समाज: देश में पहचान का सबसे बड़ा प्रमाण पत्र आधार कार्ड अब एक बड़े विवाद के केंद्र में है। UIDAI (Unique Identification Authority of India) की हाल की समीक्षा में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि देश में लगभग 6 करोड़ ऐसे लोगों के आधार कार्ड अभी भी सक्रिय हैं, जिनकी मौत हो चुकी है। ये वे लोग हैं जिनका निधन कई साल पहले हो चुका है, मगर उनका आधार नंबर सरकारी सिस्टम में “लाइव” बना हुआ है।
यह खुलासा इतना गंभीर है कि UIDAI ने इसे राष्ट्रीय स्तर का जोखिम मानते हुए पूरे भारत में एक मेगा वेरिफिकेशन ड्राइव शुरू कर दी है, जिसमें राज्यों के रजिस्ट्रार, नगर निगम, ग्राम पंचायतें और स्वास्थ्य विभाग सक्रिय रूप से शामिल किए जा रहे हैं।
भारत में आधार का दायरा इतना बड़ा कि छोटी गलती भी बड़ा खतरा बन सकती हैं।
भारत में आज लगभग 140 करोड़ से ज्यादा आधार कार्ड जारी किए जा चुके हैं। आधार की जरूरत-
•बैंक खाता खोलने
•सिम कार्ड लेने
•राशन कार्ड सत्यापन
•सरकारी योजनाओं में DBT
•गैस सब्सिडी
•अस्पताल में इलाज
•पासपोर्ट
•पेंशन
•प्रॉपर्टी खरीद-बिक्री
•बच्चों के स्कूल एडमिशन
•आयुष्मान कार्ड
हर जगह पड़ती है। इसलिए मृतक व्यक्ति के आधार कार्ड का सक्रिय रहना सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और कल्याणकारी योजनाओं के लिए बड़ा खतरा है।
मृत व्यक्ति का आधार कैसे बना जोखिम? UIDAI की रिपोर्ट में 5 बड़े खतरे
1️⃣ सरकारी योजनाओं में करोड़ों का फर्जी भुगतान
कई राज्यों से UIDAI को रिपोर्ट मिली कि जिनकी मौत 4-10 साल पहले हो गई, वे आज भी रिकॉर्ड में लाभार्थी दिख रहे हैं। कुछ मामलों में उनके नाम पर सब्सिडी, पेंशन और सामाजिक लाभ लिया जा रहा है।
2️⃣ मृतक आधार से फर्जी बैंक खाते खोले जा रहे हैं
साइबर थिंक-टैंक के मुताबिक मृतक लोगों के आधार नंबर का इस्तेमाल, कर्ज लेने, फर्जी अकाउंट खोलने, ई-वॉलेट चलाने, फर्जी KYC पूरा करने में किया गया। चूंकि मृत व्यक्ति शिकायत नहीं कर सकता, इसलिए फ्रॉडर्स इन्हीं पहचान नंबरों को निशाना बनाते हैं।
3️⃣ मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी गतिविधि की आशंका
जांच एजेंसियों ने चेतावनी दी है कि मृतक आधार नंबर का इस्तेमाल, हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग, फर्जी निवेश, अपराधियों की पहचान छिपाने में भी किया जा सकता है।
4️⃣ बैंकिंग सिस्टम में गलत KYC डेटा
रिपोर्ट कहती है कि कई पुराने खातों में मृतक व्यक्तियों के आधार को ऑटो-सीड कर दिया गया था, जिससे KYC गलत तरीके से वैध दिखने लगी।
5️⃣ डिजिटल इंडिया मिशन को बड़ा झटका
अगर आधार डेटा गलत बना रहा, तो
•फ़िनटेक सिस्टम
•DBT नेटवर्क
•सब्सिडी वितरण
•डिजिटल गवर्नेंस
इन सबमें गड़बड़ी बढ़ती जाएगी।
यह गलती हुई कहाँ से? UIDAI की जांच में 3 बड़ी कमियाँ सामने आईं
1️⃣ राज्य सरकारों के डेथ रजिस्ट्रेशन का डेटा आधार से लिंक नहीं
भारत में हर साल लाखों मृत्यु होती हैं, लेकिन सभी का डेटा UIDAI को नहीं भेजा जाता। कई राज्यों में डेथ रजिस्ट्रेशन ही अधूरा है।
2️⃣ परिवार UIDAI को मृत्यु की सूचना नहीं देते
कई परिवारों को पता ही नहीं कि “मृत्यु के बाद आधार निष्क्रिय करवाना जरूरी है।” आधार वैसा ही सक्रिय रह जाता है।
3️⃣ अस्पताल, पंचायतें और निगम UIDAI को रिपोर्ट नहीं भेजते
ग्राउंड लेवल पर डेटा ट्रांसफर में भारी देरी होती है।
UIDAI कैसे हल करेगा यह संकट? 7 बड़े कदम शुरू
UIDAI ने देशभर में जो अभियान शुरू किया है, उसमें शामिल हैं:
1️⃣ राष्ट्रीय स्तर पर “Death Aadhaar Linking Project” की शुरुआत
मृत्यु प्रमाण पत्र बनते ही उसी दिन आधार निष्क्रिय करने की योजना। इसे कई राज्यों में ट्रायल के रूप में लॉन्च किया गया है।
2️⃣ सभी राज्यों को 10 साल की मृतकों की सूची UIDAI को भेजने के आदेश
UIDAI अभी राज्यवार डेटा मिला रहा है।
3️⃣ सभी सरकारी योजनाओं में मृत लाभार्थियों की पहचान
PM-Kisan, वृद्धावस्था पेंशन, विधवा पेंशन, मनरेगा आदि से मृत प्रविष्टियों को हटाया जा रहा है।
4️⃣ आधार-आधारित KYC में नई फ्रॉड-डिटेक्शन टेक्नोलॉजी
UIDAI एक AI सिस्टम ला रहा है जो
•संदिग्ध लेनदेन
•फर्जी बायोमेट्रिक
•असामान्य KYC
को तुरंत ब्लॉक करेगा।
5️⃣ अस्पतालों और पंचायतों को डिजिटल पोर्टल से जोड़ा जा रहा है
ताकि मृत्यु का रिकॉर्ड 24 घंटे के भीतर UIDAI तक पहुँचे।
6️⃣ परिवारों के लिए “Online Death Update” प्रक्रिया
UIDAI अपने सेल्फ-सर्विस पोर्टल और मोबाइल ऐप पर यह सुविधा जोड़ रहा है।
7️⃣ मृतक आधार पर चल रहे अकाउंट्स को फ़्लैग करने की सिस्टमिक योजना
बैंकों को भी निर्देश दिए गए हैं कि मृतक खातों की तुरंत समीक्षा करें।
आधार कार्ड से जुड़े जरूरी तथ्य जो आपकी खबर को और मजबूत बनाते हैं
2009 में लॉन्च
आधार परियोजना की शुरुआत मनमोहन सिंह सरकार के समय 2009 में हुई।
12 अंकों की यूनिक पहचान
दुनिया की सबसे बड़ी बायोमेट्रिक ID प्रणाली। आधार में जन्म/मृत्यु दोनों अपडेट करना जरूरी पर बहुत कम लोग अपडेट करते हैं।
आधार को 100+ योजनाओं से लिंक किया गया
PM-Kisan, LPG, DBT, राशन, पेंशन, आवास, आयुष्मान योजना आदि। मृतक आधार का सक्रिय रहना एक राष्ट्रीय सुरक्षा जोखिम क्योंकि यह अपराध पैसा हेराफेरी फर्जी पहचान सब बढ़ा सकता है।
सवाल उठ रहे हैं, सिस्टम में इतनी बड़ी चूक कैसे?
सोशल मीडिया पर लोग पूछ रहे हैं “क्या UIDAI ने कभी मृतक आधार की समीक्षा नहीं की?, क्या सरकारी योजनाओं में हजारों करोड़ गलत हाथों में गए?, क्या मेरे आधार नंबर पर भी कोई फर्जी अकाउंट चल रहा हो सकता है?”
सरकार ने कहा है कि पूरा मामला जांच में है और रिपोर्ट अगले कुछ महीनों में सार्वजनिक होगी।
UIDAI की अपील: अपने परिवार में किसी की मृत्यु हो तो आधार अवश्य निष्क्रिय कराएं
UIDAI ने पहली बार एक आधिकारिक जागरूकता नोट जारी किया है कि मृत्यु के बाद आधार अपडेट करना अनिवार्य है। वरना उस व्यक्ति के नाम पर कोई भी फ्रॉड हो सकता है।
निष्कर्ष:
6 करोड़ मृतकों के सक्रिय आधार कार्ड का खुलासा सिर्फ एक डेटा गलती नहीं, बल्कि एक सिस्टमिक फेल्योर है जिसने देश की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, बैंकिंग और DBT योजनाओं की नींव को सवालों में डाल दिया है।
UIDAI ने अब इसे ठीक करने के लिए सबसे बड़ा सत्यापन अभियान शुरू किया है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इसे तुरंत सुधारा नहीं गया तो आने वाले समय में यह और भी बड़ा संकट बन सकता है।