नई दिल्ली : मरीजों और उनके परिवारों के लिए बड़ी खुशखबरी है। केंद्र सरकार ने महंगी होती जा रही दवाइयों की कीमतों पर लगाम कसते हुए 42 अहम दवाओं की खुदरा कीमत तय कर दी है। इस कदम से उन लाखों मरीजों को सीधी राहत मिलेगी, जो अब तक मनमानी कीमतों पर दवाएं खरीदने को मजबूर थे।
किन दवाओं पर असर?
आपको बता दें कि सरकार के फैसले के तहत जो दवाएं सस्ती हुई हैं, उनमें कई जीवन रक्षक और जरूरी दवाएं शामिल हैं। जिनमें मुख्यतः निम्नलिखित दवाएँ है।
● मेरोपेनम और सुलबैक्टम इंजेक्शन - बैक्टीरियल इंफेक्शन और गंभीर मामलों में इस्तेमाल - इसकी नई कीमत ₹1,938.59 प्रति शी-शी।
● माइकोफेनोलेट मोफेटिल टैबलेट - अंग प्रत्यारोपण के बाद ऑर्गन रिजेक्शन रोकने के लिए – ₹131.58 प्रति टैबलेट।
● क्लैरिथ्रोमाइसिन एक्सटेंडेड-रिलीज टैबलेट - एबॉट हेल्थकेयर की बैक्टीरियल संक्रमण की दवा – ₹71.71 प्रति टैबलेट।
यानी अब वही दवाएं जो पहले कई गुना महंगी मिल रही थीं, तय कीमतों पर उपलब्ध होंगी।
सरकार ने यह कदम क्यों उठाया?
विदित है कि पिछले कई महीनों से शिकायतें आ रही थीं कि फार्मेसी और अस्पताल इन दवाओं को निर्धारित दाम से कई गुना महंगी बेच रहे हैं। NPPA ने आदेश दिया है कि हर निर्माता, डीलर और रिटेलर को नई कीमतें सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करनी होंगी। दुकानों, अस्पतालों और क्लीनिकों में यह लिस्ट ऐसी जगह लगाई जाएगी जहां आम लोग आसानी से देख सकें। इसका मकसद है पारदर्शिता और अनुचित मुनाफाखोरी पर रोक लगाना।
मरीजों और परिवारों को क्या फायदा?
आपको बता दें कि मरीजों और उसके परिवार को निम्नलिखित फायदे मिलेंगें।
आर्थिक राहत – अब मरीजों को दवाएं सस्ती दरों पर मिलेंगी।
अनुचित वसूली पर रोक – फार्मेसी मालिक या अस्पताल मनमाने दाम नहीं वसूल पाएंगे।
पारदर्शिता – तय कीमत सामने चस्पा होगी, जिससे मरीज खुद चेक कर पाएगा।
लाखों मरीजों को सीधा लाभ – खासकर वे लोग जो लंबे समय तक दवाएं लेने को मजबूर हैं।
क्या है विशेषज्ञों की राय :
आपको बता दें कि स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार का यह कदम क्रांतिकारी है। पहली बार महंगी और जीवन-रक्षक दवाओं की कीमतों को नियंत्रित किया गया है। भारत मे ऑर्गन ट्रांसप्लांट, गंभीर इंफेक्शन और अन्य बीमारियों का खर्च पहले से ही बहुत ज्यादा है। दवाओं की ऊंची मूल्य मरीजों के लिए बड़ी समस्या बन रही थीं। ऐसे में सरकार का यह कदम सीधे तौर पर गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत देगा।
अब मरीजों को जेब ढीली करके दवा खरीदने की मजबूरी से छुटकारा मिलेगा। सरकार का यह कदम महंगी सेहत को सस्ती करने की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है।