राजनीति: भारत गठबंधन (INDIA) ने आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को अपना उम्मीदवार बनाया है। उनका जीवन सफर इस बात का प्रमाण है कि परिश्रम और ईमानदारी से कोई भी व्यक्ति साधारण परिवार से निकलकर देश की सर्वोच्च संस्थाओं तक पहुँच सकता है।
बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को तेलंगाना के रंगारेड्डी ज़िले के अकुला मायलाराम गाँव में हुआ। वे एक किसान परिवार से आते हैं और बाल्यकाल से ही अध्ययनशील और अनुशासित रहे।
शिक्षा और विधि की राह:
रेड्डी ने 1971 में हैदराबाद स्थित उस्मानिया विश्वविद्यालय से विधि (लॉ) की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में नामांकन कराया और वकालत प्रारंभ की। रिट और सिविल मामलों में विशेषज्ञता के साथ उन्होंने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में एक मजबूत पहचान बनाई।
न्यायिक यात्रा:
रेड्डी ने 1988 से 1990 तक आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में सरकारी वकील के रूप में सेवाएँ दीं। इसके बाद वे केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील बने। उस्मानिया विश्वविद्यालय में उन्होंने कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील की जिम्मेदारी भी निभाई। 1995 में उन्हें आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
उनकी योग्यता और निष्पक्षता को देखते हुए 2005 में उन्हें गुवाहाटी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया। इसके बाद 2007 में वे सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश नियुक्त हुए और 2011 तक इस पद पर कार्यरत रहे। उनके कार्यकाल में कई ऐसे निर्णय आए जिन्हें न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता के लिए महत्त्वपूर्ण माना गया।
गोवा के पहले लोकायुक्त:
सेवानिवृत्ति के बाद मार्च 2013 में उन्हें गोवा का पहला लोकायुक्त नियुक्त किया गया। हालाँकि, कुछ महीनों बाद सितंबर 2013 में उन्होंने व्यक्तिगत कारणों से इस्तीफ़ा दे दिया।
विपक्ष की रणनीति और संदेश:
भारत गठबंधन ने बी. सुदर्शन रेड्डी को उम्मीदवार बनाकर यह स्पष्ट किया है कि विपक्ष संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस बार सभी विपक्षी दलों ने एकमत से उम्मीदवार का चयन किया है, ताकि विपक्षी एकजुटता का संदेश जनता तक पहुँचे। विपक्ष का मानना है कि रेड्डी की छवि एक निष्पक्ष और प्रगतिशील न्यायविद की है, जो जनता के बीच भरोसा जगाएगी।
सत्ता पक्ष और विपक्ष का मुकाबला:
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने इस पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया है। संख्याबल की दृष्टि से एनडीए को स्पष्ट बढ़त प्राप्त है, लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह चुनाव केवल आंकड़ों का नहीं, बल्कि संविधान की मर्यादा और लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा का भी प्रश्न है।
विपक्ष का प्रयास है कि इस चुनाव के माध्यम से वह जनता को यह संदेश दे सके कि गठबंधन केवल राजनीतिक विकल्प नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों की रक्षा का मंच है।
बी. सुदर्शन रेड्डी का जीवन इस बात का उदाहरण है कि साधारण किसान परिवार से निकला व्यक्ति शिक्षा और परिश्रम के बल पर न्यायपालिका की ऊँचाइयों तक पहुँच सकता है। अब उनकी उम्मीदवारी विपक्ष के लिए केवल एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि संविधान और न्याय की प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
यद्यपि संख्याबल में एनडीए मजबूत है, फिर भी यह चुनाव विपक्ष के लिए अपनी एकता और वैचारिक प्रतिबद्धता दिखाने का अवसर है।