स्वास्थ्य: क्या आप भी हर सुबह एक मल्टीविटामिन की गोली को ‘हेल्थ बूस्टर’ समझकर निगल लेते हैं? क्या आपको लगता है कि इससे ऊर्जा बढ़ती है, कमजोरी दूर होती है और पोषण पूरा होता है?
अगर हां, तो यह खबर आपके लिए है। क्योंकि हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, नेशनल इंस्टीट्स ऑफ हेल्थ (NIH) और WHO की नई रिपोर्ट ने एक ऐसा सच उजागर किया है, जिसे जानकर आपका विश्वास हिल सकता है।
स्टडी में साफ मिला है कि भारत में करीब 70–90% लोग बिना किसी मेडिकल जरूरत के मल्टीविटामिन ले रहे हैं, जबकि इससे उन्हें कोई खास फायदा नहीं मिलता, उल्टा नुकसान होने का जोखिम बढ़ जाता है।
मल्टीविटामिन का चलन क्यों बढ़ा?
आजकल जिम, योगा, ऑफिस डेस्क, हर जगह एक चीज कॉमन है “हेल्थ के लिए रोज एक सप्लीमेंट!” लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि यह अधिकतर ट्रेंड और मार्केटिंग का खेल है।
कारणों में शामिल हैं
• जंक फूड और अनियमित डाइट
• बिज़ी लाइफस्टाइल
• सोशल मीडिया पर सप्लीमेंट ट्रेंड
• ‘तुरंत ऊर्जा’ का लालच
• बिना डॉक्टर सलाह के सेल्फ-मेडिकेशन
• भारत में मल्टीविटामिन की बिक्री हर साल 15–20% बढ़ रही है।
हार्वर्ड और NIH स्टडी का बड़ा खुलासा
स्टडी बताती है:
संतुलित डाइट लेने वाले स्वस्थ लोगों को मल्टीविटामिन की जरूरत नहीं पड़ती।
रोजाना गोली लेने से कोई “अतिरिक्त फायदा” साबित नहीं हुआ।
कई मामलों में सप्लीमेंट से “ओवरडोज़” हो सकता है, जो खतरनाक है।
कई लोकप्रिय सप्लीमेंट्स पर ठोस वैज्ञानिक प्रूफ नहीं हैं।
WHO का भी कहना है “पहले पोषण डाइट से लें, सप्लीमेंट तभी जब कमी का प्रमाण हो।”
ओवरडोज़ के छिपे खतरे
मल्टीविटामिन जितने सुरक्षित दिखते हैं, उतने होते नहीं।
विटामिन A का ज्यादा सेवन: लिवर डैमेज
विटामिन D ज्यादा: किडनी स्टोन
आयरन ओवरडोज़: चक्कर, उल्टी, ब्लॉकेज
सिंथेटिक सप्लीमेंट्स: पेट दर्द, एसिडिटी, थकान
NIH रिपोर्ट “लंबे समय तक बेवजह मल्टीविटामिन लेने से शरीर का प्राकृतिक मेटाबॉलिज्म बिगड़ सकता है।”
असल में किन लोगों को मल्टीविटामिन की जरूरत होती है?
नई स्टडी और विशेषज्ञों के अनुसार जरूरत सिर्फ कुछ खास समूहों को होती है:
गर्भवती महिलाएं
फॉलिक एसिड, आयरन और B-विटामिन की आवश्यकता बढ़ती है।
60+ उम्र वाले लोग
B12, D और कैल्शियम की कमी आम है।
वीगन व शाकाहारी लोग
B12 और आयरन की कमी अधिक देखने को मिलती है।
मेडिकल कंडीशन वाले लोग
थायरॉइड दवाएं, एनीमिया, मालएब्ज़ॉर्प्शन डिसऑर्डर आदि।
बहुत कम कैलोरी डाइट या फास्टिंग पर रहने वाले
जहां डाइट में विटामिन-मिनरल की कमी रह जाती है।
बाकी सभी लोग डाइट से पोषण पूरा कर सकते हैं। गोली की जरूरत नहीं।
मार्केट में बिकने वाले सप्लीमेंट्स की असलियत
FDA की एक रिपोर्ट में कई सप्लीमेंट्स में पाया गया कि:
• लेबल पर लिखी मात्रा गलत थी
• कुछ में भारी धातुएं मिलीं
• कई प्रोडक्ट बिना मजबूत रिसर्च के मार्केट में हैं
भारत की सप्लीमेंट इंडस्ट्री का सालाना बिजनेस 18,000 करोड़ रुपये से ज्यादा है और विशेषज्ञ मानते हैं कि अधिकतर लोग मार्केटिंग के कारण इन्हें खरीदते हैं, न कि मेडिकल जरूरत के कारण।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
AIIMS पोषण विशेषज्ञ “भारत में 70% लोग बिना किसी टेस्ट के सप्लीमेंट लेते हैं। यह खतरनाक चलन है।”
हार्वर्ड मेडिकल स्कूल “सप्लीमेंट तभी लें जब टेस्ट में डिफिशिएंसी मिले।”
ICMR “संतुलित भारतीय भोजन 90% पोषण जरूरतें पूरी कर सकता है।”
कौन-से टेस्ट करवाने चाहिए?
डॉक्टर यही सलाह देते हैं कि गोली लेने से पहले ये टेस्ट जरूर कराएं:
• Vitamin D
• Vitamin B12
• Iron Profile
• CBC
• Calcium Level
टेस्ट के बाद में जरूरत साफ पता चलती है।
Multivitamin बनाम असली खाना, कौन बेहतर?
विशेषज्ञ कहते हैं “एक केला, दो रोटियां, दाल, सब्जी और एक मुट्ठी बादाम वह दे देते हैं, जो एक गोलियां भी पूरी तरह नहीं दे सकती।”
क्योंकि असली खाना बेहतर अवशोषित होता है, शरीर इसे आसानी से उपयोग करता है, साइड इफेक्ट नहीं होते।
रियल लाइफ़ केस स्टडी
दिल्ली की 24 वर्षीय युवती ने 6 महीने मल्टीविटामिन लिया- टेस्ट में लिवर एंज़ाइम्स बढ़े मिले। डॉक्टर ने कारण बताया “अनावश्यक विटामिन A और D का ओवरडोज़।”
एक 35 वर्षीय जिम ट्रेनर रोज B-कॉम्प्लेक्स लेता था, टेस्ट में सब नॉर्मल निकला। डॉक्टर ने कहा “फायदे की जगह सिर्फ आदत बन चुकी थी।”
निष्कर्ष: गोलियां नहीं, डाइट असली हीरो!
नई स्टडी साफ कहती है अगर आप स्वस्थ हैं और आपकी डाइट अच्छी है, तो रोज मल्टीविटामिन लेना बेवजह है।
सही तरीका:
पहले डाइट और लाइफस्टाइल सुधारें, कमजोरी लगे तो टेस्ट कराएं फिर डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट शुरू करें, वरना फायदा कम, नुकसान ज्यादा।