जयपुर : राजस्थान हाउसिंग बोर्ड ने प्रदेश की सभी हाउसिंग कॉलोनियों की जमीनों की कीमतें बढ़ा दी हैं। बोर्ड ने आरक्षित दरों (Reserve Price) को 8 फीसदी से लेकर 44 फीसदी तक बढ़ाया है। इस बढ़ोतरी का असर मकान खरीदने वालों और रजिस्ट्री करवाने वालों पर सीधा पड़ेगा।
जयपुर में सबसे ज्यादा दाम बढ़े :
आपको बता दें कि राजधानी जयपुर में हाउसिंग बोर्ड की कई योजनाओं की दरों में भारी बढ़ोतरी की गई है। सबसे ज्यादा बढ़ोतरी वाटिका योजना में हुई है, जहां जमीन की दर पहले ₹4,890 प्रति वर्गमीटर थी, जिसे बढ़ाकर ₹7,045 कर दिया गया है। यह करीब 44 फीसदी बढ़ोतरी है।
अन्य योजनाओं में भी दरें इस प्रकार बढ़ी हैं :
●प्रताप नगर योजना: ₹19,465 से बढ़ाकर ₹23,870 (22.63% की बढ़ोतरी)
●महला योजना (अजमेर रोड): ₹2,620 से ₹3,555 (35.68% की बढ़ोतरी)
●मानसरोवर योजना: ₹33,315 से ₹41,095 (23% की बढ़ोतरी)
●इंदिरा गांधी नगर (जगतपुरा): ₹19,395 से ₹23,850 (23% की बढ़ोतरी)
अन्य शहरों में 8 से 9 फीसदी तक इजाफा :
गौरतलब है कि जयपुर के अलावा जोधपुर, अजमेर, अलवर, उदयपुर, कोटा जैसे शहरों की योजनाओं की जमीनों की दरों में 8 से 9 फीसदी तक का इजाफा किया गया है। उदाहरण के तौर पर:
●जोधपुर (बड़ली योजना): ₹4,900 से ₹5,320
●कुड़ी भगतासनी फेज-2: ₹26,255 से ₹28,490
●चौपासनी योजना: ₹22,385 से ₹24,290
●उदयपुर (गोवर्धन विलास): ₹21,370 से ₹23,190
●अलवर (बी-10 योजना): ₹6,800 से ₹7,380
●भिवाड़ी (अरावली विहार योजना): ₹9,250 से ₹10,040
●अजमेर (किशनगढ़ योजना): ₹11,025 से ₹11,965
रजिस्ट्री पर पड़ेगा सीधा असर :
आपको बता दें कि आरक्षित दरों में बढ़ोतरी का सीधा असर रजिस्ट्री प्रक्रिया पर पड़ेगा। यदि कोई व्यक्ति इन योजनाओं में मकान या दुकान खरीदता है, तो उसे रजिस्ट्री के लिए पहले से ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी। इससे घर खरीदना और भी महंगा हो जाएगा।
बोर्ड ने क्यों बढ़ाई दरें?
गौरतलब है कि राजस्थान हाउसिंग बोर्ड का कहना है कि यह बढ़ोतरी बाजार भावों को ध्यान में रखते हुए की गई है। उनका कहना है कि पिछले कई सालों से दरें नहीं बढ़ाई गई थीं, जबकि जमीन की बाजार कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा था।
क्या होगा आम जनता पर असर?
आपको बता दें कि जो लोग हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनियों में घर लेने की सोच रहे थे, उनके लिए यह अब महंगा सौदा हो गया है। आपको बता दें कि रजिस्ट्री, स्टांप ड्यूटी और टैक्स सब बढ़ेंगे। मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को अब प्लॉट या मकान खरीदने में ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे।
किसे होगा सबसे ज़्यादा नुकसान?
गौरतलब है कि इस वृद्धि से मध्यम वर्ग, जिनका सपना सरकारी कॉलोनी में छोटा घर लेना था उनके सपनों पर पानी फिर सकता है। साथ ही निर्माण कंपनियों की लागत बढ़ेगी, मांग घटेगी। वहीं अगर बिक्री घट गई, तो सरकार के राजस्व का लक्ष्य भी अधूरा रह सकता है।
राजस्थान हाउसिंग बोर्ड की इस बढ़ोतरी से जमीन खरीदना अब पहले से ज्यादा खर्चीला हो गया है। जयपुर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, लेकिन अन्य शहरों में भी कीमतें बढ़ी हैं। यह फैसला सरकार के लिए राजस्व बढ़ा सकता है, लेकिन आम जनता के लिए यह सपनों का घर पाने में एक और मुश्किल कदम बनकर सामने आया है।