जोधपुर; देश के दूसरे सबसे बड़े अक्षरधाम मंदिर का लोकार्पण!: 45 डिग्री गर्मी में भी रहेगा ठंडा, 7 साल और 500 कारीगर...ये विशेषताएं बनाती हैं इस मंदिर को खास
जोधपुर; देश के दूसरे सबसे बड़े अक्षरधाम मंदिर का लोकार्पण!

जोधपुर : राजस्थान के जोधपुर में इतिहास रचते हुए देश का दूसरा सबसे बड़ा अक्षरधाम मंदिर तैयार हो चुका है। दिल्ली के बाद अब जोधपुर में भक्तों को वैसा ही दिव्य और भव्य अक्षरधाम मंदिर देखने को मिलेगा। बुधवार को मंदिर में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की गई और आज से यह श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया गया है। इस भव्य मंदिर के लोकार्पण पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और गजेंद्र सिंह शेखावत भी पहुंचे। हज़ारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में मंदिर परिसर में भक्ति और आस्था का माहौल देखते ही बन रहा था।

500 कारीगरों की 7 साल की मेहनत :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ था। कोविड काल में कुछ समय काम रुका, लेकिन फिर तेजी से काम पूरा हुआ। लगभग 500 कारीगरों ने 7 साल तक दिन-रात मेहनत कर इस अद्भुत धरोहर को बनाया।

45 डिग्री गर्मी में भी रहता है ठंडा

गौरतलब है कि मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे पूरी तरह जोधपुरी पत्थर से बनाया गया है। इसमें न लोहे का प्रयोग हुआ है, न ही सीमेंट का। सभी पत्थर इंटरलॉक सिस्टम से जुड़े हैं। वास्तु शास्त्र के हिसाब से बने इस मंदिर में 45 डिग्री तापमान में भी ठंडक बनी रहती है।

पत्थरों पर अद्भुत नक्काशी :

विदित है कि मंदिर में 6 इंच तक गहरी नक्काशी की गई है। सिरोही घाट शैली का प्रयोग कर बनाए गए 281 गोलाकार स्तंभ मंदिर को अद्वितीय बनाते हैं। मंदिर का आकार चौकोर या आयताकार नहीं, बल्कि आठ–नौ कोणों वाला है, जो इसे बेहद आकर्षक बनाता है।

मंदिर का आकार और परिसर :

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कुल मंदिर परिसर 40 बीघा में फैला है। मुख्य मंदिर का निर्माण 10 बीघा में हुआ है। मंदिर की लंबाई 181 फीट और ऊंचाई 91 फीट है। इसका आधार 13 फीट ऊँचा मंच है। इस मंदिर का परिक्रमा मार्ग 1100 फीट लंबा है। कुल 281 स्तम्भ, 121 तोरण द्वार, 151 मूर्तियां, 5 शिखर, और 14 गुंबद इस मंदिर को दुनिया का सबसे खास मंदिर बनाते हैं।

सभा मंडप में 3 हजार भक्त एक साथ :

गौरतलब है कि मंदिर में बना विशाल सभा मंडप 140×125 फीट का है। यहाँ 3,000 लोग एक साथ सत्संग सुन सकते हैं। मंडप पूरी तरह पिलरलेस है, यानी बीच में कोई स्तंभ नहीं। 14 एसी और 12 हेलिकॉप्टर फैन से वातावरण ठंडा रखा गया है। संतों के लिए 100×30 फीट का बड़ा मंच बनाया गया है।

भक्तों के लिए ‘अन्नपूर्णा’ रसोई :

आपको बता दें कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर में ऑटोमैटिक अन्नपूर्णा रसाई बनाई गई है। यहाँ 20,000 लोगों का भोजन एक साथ तैयार किया जा सकेगा। 500 लोग एक साथ प्रसाद ग्रहण कर सकेंगे। मंदिर परिसर में किचन ब्लॉक, सर्विस बिल्डिंग और अतिथि गृह भी तैयार हैं।

यह मंदिर सिर्फ पूजा-अर्चना का स्थान नहीं होगा, बल्कि यहाँ से कई नशामुक्ति अभियान, बच्चों को अच्छे संस्कारों को देने के कार्यक्रम जैसे अन्य सामाजिक अभियान भी चलेंगे। अद्वितीय डिजाइन और ठंडक से भरपूर संरचना इस मंदिर को आर्किटेक्चर का चमत्कार बनाती है। जोधपुर का अक्षरधाम मंदिर अब राजस्थान ही नहीं, पूरे भारत की आस्था और कला का नया केंद्र बन गया है।

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