नोएडा: शहर में शुक्रवार की सुबह को इतिहास लिखा गया, शायद ही कभी किसी कलाकार के सम्मान के लिए कोई राज्य सरकार उसके घर पर पहुँची हो लेकिन इस बार बात किसी साधारण कलाकार की नहीं थी, बल्कि भारत की मूर्तिकला के ‘भीष्माचार्य’, “Statue of Unity” के जनक, राम वनजी सुतार की थी, जो इसी साल 100 वर्ष के हुए।
महाराष्ट्र सरकार का उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल जिसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, अजीत पवार और संस्कृति मंत्री आशीष सैलार शामिल थे, नोएडा के सेक्टर-19 स्थित उनके आवास पर पहुँचा और उन्हें ‘महाराष्ट्र भूषण 2024’ से सम्मानित किया।
यह सम्मान भारत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है, जिसमें ₹25 लाख, शॉल, प्रशस्ति-पत्र और स्मृति चिन्ह शामिल है।
•यह क्षण सिर्फ एक सम्मान नहीं था…
•यह एक शताब्दी की तपस्या का प्रणाम था।
क्यों घर पर सम्मान दिया गया? पीछे की संवेदनशील कहानी
राम सुतार की तबीयत महीनों से खराब चल रही है। डॉक्टरों ने उन्हें यात्रा न करने की सलाह दी है। अपनी 100 साल की उम्र में वे बिस्तर पर हैं, कमजोर हैं लेकिन कला की रोशनी अब भी उनकी आंखों में चमकती है।
इसीलिए महाराष्ट्र सरकार ने एक अभूतपूर्व निर्णय लिया:
“अगर वे नहीं आ सकते, तो सम्मान उनके पास जाएगा।” किसी कलाकार को मिलने वाला शायद यह भारत का सबसे मानवीय सम्मान कहा जा सकता है।
राम सुतार कौन? दुनिया क्यों उन्हें ‘भारत का माइकलएंजेलो’ कहती है
182 मीटर ऊँची Statue of Unity, दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति, संसद भवन के बाहर महात्मा गांधी की प्रसिद्ध मूर्ति, अयोध्या में प्रस्तावित 251-मीटर भगवान श्रीराम की प्रतिमा, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश सहित देशभर में दर्जनों भव्य मूर्तियाँ, कई देशों में लगे उनके शिल्प- अमेरिका, फ्रांस, इटली, रूस, उनके बनाए शिल्प सिर्फ धातु नहीं, भावना के जीवित प्रतीक माने जाते हैं।
शुरूआती जीवन, गरीबी, संघर्ष और कला की साधना
गाँव में जन्म, संसाधनों की कमी, पढ़ाई के साथ मेहनत का काम, कभी-कभी मिट्टी के छोटे खिलौने बनाकर पैसे जुटाना, इन्हीं छोटे हाथों ने बाद में दुनिया की सबसे ऊँची मूर्ति गढ़ी।
पहली पहचान तब मिली जब उन्होंने एक स्कूली मॉडल प्रतियोगिता में, गाँधी जी की एक छोटी पर जीवंत प्रतिमा बनाई। यहीं से उनकी कला ने दिशा ली।
Statue of Unity: निर्माण की अंदरूनी कहानी
•यह प्रोजेक्ट सिर्फ एक मूर्ति नहीं, भारत की इंजीनियरिंग और कला का मिश्रण था।
•चेहरा, भाव-भंगिमा, चाल, हर चीज़ पर महीनों शोध
•हाई-टेक ब्रॉन्ज क्लैडिंग तकनीक
•हजारों इंजीनियर, कलाकार, विशेषज्ञ
•कंप्यूटर मॉडलिंग, 3D-स्कैनिंग और पारंपरिक हाथ कला का मेल
•राम सुतार कहते थे “मूर्ति सिर्फ शरीर की प्रतिकृति नहीं होती… उसमें आत्मा डालनी पड़ती है।”
परिवार की प्रतिक्रिया, भावुक पल
उनके बेटे और प्रसिद्ध शिल्पकार अनिल सुतार ने कहा “सरकार का घर आकर सम्मान देना, पिता के लिए ही नहीं, पूरी भारतीय कला के लिए गर्व का क्षण है।”
यह सुनते ही कलाकार की आंखों में हल्की चमक आ गई जैसे 100 साल की साधना का फल सामने खड़ा हो।
महाराष्ट्र सरकार के लिए यह सम्मान क्यों महत्वपूर्ण?
•महाराष्ट्र कला व संस्कृति के क्षेत्र में सबसे बड़े कलाकारों का सम्मान करती है
•राम सुतार का बचपन और कला की शिक्षा महाराष्ट्र में ही हुई
•उनके अनेक प्रसिद्ध प्रोजेक्ट महाराष्ट्र से जुड़े रहे
•यह सम्मान राजनीतिक नहीं, संस्कृति और कलाकार के प्रति श्रद्धा का प्रतीक माना जा रहा है
•यह संदेश भी दिया गया कि “कला राजनीति से ऊपर है, यह समाज की आत्मा है।”
RTI के बाद शुरू हुई प्रक्रिया, यह भी जानना जरूरी है
एक RTI आवेदन के बाद यह जानकारी सामने आई कि महाराष्ट्र सरकार ने 12 मार्च 2025 की मीटिंग में राम सुतार के नाम को महाराष्ट्र भूषण 2024 के लिए फाइनल किया था। यानी यह सम्मान पूरी पारदर्शिता के साथ दिया गया था।
100 साल की उम्र में भी सक्रिय, क्या कर रहे हैं अब?
•नई मूर्तियों के डिजाइन
•अयोध्या और महाराष्ट्र के कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स
•नई पीढ़ी के कलाकारों को मार्गदर्शन
कहते हैं “कला उम्र नहीं देखती… बस जुनून देखती है।”
जनता के लिए इसका महत्व, क्यों यह खबर बड़ी है?
•भारत की सबसे बड़ी सांस्कृतिक हस्ती को मिला सम्मान
•सरकार का घर पहुँचकर सम्मान देना अपने आप में ऐतिहासिक
•युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा
•भारत की मूर्तिकला को दुनिया में नई पहचान
निष्कर्ष:
कला के 100 वर्षों को मिला शतकीय सलाम
यह सिर्फ एक पुरस्कार नहीं यह उस शताब्दी को सम्मान है, जिसमें एक कलाकार ने अपने हाथों से भारत की पहचान गढ़ी।
महाराष्ट्र सरकार का यह कदम आने वाली पीढ़ियों के लिए संदेश है “जिसने भारत को दुनिया में ऊँचा उठाया, उसके सम्मान में हम सिर झुकाकर खड़े हैं।”