स्वास्थ्य: हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) आधुनिक जीवनशैली की सबसे गंभीर बीमारियों में गिना जाता है। इसे “साइलेंट किलर” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह बिना किसी लक्षण के धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। लंबे समय तक अनियंत्रित रहने पर यह बीमारी दिल का दौरा, स्ट्रोक और किडनी फेल्योर जैसी स्थितियों तक ले जा सकती है।
कैसे होता है नुकसान?
जब रक्त का दबाव सामान्य सीमा (120/80 mmHg) से लगातार ऊपर रहता है तो धमनियों पर दबाव बढ़ जाता है। हर 20 mmHg सिस्टोलिक या 10 mmHg डायस्टोलिक वृद्धि से दिल और स्ट्रोक से मौत का खतरा लगभग दोगुना हो जाता है। उच्च दबाव से धमनियां कठोर हो जाती हैं और रक्त प्रवाह बाधित होता है, जिससे हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। यही बोझ आगे चलकर गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।
दिल पर सबसे गहरी चोट
हाई ब्लड प्रेशर धमनियों में वसा और कोलेस्ट्रॉल के जमाव को तेज़ करता है। परिणामस्वरूप कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ की आशंका बढ़ जाती है। जब हृदय को पर्याप्त रक्त और ऑक्सीजन नहीं मिलते, तो हार्ट अटैक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। लंबे समय तक अनियंत्रित दबाव रहने पर हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं और हृदय विफलता (Heart Failure) की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
मस्तिष्क और किडनी पर भी असर
हाई बीपी का असर केवल दिल तक सीमित नहीं है। मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं पर दबाव बढ़ने से स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। वहीं किडनी की धमनियां कमजोर पड़ने से शरीर का तरल और नमक संतुलन बिगड़ जाता है, जो अंततः किडनी फेल्योर का कारण बन सकता है।
कितनी तेज़ी से बढ़ता है खतरा?
विशेषज्ञों के अनुसार, लंबे समय तक हाई ब्लड प्रेशर झेलने वाले लोगों में 15 से 20 वर्षों में स्ट्रोक का जोखिम 70 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। यदि ब्लड प्रेशर अचानक 180/120 mmHg या उससे ऊपर चला जाए, तो इसे “हाइपरटेंसिव क्राइसिस” कहा जाता है। यह स्थिति तुरंत हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कारण बन सकती है।
बचाव ही है सबसे बड़ा इलाज
हाई ब्लड प्रेशर से बचाव और नियंत्रण पूरी तरह संभव है, यदि समय रहते जीवनशैली में बदलाव किए जाएँ।
आहार पर नियंत्रण: भोजन में नमक की मात्रा घटाएँ, ताजे फल-सब्जियाँ और साबुत अनाज लें।
नियमित व्यायाम: रोज़ाना 30 मिनट पैदल चलें, योग या हल्की कसरत करें।
तनाव प्रबंधन: ध्यान, प्राणायाम और पर्याप्त नींद को दिनचर्या में शामिल करें।
नशे से परहेज़: धूम्रपान और शराब से दूरी बनाएँ।
नियमित जांच: ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल की समय-समय पर जांच कराते रहें और डॉक्टर की दवाइयाँ समय पर लें।
हाई ब्लड प्रेशर को हल्के में लेना खतरनाक भूल हो सकती है। यह बीमारी धीरे-धीरे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित करती है और जीवन को जोखिम में डाल देती है। लेकिन सही समय पर पहचान, नियमित जांच और जीवनशैली में छोटे-छोटे बदलाव करके इसे पूरी तरह नियंत्रित किया जा सकता है। सच यह है कि हाइपरटेंशन को समझकर और समय रहते सावधानी अपनाकर हम अपने दिल, दिमाग़ और जीवन — तीनों को सुरक्षित रख सकते हैं।