नई दिल्ली/तकनीकी : भारत में अब बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को लेकर बड़ा बदलाव होने जा रहा है। डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट 2023 के नए नियमों के मुताबिक, अब 18 साल से कम उम्र के बच्चे बिना माता-पिता की सहमति के सोशल मीडिया अकाउंट नहीं बना सकेंगे। नियमों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा।
जानें क्या है नया नियम?
आपको बता दें कि नए नियम के अनुसार अब 18 साल से कम उम्र के बच्चों के डेटा के लिए माता-पिता की सहमति जरूरी होगी। सोशल मीडिया अकाउंट; फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर सख्त नियंत्रण रहेगा। अब बच्चों की ट्रैकिंग और टारगेटेड ऐड पर पूरी तरह रोक रहेगी।
कंपनियों की नई जिम्मेदारियां:
डेटा लेने से पहले बताना होगा कि क्यों लिया जा रहा है
डेटा सिर्फ बताए गए काम के लिए ही इस्तेमाल कर सकेंगी यानी इसका सीमित इस्तेमाल ही हो सकेग।
डेटा लीक होने पर तुरंत सूचना देना अनिवार्य
नियम तोड़ने पर भारी जुर्माना देना होगा।
बच्चों के लिए क्या होगी प्रक्रिया:
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बच्चे को अकाउंट बनाते समय अब उम्र बतानी होगी। अब माता-पिता को डिजिटल तरीके से सहमति देनी होगी। साथ ही सहमति के लिए आधार/पासपोर्ट जैसे ID की जरूरत पड़ेगी। माता-पिता कभी भी सहमति वापस ले सकते हैं।
नियम तोड़ने पर सजा :
गौरतलब है कि नियम को तोड़ने पर कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगेगा। डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड जांच करेगा। साथ ही यूजर्स अब ऑनलाइन शिकायत कर सकेंगे।
विशेषज्ञों की राय और चुनौतियां:
विदित है कि साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम बच्चों को ऑनलाइन शोषण और साइबर बुलिंग से बचाने में मददगार साबित होगा। हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं:
● बच्चे झूठी उम्र बता सकते हैं
● ग्रामीण इलाकों में ID वेरिफिकेशन मुश्किल होगा।
● AI तकनीक अभी पूरी तरह सटीक नहीं है।
आम लोगों के लिए फायदे:
इस नए क़ानून से बच्चों की प्राइवेसी सुरक्षित रहेगी। माता-पिता का बेहतर नियंत्रण होगा। साथ ही डेटा मिसयूज से सुरक्षा रहेगा। और ऑनलाइन शोषण में कमी होगी।
निष्कर्ष :
यह नया कानून भारत के डिजिटल इकोसिस्टम में एक बड़ा बदलाव लाने वाला है और बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा को नई दिशा देगा। नियमों को 18 महीने के चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।