राजस्थान कैबिनेट ने लागू किया सख्त कानून!: अब पेड़ काटना पड़ेगा 10 गुना महँगा, वहीं दोबारा गलती पर...जानें क्यों लिया गया ये फैसला?
राजस्थान कैबिनेट ने लागू किया सख्त कानून!

जयपुर : राजस्थान सरकार ने पर्यावरण सुरक्षा को लेकर अब तक का सबसे कड़ा कदम उठा लिया है। अगर अब किसी ने बिना अनुमति पेड़ काटने की गलती कर दी तो समझिए जेब पर ऐसा झटका लगेगा जिसकी गूंज सीधे घर के बजट तक सुनाई देगी। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में राजस्थान जन विश्वास अधिनियम संशोधन–2025 को मंजूरी दे दी गई। इसके साथ ही पेड़ काटने पर लगने वाला जुर्माना 10 गुना बढ़ा दिया गया है।

पहले कितना जुर्माना लगता था? और अब कितना लगेगा?

आपको बता दें कि पहले के नियम से पहली बार पेड़ काटना ₹100 वहीं दूसरी बार पेड़ काटने पर ₹200 लगते थे अब पहली बार उसे ₹1000 और दूसरी बार ₹2,000 कर दिया गया है। यानी अब जंगल नहीं, जेब कटेगी। सरकार का कहना है कि यह कदम राजस्थान के तेजी से घट रहे हरित क्षेत्र को बचाने के लिए बेहद जरूरी था।

कैबिनेट का बड़ा फैसला – जेल नहीं, सीधे तगड़ा फाइन :

गौरतलब है कि संशोधन के तहत तीन कानूनों से सजा (जेल) के प्रावधान हटाकर उन्हें महज आर्थिक दंड में बदला गया है। इनमें शामिल हैं—

पेड़ काटना
पानी का दुरुपयोग
सीवरेज का दुरुपयोग

अब इन मामलों में कोर्ट-कचहरी नहीं, बल्कि सीधा भारी जुर्माना लगेगा, ताकि लोग कानून तोड़ने से पहले दस बार सोचें।

क्यों उठाया गया यह सख्त कदम?

गौरतलब है कि राजस्थान हर साल मरुस्थलीकरण, भू-जल संकट, बढ़ते तापमान, घटती हरियाली जैसी गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर अभी कदम नहीं उठाए गए तो कई जिलों में ग्रीन कवर 20–30% तक घट सकता है। इसी वजह से सरकार ने पेड़ काटने पर “डर और जिम्मेदारी” पैदा करने वाला बड़ा जुर्माना लागू किया है।

सरकार का संदेश साफ — ‘पेड़ बचाओ, वरना पैसा जाएगा!’

आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने बैठक के बाद कहा कि “राजस्थान में पर्यावरण संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता है। पेड़ काटने पर अब किसी प्रकार की ढील नहीं दी जाएगी।”

राजस्थान में पर्यावरण कानूनों की सबसे बड़ी सख्ती :

विदित है कि पहली बार राज्य में पेड़ काटना ‘छोटा अपराध’ नहीं माना जाएगा। बिना अनुमति काटने पर अधिकारी मौके पर ही चालान कर सकेंगे। बार-बार अपराध करने वालों को बढ़ा हुआ फाइन लगेगा। इसके साथ ही पानी-सीवरेज की बर्बादी पर भी सख्ती बरती गई है।

लोगों में मिश्रित प्रतिक्रिया – ‘सख्त, लेकिन जरूरी कदम’

कई पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसे “राजस्थान की हरियाली बचाने की ऐतिहासिक पहल” बताया है। लेकिन ग्रामीण इलाकों में लोग कह रहे हैं कि “अपनी जमीन के पेड़ काटने पर भी इतना भारी जुर्माना उचित नहीं।” सरकार का साफ कहना है कि पेड़ चाहे खेत में हो या घर में, काटने से पहले अनुमति अनिवार्य है।

राजस्थान में पेड़ काटना अब ‘लापरवाही’ नहीं, महंगा अपराध है। यह स्पष्ट है कि राज्य सरकार आने वाले वर्षों में हरियाली बचाने की बड़ी योजना पर काम कर रही है। भारी जुर्माना उसी अभियान का पहला बड़ा कदम है।

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