राजनीति/राष्ट्रीय : साल 2025 अब खत्म होने को है। नया साल दरवाजे पर है, लेकिन पीछे छोड़े जा रहे 12 महीनों की गूंज लंबे समय तक भारतीय राजनीति, सुरक्षा, न्यायपालिका और विदेश नीति के इतिहास में दर्ज रहेगी। यह साल उपलब्धियों, संघर्षों और बड़े फैसलों का साल था, लेकिन सबसे ज्यादा यह विवादों का साल रहा। एक के बाद एक ऐसे झटके जिनसे देश बार-बार हिला, सड़क से संसद तक बहस छिड़ी और दुनिया भर की नज़रें भारत पर टिकी रहीं।
आइए समझते हैं 2025 के उन बड़े विवादों को जिन्होंने पूरे भारत में उथल-पुथल मचाई -
1. पहलगाम हमला और ‘ऑपरेशन सिंदूर’; भारत-पाकिस्तान युद्ध के मुहाने पर :
आपको बता दें कि 22 अप्रैल 2025, भारत के हालिया इतिहास की सबसे दर्दनाक तारीखों में से एक है। पहलगाम में आतंकियों ने धर्म पूछकर निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारा। 26 लोगों की हत्या ने पूरे देश को सदमे और गुस्से में डाल दिया। इसके बाद भारत ने पहली बार पाकिस्तान में एक लक्षित, गुप्त और सैन्य कार्रवाई की - ऑपरेशन सिंदूर।
आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले
पाकिस्तान की ओर से जवाबी गोलाबारी
एलओसी पर तनाव चरम पर
4 दिन की सैन्य झड़प
और अंत में पाकिस्तान ने संघर्ष विराम की भीख मांगी।
यह घटना 2025 सबसे बड़ा राजनयिक संदेश और भारत की सैन्य क्षमता का सबसे बड़ा प्रदर्शन, सब एक साथ रहा।
2. मतदाता सूची SIR विवाद; 65 लाख नाम कटे, विपक्ष भड़का :
गौरतलब है कि इस साल चुनाव आयोग ने अचानक फैसला लिया।
बिहार में मतदाता सूची का Special Intensive Revision (SIR)। परिणाम यह हुआ कि 65 लाख नाम हटाए गए। विपक्ष ने वोट चोरी का आरोप लगाया। इसके बाद 12 और राज्यों में SIR हुआ। कुल साढ़े तीन करोड़ नाम ड्राफ्ट से गायब हुए। इस दौरान चुनाव आयोग पर निष्पक्षता पर भी सवाल उठाये गए। सरकार पर जनादेश से खेलने का आरोप लगा। यह विवाद इतना बड़ा हुआ कि पूरे साल राजनीतिक बहस इसी पर अटकी रही।
3. वक्फ संशोधन विधेयक; सड़कों से कोर्ट तक आग :
विदित है कि सरकार ने वक्फ कानून 1995 में बड़े बदलाव किए -
● सर्वे का अधिकार कलेक्टर के पास
● वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम और महिलाएं
● सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने पर रोक
● दान पर सख्त नियम
देशभर में विरोध, प्रदर्शन और राजनीतिक ध्रुवीकरण शुरू हो गया।
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने कानून पर रोक नहीं लगाई लेकिन कुछ धाराओं को अस्थायी रूप से निलंबित किया। यह 2025 का सबसे चर्चित सामाजिक-धार्मिक विवाद रहा है।
4. ट्रंप बनाम भारत; टैरिफ युद्ध ने विदेश नीति हिला दी :
गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में भारत पर टूट पड़े। भारत पर “सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने” का आरोप लगा, 50% तक भारी-भरकम टैरिफ लगी। भारत पर रूस को वित्तीय समर्थन देने का आरोप लगा। पाकिस्तान को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खुला समर्थन दिया गया औऱ अमेरिकी-भारतीय रिश्ते दशकों में पहली बार इतने तनावपूर्ण हुए।
भारत को अपनी अर्थव्यवस्था बचाने और कूटनीतिक संतुलन बनाए रखने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। 2025 की विदेश नीति का सबसे बड़ा तूफान यही था।
5. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का अचानक इस्तीफा; राजनीति में भूचाल :
विदित है कि जुलाई 2025 में देश दंग रह गया, जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया। कारण बताया-खराब स्वास्थ्य। विपक्ष ने कहा-“इस्तीफा लिया गया है।” इससे राजनीतिक हलकों में भारी हलचल हुई। सरकार पर आरोपों की बौछार हुई। धनखड़ सार्वजनिक रूप से लगभग गायब हो गए। अंत में CP राधाकृष्णन नए उपराष्ट्रपति बने और मामला शांत हुआ। फिर भी, यह 2025 की राजनीतिक पहेलियों में से एक बन गया।
6. CJI पर जूता फेंके जाने की घटना; न्यायपालिका का काला दिन :
आपको बता दें कि 6 अक्टूबर 2025 सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही के दौरान CJI बीआर गवई पर एक वकील ने जूता उछाल दिया। जूता सीजेआई को नहीं लगा, लेकिन -
● वकील का लाइसेंस सस्पेंड
● बार काउंसिल में हड़कंप
● देश की न्यायपालिका पर शर्मनाक धब्बा
इसके साथ ही हाईकोर्ट जज यशवंत वर्मा के घर से जली हुई कैश मिलने का विवाद भी 2025 में न्यायपालिका को कटघरे में खड़ा करता रहा।
7. भारत–अमेरिका तनाव, पाकिस्तान, वक्फ विवाद, SIR, न्यायपालिका…
गौरतलब है कि यह साल एक ऐसा साल साबित हुआ जिसने दिखाया कि भारत की सीमाओं पर तनाव, राजनीति में उथल-पुथल, समाज में ध्रुवीकरण, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव, न्यायपालिका पर सवाल, देशव्यापी विरोध प्रदर्शन और कई फैसलों पर भारी असहमति रही।
2025 उपलब्धियों से ज्यादा विवादों के लिए याद रखा जाएगा। 2025 वह साल रहा जिसने भारत की सैन्य शक्ति दिखाई और लोकतंत्र की बहस को नई दिशा दी। सामाजिक कानूनों पर देशभर में चर्चा छेड़ी। विदेश नीति में दरारें दिखाईं और न्यायपालिका को सबसे ज्यादा सवालों के घेरे में खड़ा किया और राजनीतिक तापमान पूरे साल उबलता रहा। इतिहास किताबों में 2025 को “उथल-पुथल और निर्णायक फैसलों वाला साल” लिखा जाएगा।