क्या लिवर ट्रांसप्लांट सच में बचा सकता हैं जिंदगी_एक नज़र!: जानें कैसे होता हैं लिवर ट्रांसप्लांट व कब और क्यों पड़ती हैं सर्जरी की जरूरत?
क्या लिवर ट्रांसप्लांट सच में बचा सकता हैं जिंदगी_एक नज़र!

स्वास्थ्य: भारत में लिवर रोग अब ‘साइलेंट किलर’ बन चुका है। हर साल हजारों लोग लिवर फेल्योर की वजह से अपनी जिंदगी गंवा रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि समय रहते किया गया लिवर ट्रांसप्लांट किसी की जिंदगी को नई शुरुआत दे सकता है? आइए समझते हैं इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से कब जरूरत पड़ती है, कैसे होता है और क्या सावधानियां रखनी जरूरी हैं।

लिवर क्यों है इतना जरूरी?

लिवर शरीर का सबसे बड़ा और सबसे सक्रिय अंग है। यह शरीर में 500 से अधिक कार्य करता है भोजन को ऊर्जा में बदलना, विषैले तत्वों को बाहर निकालना, पित्त का निर्माण, खून को शुद्ध करना, और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को संतुलित रखना। अगर यह अंग खराब हो जाए, तो पूरा शरीर धीरे-धीरे थमने लगता है।

कब पड़ती है लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत?

लिवर ट्रांसप्लांट तब किया जाता है जब लिवर अपनी 80–90% कार्यक्षमता खो देता है जिसे “एंड स्टेज लिवर डिज़ीज” कहा जाता है।

मुख्य कारण हैं:

हेपेटाइटिस B या C संक्रमण- जिससे लिवर में स्थायी सूजन हो जाती है।

अत्यधिक शराब सेवन- लगातार शराब पीने से सिरोसिस हो सकता है।

फैटी लिवर डिज़ीज (NAFLD)- मोटापा और असंतुलित खानपान के कारण। आनुवंशिक बीमारियाँ जैसे विल्सन डिज़ीज या हेमोक्रोमैटोसिस।

तीव्र लिवर विफलता जब अचानक लिवर का काम बंद हो जाए। अगर किसी व्यक्ति को लगातार पीलिया, पेट में पानी भरना, कमजोरी, भूख न लगना, या खून का जमना कम जैसे लक्षण दिखें तो यह चेतावनी है कि लिवर बुरी तरह प्रभावित हो चुका है।

लिवर ट्रांसप्लांट कैसे होता है?

यह एक जटिल लेकिन जीवनरक्षक सर्जरी होती है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर मरीज के खराब लिवर को निकालकर दाता के स्वस्थ लिवर (या उसके हिस्से) को शरीर में जोड़ देते हैं। ट्रांसप्लांट के दो प्रकार होते हैं:

1️⃣ मृत दाता (Deceased Donor Transplant):

जब किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका लिवर उपयुक्त हालत में होता है, तो उसे किसी जरूरतमंद को लगाया जाता है।

2️⃣ जीवित दाता (Living Donor Transplant):

जब कोई स्वस्थ व्यक्ति अक्सर परिवार का सदस्य अपने लिवर का एक हिस्सा दान करता है। लिवर का यह हिस्सा कुछ महीनों में दोनों के शरीर में दोबारा पूरा विकसित हो जाता है। सर्जरी आमतौर पर 8 से 12 घंटे तक चलती है और इसके बाद मरीज को ICU में निगरानी में रखा जाता है।

ऑपरेशन के बाद की देखभाल:

लिवर ट्रांसप्लांट के बाद मरीज को आजीवन कुछ दवाइयाँ (Immunosuppressants) लेनी पड़ती हैं, ताकि शरीर नया लिवर अस्वीकार न करे। साथ ही नियमित चेकअप ज़रूरी हैं। संक्रमण से बचाव करना होता है। शराब और धूम्रपान से पूरी तरह दूरी रखनी चाहिए। हल्का व्यायाम, योग और संतुलित आहार से शरीर जल्दी रिकवर करता है।

खर्च और सरकारी सहायता योजनाएँ

भारत में लिवर ट्रांसप्लांट का खर्च ₹20 लाख से ₹35 लाख तक होता है।हालांकि कुछ सरकारी योजनाएँ जैसे आयुष्मान भारत, मुख्यमंत्री राहत कोष, ChiefMinister’s Liver Care Programme जरूरतमंद मरीजों को वित्तीय सहायता प्रदान करती हैं। AIIMS दिल्ली, ILBS, SGPGI लखनऊ और Apollo जैसे अस्पतालों में ट्रांसप्लांट सुविधाएँ अब विश्वस्तरीय स्तर पर हैं।

भारत में लिवर ट्रांसप्लांट की स्थिति (रियल डेटा)

हर साल भारत में लगभग 2 लाख लोग लिवर फेल्योर से प्रभावित होते हैं। करीब 25–30 हजार को ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है। लेकिन केवल 2,500–3,000 ऑपरेशन ही संभव हो पाते हैं।

वजह- अंगदान (Organ Donation) की कमी और लागत का बोझ।

ऑर्गन डोनेशन क्यों है जरूरी?

भारत में अब भी बहुत कम लोग अपनी मृत्यु के बाद अंगदान की अनुमति देते हैं। आप “NOTTO Portal (notto.gov.in)” या “Organ Donation Card” के माध्यम से रजिस्टर होकर किसी की जिंदगी बचा सकते हैं। हर एक दाता कम से कम आठ जिंदगियाँ बचा सकता है।

लिवर ट्रांसप्लांट के बाद की जिंदगी

ट्रांसप्लांट के बाद मरीज सामान्य जीवन जी सकता है। कई लोग 10–20 साल तक पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं, नौकरी करते हैं, और सामान्य दिनचर्या निभाते हैं। संतुलित आहार, अनुशासन और डॉक्टर की सलाह से जीवन दोबारा पटरी पर लौट आता है।

एक्सपर्ट्स की राय

“लिवर ट्रांसप्लांट आख़िरी उपाय है, लेकिन 70% मामलों में अगर लोग शराब छोड़ दें और शुरुआती स्टेज में डॉक्टर से संपर्क करें, तो ट्रांसप्लांट की ज़रूरत ही नहीं पड़ती।”-डॉ. अर्विंद राज, सीनियर हेपेटोलॉजिस्ट, ILBS दिल्ली

प्रेरक उदाहरण

दिल्ली AIIMS में 5 साल के बच्चे का लिवर उसकी मां के लिवर के हिस्से से सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया गया।
आज वह बच्चा स्कूल जा रहा है और पूरी तरह स्वस्थ है। ऐसी कहानियाँ यह साबित करती हैं कि एक अंगदान, कई जिंदगियों का पुनर्जन्म बन सकता है।

जागरूकता अपील:

भारत में सबसे बड़ी चुनौती “जानकारी की कमी” है। बहुत से लोग लिवर की बीमारियों के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं। अगर समाज अंगदान और लिवर हेल्थ को लेकर जागरूक हो जाए, तो हज़ारों ज़िंदगियाँ हर साल बचाई जा सकती हैं।

निष्कर्ष:

लिवर ट्रांसप्लांट सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि जीवन को दोबारा अवसर देने की प्रक्रिया है। यह हमें याद दिलाता है-

“जब जिगर हार जाए, तो हिम्मत और इंसानियत जीत सकती है।”

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