आइए जानें क्यों मनाते हैं विश्व टीकाकरण दिवस!: पहली वैक्सीन की रोमांचक कहानी; चेचक से शुरू हुआ था सफर और आज...साथ ही जानें टीकाकरण का महत्व भी
आइए जानें क्यों मनाते हैं विश्व टीकाकरण दिवस!

World Immunization Day 2025: हर साल 10 नवंबर को विश्व टीकाकरण दिवस (World Immunization Day) मनाया जाता है। यह दिन हमें यह याद दिलाने के लिए मनाया जाता है कि एक छोटी सी वैक्सीन की खुराक इंसान की पूरी जिंदगी बदल सकती है।

टीकाकरण वह अद्भुत खोज है जिसने मानव सभ्यता को चेचक, पोलियो, डिप्थीरिया और कई घातक बीमारियों से मुक्त किया। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार “हर साल लगभग 40 लाख लोगों की जान केवल टीकाकरण से बचाई जाती है।”

World Immunization Day क्यों मनाया जाता है?

इस दिन का उद्देश्य है-

  • लोगों को वैक्सीन की उपयोगिता के बारे में जागरूक करना।
  • माता-पिता को बच्चों के समय पर टीकाकरण के लिए प्रेरित करना।
  • सरकारों और स्वास्थ्य संस्थाओं को बेहतर टीकाकरण कवरेज सुनिश्चित करने के लिए प्रोत्साहित करना।

टीकाकरण ने दुनिया भर में “Preventable Diseases” (रोकथाम योग्य बीमारियों) से मरने वाले बच्चों की संख्या को 90% तक घटाया है। इसी कारण WHO, UNICEF और भारत सरकार मिलकर हर वर्ष इस दिन बड़े स्तर पर जागरूकता अभियान चलाते हैं।

इतिहास: पहली वैक्सीन कैसे बनी?

टीकाकरण का इतिहास 1796 से शुरू होता है, जब इंग्लैंड के डॉक्टर एडवर्ड जेनर (Edward Jenner) ने दुनिया की पहली वैक्सीन बनाई।

उन्होंने देखा कि जो महिलाएं गायों का दूध दुहती थीं, उन्हें Cowpox नामक हल्की बीमारी होती थी, लेकिन वे कभी Smallpox (चेचक) से संक्रमित नहीं होती थीं। उन्होंने अनुमान लगाया कि Cowpox इंसान को Smallpox से बचा सकता है।

जेनर ने एक बच्चे जेम्स फिप्स पर Cowpox का सैंपल लगाकर प्रयोग किया कुछ हफ्तों बाद जब बच्चे को Smallpox के वायरस के संपर्क में लाया गया, तो वह संक्रमित नहीं हुआ।

यही वह क्षण था जिसने मेडिकल साइंस की दिशा बदल दी। ‘Vaccine’ शब्द भी Latin शब्द “Vacca” (गाय) से लिया गया है जो जेनर के प्रयोग से जुड़ा है।

वैक्सीन ने दुनिया को कैसे बदला?

जेनर की खोज के बाद दुनिया में वैक्सीन की श्रृंखला शुरू हुई Polio, Diphtheria, Measles, Hepatitis, Tetanus, COVID-19 जैसी बीमारियों के खिलाफ टीके बनाए गए।

WHO की 2024 रिपोर्ट बताती है कि दुनिया के 95% देशों में नियमित वैक्सीनेशन प्रोग्राम चल रहे हैं। Smallpox पूरी तरह खत्म हो चुका है। Polio का उन्मूलन लगभग हर देश में हो चुका है, Measles (खसरा) और Rubella (रूबेला) को खत्म करने के लिए 2030 तक का वैश्विक लक्ष्य तय किया गया है।

भारत में वैक्सीन अभियान की कहानी:

भारत का “Universal Immunization Programme (UIP)” 1985 में शुरू हुआ था। आज यह दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान है।

भारत में हर बच्चे को जन्म से लेकर किशोरावस्था तक 12 से अधिक टीके मुफ्त लगाए जाते हैं। इन टीकों में शामिल हैं- BCG, Polio, DPT, Hepatitis-B, Hib, Measles, Rubella, Rotavirus, Japanese Encephalitis, TD और HPV (लड़कियों के लिए)।

भारत की उपलब्धियाँ

2014: भारत को WHO ने “Polio-Free Country” घोषित किया।
2020: Mission Indradhanush लॉन्च हुआ ताकि कोई बच्चा छूट न जाए।
2023: भारत ने HPV वैक्सीन को भी राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया।
2024: भारत की वैक्सीनेशन कवरेज दर 93% तक पहुंची।

सरकार की नई पहलें

मिशन इंद्रधनुष 5.0– छूटे हुए बच्चों तक वैक्सीन पहुंचाने की योजना।
 U-WIN Portal– डिजिटल टीकाकरण रजिस्ट्रेशन और SMS Reminder System।
टीका उत्सव अभियान– ग्रामीण इलाकों में जनजागरूकता के लिए।

बच्चों के लिए उम्र अनुसार जरूरी टीके

जन्म के समय:

  • BCG (टीबी से बचाव)

  • Hepatitis-B

  • Oral Polio Vaccine (OPV-0)

6 सप्ताह:

  • DPT-1, Hep-B (2nd dose), Hib-1, Rotavirus

10–14 सप्ताह:

  • DPT-2, DPT-3, OPV-2, OPV-3, Hib, Rotavirus

9 महीने:

  • MR-1 (खसरा-रूबेला), JE-1

16–24 महीने:

  • DPT Booster-1, OPV Booster, MR-2, JE-2

5–6 साल:

  • DT Booster-2, OPV Booster

10–16 साल:

  • TD Booster, HPV (लड़कियों के लिए)

वैक्सीन कैसे काम करती है?

वैक्सीन शरीर के इम्यून सिस्टम को वायरस के कमजोर रूप से परिचित कराती है। यह Antibody बनाती है जो असली संक्रमण होने पर तुरंत शरीर की रक्षा करती है। इसे ही Immunological Memory कहा जाता है यानी शरीर को दुश्मन की पहचान याद रहती है।

विशेषज्ञों की राय:

“टीके सिर्फ बच्चों की जान नहीं बचाते, बल्कि समाज को महामारी से रोकने की दीवार बनाते हैं,”कहती हैं AIIMS दिल्ली की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज शर्मा।

भारत में पोलियो का उन्मूलन टीकाकरण की सबसे बड़ी सफलता की कहानी है।

वैक्सीन को लेकर मिथक और सच्चाई:

मिथक: “वैक्सीन से बच्चा बीमार हो सकता है।”
सच: हल्का बुखार सामान्य है, यह शरीर में एंटीबॉडी बनने का संकेत है।

मिथक: “अगर बीमारी खत्म हो गई, तो टीका जरूरी नहीं।”
सच: बीमारियाँ तभी खत्म रहती हैं जब हर व्यक्ति टीका लगवाता है।

मिथक: “सरकारी टीके अच्छे नहीं होते।”
सच: सरकारी अस्पतालों में दिए जाने वाले टीके WHO मानक पर आधारित और पूरी तरह सुरक्षित हैं।

WHO और UNICEF की रिपोर्ट 2024:

•भारत में बच्चों की टीकाकरण कवरेज 93% तक पहुंची।
•दुनिया भर में हर साल 5 करोड़ से अधिक बच्चों की जान वैक्सीन से बचाई जाती है।
•अफ्रीका और एशिया के कुछ देशों में अभी भी 15% बच्चे वैक्सीन से वंचित हैं।

प्रेरणादायक कहानी

उत्तर प्रदेश के बांदा की आशा वर्कर मीरा देवी कहती हैं, पहले गांव की मांएं डरती थीं, अब वे खुद पूछती हैं, अगला टीका कब लगेगा? यह बदलाव जागरूकता की सबसे बड़ी जीत है।

कोविड-19 ने क्या सिखाया?

COVID-19 महामारी ने दिखाया कि टीकाकरण कितना महत्वपूर्ण है। भारत ने Covaxin और Covishield जैसी वैक्सीन बनाकर न केवल अपने नागरिकों को सुरक्षित किया, बल्कि Vaccine Maitri Mission के तहत 100 से अधिक देशों को वैक्सीन भेजी।

World Immunization Day का संदेश:

“एक छोटी सुई, एक बड़ा बदलाव, यही टीकाकरण का जादू है।”

“हर बच्चे तक वैक्सीन पहुंचाना सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, बल्कि मानवता का धर्म है।”

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