बता दें कि वीडियो में एक युवक ईवीएम पर 5 बार भाजपा का चुनाव चिन्ह कमल दबाता है। फिर वह कैमरे पर अपना आधार कार्ड भी दिखाता है। इसके बाद कहता है कि - “मैं 5 वोट डाल चुका हूं, अब छठवां डालने जा रहा हूं।” अखिलेश ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा कि “चुनाव आयोग को चुनौती देता भाजपाई का ये वीडियो ही चुनावी धांधली का जीता-जागता एफिडेविट है। इसका जवाब CEC दें।”
अखिलेश यादव के 3 बड़े सवाल :
गौरतलब है कि चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले अखिलेश यादव ने X पर लगातार 3 पोस्ट किए
1. वीडियो वाला सवाल:
वायरल वीडियो पर उन्होंने पूछा कि कैसे एक व्यक्ति बार-बार कमल का बटन दबाकर वोट डाल सकता है? क्या यह तकनीकी गड़बड़ी है या जानबूझकर की गई सेटिंग?
2. 18 हज़ार एफिडेविट वाला सवाल :
विदित है कि अखिलेश ने ग्राफिक पोस्ट कर पूछा - “18 हजार एफिडेविट चुनाव आयोग को दिए गए। अब तक शून्य कार्रवाई क्यों?” आपको बता दें कि चुनाव आयोग के निर्णयों की समीक्षा के लिए एफिडेविट भरी जाती है।
3. संविधान और भरोसे का सवाल :
गौरतलब है कि अखिलेश बोले कि : “चुनाव आयोग अगर सही रास्ते पर चलेगा तो जनता उसका रक्षा कवच बन जाएगी। लेकिन अगर दबाव में झुकेगा तो लोकतंत्र का भविष्य खतरे में है।”
अखिलेश की चेतावनी भी:
गौरतलब है कि अखिलेश ने कहा कि : “लोकतंत्र को बचाने की ऐतिहासिक जिम्मेदारी चुनाव आयोग पर है। सिर्फ सुधार नहीं, बल्कि आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है।” “एक सही और साहसिक कदम करोड़ों भारतवासियों के भविष्य को सुरक्षित कर सकता है।”
चुनाव आयोग भी सक्रिय :
विदित है कि इस पूरे विवाद के बीच चुनाव आयोग ने भी रविवार को 3 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला ली है। माना जा रहा है कि आयोग अखिलेश यादव के आरोपों और वायरल वीडियो पर अपना पक्ष रखेगा।
EVM को लेकर सवाल पहले भी उठते रहे हैं, लेकिन अब एक बड़े दल के प्रमुख ने ‘लाइव वीडियो सबूत’ दिखाकर चुनाव आयोग को खुली चुनौती दे दी है। अब देखना यह है कि चुनाव आयोग इस पर क्या कदम उठाता है और क्या जनता का भरोसा बचा पाता है या नहीं।