नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नए फैसले से पूरी दुनिया की टेक इंडस्ट्री में भूचाल ला दिया है। H-1B वीजा की फीस सीधे बढ़ाकर 1 लाख डॉलर कर दी गई है। अब अमेरिका में काम करने के लिए किसी कंपनी को कर्मचारी की तनख्वाह से ज्यादा रकम सिर्फ वीजा के नाम पर देनी होगी। यह कदम अमेरिकी कंपनियों के लिए भले ही सिरदर्द साबित हो, लेकिन भारत के लिए इसे एक्सपर्ट्स "गोल्डन चांस" मान रहे हैं।
अमेरिका को मिलेगा झटका, भारत को फायदा!
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि H-1B वीजा फीस में इस भारी बढ़ोतरी से अमेरिका की कंपनियों पर खर्च का पहाड़ टूटेगा। जो कंपनियां अब तक सस्ते भारतीय टैलेंट को वहां बुलाकर काम करवा रही थीं, उन्हें अब यह बेहद महंगा पड़ेगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिकी कंपनियां इस अतिरिक्त खर्च से बचने के लिए दो रास्ते अपनाएंगी:
भारतीय IT कंपनियों को ज्यादा प्रोजेक्ट देकर काम भारत से ही करवाना।
भारत में अपने GCC (Global Capability Centers) खोलना और हजारों नौकरियां सीधे यहीं पैदा करना।
यानी ट्रम्प के इस कदम से अमेरिका का नुकसान ज्यादा होगा, लेकिन भारत को सीधा फायदा मिलेगा।
भारतीय कंपनियों पर होगा हल्का असर :
गौरतलब है कि आईटी कंसल्टेंसी फर्म EIIR Trend के सीईओ पारेख जैन के मुताबिक, इस फैसले से भारतीय आईटी कंपनियों को शुरुआती नुकसान जरूर होगा क्योंकि कई प्रोजेक्ट्स में कुछ लोगों को अमेरिका जाकर काम करना पड़ता है। लेकिन अब कंपनियां ज्यादा काम भारत से ही कराने पर मजबूर होंगी। माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी टेक कंपनियां पहले से ही भारत में बड़े-बड़े कैंपस खोल चुकी हैं। अब वे यहां और ज्यादा निवेश करेंगी।
भारत में टैलेंट की वापसी, मिलेंगे नए मौके :
विदित है कि रिक्रूटमेंट फर्मों का कहना है कि ट्रंप के इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा भारत के युवाओं को मिलेगा। Quess IT Staffing के सीईओ कपिल जोशी ने कहा,
“अब अमेरिका में काम करना बेहद महंगा हो गया है। ऐसे में कंपनियां ज्यादा काम भारत में लाएंगी। इससे यहां नौकरियों की बाढ़ आएगी। जो लोग पहले विदेश गए थे, वे भी भारत लौट सकते हैं।” इससे भारत में न सिर्फ रोजगार के नए अवसर बनेंगे बल्कि यहां का टैलेंट और इनोवेशन दुनिया के सामने और मजबूत होगा।
भारत के लिए "जैकपॉट" साबित हो सकता है यह फैसला :
गौरतलब है कि ट्रंप प्रशासन ने भले ही यह फैसला अमेरिकी नौकरियों को सुरक्षित करने के लिए लिया हो, लेकिन असल में इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को होता दिख रहा है। अमेरिका में काम करना जहां अब लग्ज़री बन जाएगा, वहीं भारत में हजारों नई नौकरियां निकलेंगी।
जानें क्या है H-1B वीजा :
आपको बता दें कि H-1B वीज़ा अमेरिका का वर्क वीज़ा है, जिसके तहत अमेरिकी कंपनियाँ विदेशी प्रोफेशनल्स (जैसे आईटी इंजीनियर, डॉक्टर, मैनेजर आदि) को स्पेशलाइज्ड नौकरियों में रख सकती हैं। यह वीज़ा नियोक्ता (Employer) द्वारा स्पॉन्सर किया जाता है, आमतौर पर 3 साल के लिए मिलता है और 6 साल तक बढ़ाया जा सकता है। हर साल इसकी लिमिट तय होती है और लॉटरी सिस्टम से सिलेक्शन होता है। यही वीज़ा आगे चलकर ग्रीन कार्ड (Permanent Residency) का रास्ता भी खोलता है।
ट्रम्प प्रशासन का यह कदम भारत के युवाओं और टेक इंडस्ट्री के लिए उम्मीद की बड़ी किरण है। अब सवाल यह है कि क्या भारत इस मौके का सही दिशा में फायदा उठा पाएगा?