अटकलों पर लगा विराम! : एनडीए ने...सी.पी. राधाकृष्णन होगे उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार वही?
अटकलों पर लगा विराम!

राजनीति: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए अपना आधिकारिक प्रत्याशी घोषित किया है। यह निर्णय 17 अगस्त 2025 को भाजपा संसदीय बोर्ड की बैठक में लिया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने की।

अनुभव और संगठन से जुड़ा चेहरा: 

67 वर्षीय राधाकृष्णन लंबे समय से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे हैं। वे अन्य पिछड़ा वर्ग (गाउंडर समुदाय, तमिलनाडु) से आते हैं और संगठनात्मक कार्यों में उनकी भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। उनके नाम की घोषणा को दक्षिण भारत में राजनीतिक पैठ बढ़ाने और अन्य पिछड़ा वर्ग को साधने की रणनीति माना जा रहा है।


 संवैधानिक परिस्थिति और चुनाव की घोषणा: 

यह चुनाव विशेष परिस्थितियों में हो रहा है क्योंकि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से त्यागपत्र दे दिया। इसके परिणामस्वरूप, निर्वाचन आयोग ने 9 सितम्बर 2025 को मतदान कराने का निर्णय लिया। यह प्रक्रिया संविधान के प्रावधान "यथाशीघ्र चुनाव" के अंतर्गत की जा रही है।


 राजनीतिक महत्व और विरोधी खेमे की स्थिति: 

एनडीए का यह निर्णय केवल प्रत्याशी चयन भर नहीं है, बल्कि सामाजिक और भौगोलिक संतुलन साधने का प्रयास भी है। भाजपा ने इससे स्पष्ट संकेत दिया है कि वह दक्षिण भारत और पिछड़े वर्ग दोनों को विशेष महत्व दे रही है।

इस कदम से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी संतुष्ट है, क्योंकि राधाकृष्णन लंबे समय से उसकी विचारधारा से जुड़े रहे हैं। दूसरी ओर, विपक्षी इंडिया गठबंधन अपने प्रत्याशी और रणनीति पर विचार कर रहा है, विशेषकर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) जैसी सहयोगी पार्टियों की राय को ध्यान में रखते हुए।


 निर्वाचन प्रक्रिया और संभावित परिणाम: 

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) के सभी सांसदों द्वारा किया जाता है। वर्तमान में एनडीए के पास पर्याप्त बहुमत है, इसलिए राधाकृष्णन की जीत लगभग सुनिश्चित मानी जा रही है। विपक्ष एकजुट होकर भी संख्या बल की चुनौती से जूझ रहा है।


सी.पी. राधाकृष्णन का नामांकन कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है—यह संगठनात्मक अनुभव, सामाजिक संतुलन और राजनीतिक संदेश तीनों को साधता है।
9 सितम्बर 2025 को होने वाला मतदान यह तय करेगा कि वे भारतीय संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) के सभापति बनकर नए दायित्व संभालेंगे।

अन्य खबरे