जयपुर : राजस्थान सरकार की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना - राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (RGHS) अब फर्जीवाड़े के दलदल में फंसती नजर आ रही है। ताजा खुलासों ने सरकार और स्वास्थ्य महकमे को हिलाकर रख दिया है। फर्जी बिल, जाली प्रिस्क्रिप्शन और दवाइयों की जगह दूसरा सामान लेने जैसे कई कारनामे अब तक सामने आ चुके हैं। राज्य सरकार अब सख्त मोड में है और इस योजना को बचाने के लिए जल्द ही “एंटी-फ्रॉड यूनिट” गठित करने जा रही है। इस यूनिट में आईटी एक्सपर्ट, क्लेम ऑडिट और मेडिकल ऑडिट करने वाले विशेषज्ञों को शामिल किया जाएगा।
किस पर नजर, कहां हो रही कार्रवाई?
आपको बता दें कि डॉक्टर, फार्मेसी और अस्पताल में संदिग्ध लोगों पर निगरानी बढ़ा दी गई है। किसी के खिलाफ फर्जी बिल या पर्ची पकड़ी गई तो उसकी सदस्यतासस्पेंड या रद् कर दी जाएगी। ई-प्रिस्क्रिप्शन, ई-बिलिंग और रियल टाइम मॉनिटरिंग रखी जा रही है। अब सभी पर तकनीकी नजर रखी जाएगी।
औचक निरीक्षण से पड़ रहा छापा :
गौरतलब है कि ऑडिट और औचक निरीक्षण द्वारा टीम अचानक अस्पताल और मेडिकल स्टोर्स पर छापा मार रही है। जो दोषी पाया गया, उसे ब्लैकलिस्ट कर भविष्य में योजना से बाहर कर दिया जाएगा। साथ ही कानूनी कार्रवाई भी तय है।
मंत्री ने दिए कड़े निर्देश :
विदित है कि चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने साफ कहा है कि अब धोखाधड़ी और अनियमितता करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। योजना में पारदर्शिता और तकनीकी मजबूती लाई जाएगी ताकि कोई भी सिस्टम का गलत फायदा न उठा सके।
473 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश :
आपको बता दें कि अभी तक कि कार्रवाई में चूरू, सीकर और नागौर के कुछ अस्पताल और मेडिकल स्टोर पर एफआईआर दर्ज करते हुए 473 कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की गई है आरोप है कि इन्होंने दवाइयों की जगह दूसरा सामान लिया, अनावश्यक उपचार लिखा और मिलकर फर्जी पर्चे बनाए।
12 कर्मचारी किये गए निलंबित :
विदित है कि जांच में पाया गया कि कुछ ने अपने भाई-बहनों, दोस्तों तक का इलाज अपनी आईडी पर करवाया। 12 डॉक्टरों यानी आयुर्वेदिक और 8 एलोपैथिक डॉक्टरों पर आरोप है कि वे बिना जांच दवाइयां लिख रहे थे और फर्जी प्रिस्क्रिप्शन बना रहे थे। इन्हें निलंबित कर दिया गया है।
घोटाले के दिलचस्प खुलासे :
विदित है कि कई कर्मचारियों ने पत्नी के नाम पर किराएदार का इलाज कराया। किसी ने शादीशुदा बेटी या भाई-बहन को इलाज दिलवा दिया। कई ने तो मेडिकल स्टोर से दवाइयां लिखवाईं लेकिन घर में राशन और दूसरा सामान ले लिया।
जानें सरकार की नई रणनीति:
गौरतलब है कि सरकार ऐसे फ्राड को रोकने के लिए निम्नलिखित कार्य करेंगी।
●एंटी-फ्रॉड यूनिट बनेगी।
●हर जिले में शिकायत निवारण होगा।
●राज्य स्तर पर सेंट्रलाइज्ड कंप्लेंट सेंटर और ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम भी तैयार किया जाएगा।
कुल मिलाकर, जिस योजना का मकसद सरकारी कर्मचारियों और उनके परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना था वह फर्जीवाड़े की जाल में फंस चुकी है। सरकार की चुनौती है कि कैसे इसे बचाए और गड़बड़ करने वालों को पकड़कर कड़ी कार्रवाई करें।