नोएडा/ग्रेटर नोएडा/यमुना एक्सप्रेसवे : दिल्ली-एनसीआर अब सिर्फ आईटी हब और इंडस्ट्री की वजह से ही नहीं, बल्कि देश की सबसे ऊंची इमारतों की वजह से भी सुर्खियों में आने वाला है। इन्वेस्ट यूपी की ओर से तैयार किए गए नए बिल्डिंग बॉयलॉज ड्राफ्ट ने बिल्डरों को ऐसा मौका दे दिया है, जिससे आने वाले वक्त में नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र में खड़े टावर आसमान छूते नजर आएंगे। पहली बार प्रावधान किया गया है कि बिल्डर अब दो से तीन गुना तक प्रीमियम फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) खरीद सकेंगे। यानी जो जमीन पर अब तक 30-40 मंजिला बिल्डिंग बन रही थी, वहां 70 से 100 मंजिला गगनचुंबी इमारतें खड़ी की जा सकेंगी।
क्या है नया बदलाव?
आपको बता दें कि नया जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसके अनुसार औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के लिए पहली बार एकीकृत भवन विनियमावली बनाई गई है। इसकी बैठक 22 सितंबर को होगी यानी इस दिन अधिकारी ड्राफ्ट पर मंथन करेंगे। मंजूरी मिलते ही इसे 2 माह में लागू कर दिया जाएगा। इससे बिल्डरों को फायदा मिलेगा वे पहले से ज्यादा एफएआर खरीदकर इमारतें 2-5 गुना तक ऊंची बनाई जा सकेंगी।
रिकॉर्ड तोड़ होगी ऊंचाई!
गौरतलब है कि नए ड्राफ्ट के मुताबिक, अगर किसी बिल्डर को बेसिक 3.5 एफएआर मिलता है, तो वह प्रीमियम एफएआर खरीदकर इसे 7 से 10 तक ले जा सकता है। यानी अब केवल जमीन ही नहीं, बल्कि हवा में भी रियल एस्टेट का कारोबार होगा। उदाहरण के तौर पर 2000 में ग्रुप हाउसिंग को 1.5 एफएआर मिलता था। 2010 में यह 3.5 एफएआर हो गया। वहीं अब 2025 में यह 7-10 एफएआर तक जा सकता है। इसका सीधा मतलब है कि पहले जहां 20-25 मंजिला टावर बनते थे, अब वहां 80-100 मंजिला गगनचुंबी टावर खड़े होंगे।
महंगा सौदा, लेकिन बड़ा मुनाफा :
विदित है कि प्रीमियम परचेजेबल एफएआर की कीमत पुराने रेट से दोगुनी रखी जाएगी। यानी बिल्डरों को जेब ढीली करनी होगी। लेकिन फायदा ये कि ज्यादा निर्माण कर सकेंगे, ज्यादा फ्लैट बेच सकेंगे और मुनाफा भी कई गुना बढ़ जाएगा।
क्या है इसका मकसद :
आपको बता दें कि इस ड्राफ्ट का निम्नलिखित उद्देश्य है -
● निवेश आकर्षित करना – ज्यादा ऊंची इमारतें, ज्यादा निवेश।
● जमीन का बेहतर उपयोग – जमीन सीमित है, लेकिन ऊंचाई अनंत।
● रोजगार और विकास – नए प्रोजेक्ट से हजारों नौकरियां और तेज़ी से बढ़ता इंफ्रास्ट्रक्चर।
पुराने आवंटन वालों के लिए खुशखबरी :
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर किसी बिल्डर के पास पुरानी जमीन पड़ी है, तो वह भी इस स्कीम का फायदा उठा सकता है। उसे ग्राउंड कवरेज बढ़ाने की अनुमति मिलेगी। हालांकि, पुरानी इमारत की ऊंचाई बढ़ाने की छूट नहीं मिलेगी।
क्या है नियम और शर्तें :
गौरतलब है कि नए नियम के अनुसार इमारत के पास कम से कम 24 मीटर चौड़ी सड़क होनी चाहिए। प्लॉट का साइज 1800 वर्गमीटर से ज्यादा होना चाहिए। सड़क चौड़ाई और प्लॉट एरिया का मानक और कड़ा किया जा सकता है।
नोएडा, ग्रेनो और यमुना प्राधिकरण अब सिर्फ स्मार्ट सिटी नहीं, बल्कि स्काईलाइन बदलने वाले मेगा सिटी बनने की ओर बढ़ रहे हैं। आने वाले दो सालों में यहां बुर्ज खलीफा जैसी ऊंचाई वाले टावर खड़े होना कोई सपना नहीं, बल्कि हकीकत होगी। सवाल यह है कि क्या यह विकास वाकई आम लोगों की जिंदगी आसान बनाएगा, या सिर्फ बिल्डरों की जेबें भरने का जरिया बनेगा?