नई दिल्ली : देशभर में बढ़ती ऑनलाइन ठगी, नकली वेबसाइटों और ब्रांड की नकल कर लोगों से पैसा लूटने के मामलों पर दिल्ली हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने डोमेन नाम रजिस्ट्रेशन के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य कर दिया है। अब इंटरनेट पर ‘फर्जी पहचान’ बनाकर वेबसाइट लॉन्च करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा।
कोर्ट ने क्या कहा?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके साथ ही कोर्ट ने साफ कह दिया है कि -
●डोमेन लेते समय पहचान छिपाने की सुविधा अब ऑटोमैटिक नहीं मिलेगी।
●गलत इस्तेमाल का पता चलते ही डोमेन तुरंत लॉक, ब्लॉक या सस्पेंड करें।
●जिन डोमेनों से धोखाधड़ी हुई, वे हमेशा के लिए बंद किए जाएं।
यह आदेश उन मामलों की सुनवाई के दौरान आया, जिनमें टाटा स्काई, अमूल, बजाज फाइनेंस, डाबर, मीशो, क्रोमा, कोलगेट और आईटीसी जैसे बड़े ब्रांड साइबर ठगी के शिकार हुए थे।
कैसे चल रही थी ठगी की ‘ऑनलाइन फैक्ट्री’?
गौरतलब है कि ठगी की ऑनलाईन प्रक्रिया बड़ी शातिर तरीके से की जाती रही। इसके तहत बड़ी कंपनियों की ब्रांडिंग कॉपी कर नकली वेबसाइटें बनाई जाती थीं। साथ ही नौकरी, फ्रेंचाइजी, डीलरशिप का झांसा दिया जाता था और भारी रजिस्ट्रेशन शुल्क ठग लिया जाता था। लोग असली और नकली वेबसाइट में फर्क नहीं कर पाते थे। नतीजतन इससे करोड़ों की साइबर ठगी हुई।
हाईकोर्ट का सख्त आदेश; अब इंटरनेट पर कोई ‘Anonymous वेबसाइट’ नहीं चलेगी
विदित है कि न्यायमूर्ति प्रतिबा एम. सिंह ने कहा कि डोमेन नाम किसी कंपनी की ऑनलाइन पहचान है। इसे गलत हाथों में जाने देना आम जनता की सुरक्षा से खिलवाड़ है। कोर्ट ने डोमेन रजिस्ट्रार पर 5 बड़े दायित्व डाल दिए-
1. ई-केवाईसी अनिवार्य
अब हर डोमेन खरीदने वाले की पहचान सरकारी दस्तावेजों से वेरिफाई होगी।
2. पहचान छिपाने की सुविधा खत्म
पहले लोग “प्राइवेसी प्रोटेक्शन” लेकर अपनी असली पहचान छिपा लेते थे। अब यह ऑटोमैटिक नहीं मिलेगा। सिर्फ ऐड-ऑन सुविधा के रूप में ही मिलेगा।
3. 72 घंटे के भीतर पूरी जानकारी सुरक्षित करें
डोमेन का मालिक कौन है?
उनका पता क्या है?
फोन, ईमेल, भुगतान का तरीका, आईपी एड्रेस सब कुछ रजिस्ट्रार को 72 घंटे के भीतर सुरक्षित रखना होगा।
4. जांच एजेंसियों और कंपनियों को जानकारी तुरंत दें
ट्रेडमार्क मालिक या पुलिस मांगे तो डोमेन मालिक का पूरा डेटा देना अनिवार्य होगा।
5. ठगी में पकड़े गए डोमेन हमेशा के लिए बंद
ऐसे डोमेन अब दोबारा एक्टिव नहीं होंगे।
बैंकों पर भी बड़ा निर्देश; अब बिना नाम मैच किए भुगतान नहीं :
हाईकोर्ट ने कहा कि :
●बैंक ऑनलाइन पेमेंट में सुरक्षा बढ़ाएँ।
●पैसे भेजने से पहले “बेनिफिशियरी नेम मैचिंग” अनिवार्य करें।
●संदिग्ध खातों को तुरंत ब्लॉक करें।
इससे UPI, नेट बैंकिंग और अन्य पेमेंट में धोखाधड़ी रुक सकेगी।
इस फैसले से क्या बदलेगा?
●फर्जी वेबसाइटें बनाना मुश्किल
●ब्रांड का नाम कॉपी कर ठगी करना असंभव
●ई-कॉमर्स, बैंकिंग और जॉब फ्रॉड में भारी कमी
●आम लोगों की ऑनलाइन सुरक्षा मजबूत
●कंपनियों की ब्रांड पहचान सुरक्षित
हाईकोर्ट के इस आदेश से अब ऑनलाइन ठगी करने वालों की खैर नहीं होगी। यह फैसला देश की डिजिटल सुरक्षा के लिए टर्निंग पॉइंट माना जा रहा है। अब इंटरनेट पर कोई भी बिना पहचान के “फर्जी वेबसाइट” नहीं खड़ी कर पाएगा। साइबर क्राइम को रोकने के लिए यह अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई मानी जा रही है।