ओला-उबर में महिलाओं के लिए, केंद्र सरकार ने जारी की गाइडलाइन!: महिलाएं चुन सकेंगी महिला ड्राइवर, अब बुकिंग में जेंडर चॉइस देना हुआ अनिवार्य वहीं टिप...जानें होने वाले बदलाव और फायदे?
ओला-उबर में महिलाओं के लिए, केंद्र सरकार ने जारी की गाइडलाइन!

नई दिल्ली : देश में कैब राइड्स की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों के बीच केंद्र सरकार ने ऐसा फैसला लिया है, जिसने पूरे ऐप-आधारित ट्रांसपोर्ट सेक्टर में हलचल मचा दी है। Ola, Uber और Rapido अब यात्रियों को SAME GENDER ड्राइवर चुनने का ऑप्शन देंगे। यानी महिला यात्रियां चाहें तो महिला ड्राइवर ही चुन सकेंगी और यह फीचर अब ऐप्स के लिए अनिवार्य होगा।
सरकार ने Motor Vehicle Aggregators Guidelines, 2025 में बड़ा बदलाव किया है और राज्यों को तुरंत इसे लागू करने के आदेश दे दिए हैं। यह फैसला महिलाओं की सुरक्षा की दिशा में सबसे बड़े कदमों में गिना जा रहा है।

जानें क्या है नई गाइडलाइन? क्या बदलेगा देश की कैब सर्विस का भविष्य?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार ने गाइडलाइंस के बदलाव के तहत अब महिलाओं को महिला ड्राइवर चुन सकने की आजादी होगी। अब राइड बुक करते समय जेंडर चॉइस फीचर जरूरी होगा।

महिला यात्री → महिला ड्राइवर
पुरुष यात्री → पुरुष ड्राइवर
ट्रांसजेंडर → ट्रांसजेंडर ड्राइवर

यह फीचर टैब में अनिवार्य रूप से दिखेगा, जिससे यौन उत्पीड़न और असुरक्षा के मामलों पर बड़ी रोक लग सकती है।

कब लागू होगा यह नया नियम?

गौरतलब है कि सरकार ने इससे जुड़ा नोटिफिकेशन जारी कर दिया है, लेकिन कोई FIX तारीख नहीं बताई गई। 2025 की पहले जारी गाइडलाइंस में राज्यों को 3 महीने दिए गए थे। उम्मीद है इस नियम को भी लागू करने के लिए राज्यों को इतना ही समय मिलेगा मतलब यह फीचर किसी भी समय लागू हो सकता है, लेकिन राज्यों पर निर्भर करेगा कि वे कितनी तेजी से इसे लागू करते हैं।

कैसे काम करेगा जेंडर चॉइस फीचर?

विदित है कि यह फीचर केंद्र की गाइडलाइन में अनिवार्य है। राज्य इसे अपने-अपने लाइसेंसिंग नियमों में शामिल करेंगे। इसके बाद:

●Ola-Uber अपने ऐप्स को अपडेट करेंगे

●राइड बुक करते समय जेंडर फिल्टर दिखाई देगा

●एग्रीगेटर्स को यह फीचर लगाना पड़ेगा, नहीं तो उनका लाइसेंस रद्द भी हो सकता है

सबसे बड़ी चुनौती; देश में सिर्फ 5% महिला ड्राइवर :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार देश में अभी कुल कैब ड्राइवर्स में महिला ड्राइवर सिर्फ 5% से भी कम है। रात के समय राइड में महिला ड्राइवर की उपलब्धता बेहद कम है। जेंडर चॉइस फीचर ऑन-डिमांड कैब मॉडल में देरी और वेटिंग टाइम बढ़ा सकता है। यानी नियम तो लागू होगा, लेकिन ग्राउंड लेवल पर इसकी चुनौती बहुत बड़ी है।

ड्राइवरों के लिए बड़ी राहत; टिप का 100% पैसा ड्राइवर को मिलेगा :

सरकार ने टिपिंग को लेकर भी बड़ा फैसला किया है। अब टिप सिर्फ ट्रिप खत्म होने के बाद दी जा सकेगी। किसी भी कंपनी को टिप पर कमीशन लेने की इजाजत नहीं होगी। यात्रियों को किसी तरह से मजबूर करने या छुपे तरीके से टिप दिखाने पर रोक रहेगी। मतलब जितना टिप देंगे, वो 100% सीधा ड्राइवर के अकाउंट में जाएगा।

क्यों लिया गया यह फैसला?

गौरतलब है कि देश में ओला-उबर की राइड्स के दौरान शिकायतें, उत्पीड़न, धमकी और असुरक्षा के मामले तेजी से बढ़े हैं, खासकर महिलाओं के साथ। इसलिए सरकार अब एग्रीगेटर्स को कड़े नियमों के दायरे में ला रही है।

क्या महिलाओं की सुरक्षा बढ़ेगी या यह सिर्फ एक कागजी सुधार है?

विदित है कि अब सवाल बड़ा है कि जब महिला ड्राइवर ही कम हैं, तो जेंडर चॉइस फीचर कितने लोगों को मिलेगा?
रात की राइड में क्या इसका विकल्प वास्तव में काम करेगा?
प्लेटफॉर्म्स महिला ड्राइवर्स की संख्या कैसे बढ़ाएंगे?

फिलहाल, यह कदम सुरक्षा, पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में ऐतिहासिक माना जा रहा है, लेकिन इसका असली असर महिला ड्राइवरों की बढ़ती संख्या पर निर्भर करेगा।

ओला-उबर में जेंडर चॉइस ऑप्शन महिलाओं की सुरक्षा के लिए बड़ा कदम साबित होगा। इससे ऐप का पूरा सिस्टम बदलेगा। साथ ही ड्राइवर्स को 100% टिप मिलेगी। राज्यों पर इसे तेजी से लागू करने की जिम्मेदारी होगी। लेकिन महिला ड्राइवरों की कमी भविष्य की सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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