नई दिल्ली : संसद के मानसून सत्र में सोमवार को सरकार एक ऐसा विधेयक पेश करने जा रही है, जो आम लोगों और कारोबारियों की जिंदगी आसान बनाने वाला साबित हो सकता है। यह है - जन विश्वास (संशोधन) विधेयक, 2025, जिसे वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल लोकसभा में पेश करेंगे।
जानें क्या है इस विधेयक का मकसद :
आपको बता दें कि विधेयक का मकसद निम्नलिखित है
●छोटे-मोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना
●बेवजह जेल भेजने की परंपरा खत्म करना
●नागरिकों और कारोबारियों को “भरोसे आधारित शासन” का अनुभव देना
350 से अधिक प्रावधानों में बदलाव :
गौरतलब है कि इस नए विधेयक में 350 से ज्यादा प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है। कई अपराधों में कारावास की जगह सिर्फ जुर्माना होगा। इसके साथ ही अब मामूली उल्लंघन को अब अपराध नहीं माना जाएगा। इसका सीधा असर “Ease of Living” और “Ease of Doing Business” पर पड़ेगा। एक अधिकारी के मुताबिक, यह कानून नागरिकों को राहत देने के साथ-साथ देश के कारोबारी माहौल को भी और अनुकूल बनाएगा।
पीएम मोदी का विज़न :
विदित है कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि : “हमारे देश में ऐसे कानून हैं, जो मामूली बातों पर भी जेल भेज देते हैं। मैंने तय किया है कि ऐसे कानून खत्म किए जाएंगे, ताकि आम आदमी और व्यापारी बिना डर अपना काम कर सके।” इसी कड़ी में पहले जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अधिनियम, 2023 पारित किया गया था, जिसके तहत 19 मंत्रालयों के 42 केंद्रीय अधिनियमों से 183 प्रावधानों को अपराध-मुक्त किया गया था।
जानें सरकार का रिकॉर्ड :
आपको बता दें कि अब तक 40,000 से ज्यादा अनावश्यक प्रावधान खत्म किए गए। इसके साथ ही 1,500 से ज्यादा पुराने और अप्रासंगिक कानून समाप्त हो चुके। 2023 में लाए गए जन विश्वास अधिनियम से कई मंत्रालयों ने कारावास हटाकर सिर्फ जुर्माना रखा।
जनता और कारोबारियों के लिए राहत :
आपको बता दें कि सरकार के इन कदम से जनता और कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी। छोटे-छोटे मामलों पर जेल जाने का खतरा खत्म होगा। कारोबारियों को अनावश्यक मुकदमों और जेल की धमकी से छुटकारा मिलेगा। प्रशासन पर भरोसा बढ़ेगा और सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी।
कुल मिलाकर, यह विधेयक सरकार के उस विज़न का हिस्सा है, जिसमें कहा गया है कि “कानून डराने के लिए नहीं, भरोसा दिलाने के लिए होने चाहिए।”