उत्तराखंड/हरियाणा/महाराष्ट्र : जिस फार्मा इंडस्ट्री पर देश की सेहत टिकी होती है, वहीं से अब नशे की डिलीवरी हो रही थी। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मंगलवार को उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र के 15 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी कर नशे के सौदागरों को झकझोर कर रख दिया है। इस कार्रवाई का मकसद नशा तस्करी के उस खतरनाक गठजोड़ को बेनकाब करना था, जिसमें फार्मा कंपनियां, ड्रग पैडलर्स और अवैध धन का संगठित नेटवर्क शामिल है।
उत्तराखंड बना था नशे का गढ़ :
आपको बता दें कि ईडी ने उत्तराखंड के ऋषिकेश, हरिद्वार और काशीपुर में स्थित 5 प्रमुख फार्मा कंपनियों पर छापे मारे, जिनके नाम हैं:
●सीबी हेल्थकेयर (CB Healthcare)
●सीमिलेक्स फार्माकेम ड्रग्स इंडस्ट्रीज
●बायोजेनिक ड्रग्स प्राइवेट लिमिटेड
●सोल हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड
●एस्टर फार्मा (Aster Pharma)
इन कंपनियों पर दवा निर्माण की आड़ में प्रतिबंधित और नशीली दवाओं का उत्पादन करने और उन्हें तस्करों को बेचे जाने का आरोप है।
20 करोड़ टैबलेट्स! शक के घेरे में प्रोडक्शन डाटा :
ईडी के सूत्रों के अनुसार एक दवा का कुछ ही महीनों में 20 करोड़ टैबलेट्स का उत्पादन किया गया, जबकि बाजार में उसकी मांग बेहद सीमित थी। इस ‘असामान्य प्रोडक्शन’ ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया।
कौन है एलेक्स पालीवाल? ड्रग सिंडिकेट का मास्टरमाइंड :
गौरतलब है कि इस केस में गिरफ्तार ड्रग पैडलर एलेक्स पालीवाल से हुई पूछताछ के आधार पर ही फार्मा कंपनियों की भूमिका सामने आई। एलेक्स ने खुलासा किया कि कैसे फार्मा कंपनियां कच्चे माल की खरीद में हेरफेर कर, विपणन कंपनियों के ज़रिए दवाओं को तस्करों तक पहुंचाती थीं।
मनी लॉन्ड्रिंग और बेनामी संपत्ति का बड़ा खेल :
आपको बता दें कि ईडी को शक है कि इन फार्मा कंपनियों ने नशे के व्यापार से कमाए कई करोड़ रुपये को दूसरे नामों से रियल एस्टेट, शेल कंपनियों और विदेशी खातों में निवेश किया। इसीलिए अब मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जांच शुरू की गई है। जल्द ही कई संपत्तियां अटैच की जा सकती हैं।
6 राज्यों में फैला नशे का नेटवर्क! ये हैं प्रमुख ठिकाने :
●उत्तराखंड: ऋषिकेश, हरिद्वार, काशीपुर
●उत्तर प्रदेश: बरेली, लखनऊ
●पंजाब: लुधियाना
●हिमाचल प्रदेश: बद्दी
●राजस्थान: जयपुर
●महाराष्ट्र: मुंबई, ठाणे
इन सभी जगहों पर फार्मा कंपनियों, गोदामों, ऑफिसों और संदिग्ध एजेंट्स के घरों पर छापेमारी की गई।
नशे की खेप पहुंच रही थी स्कूल-कॉलेजों तक! -
आपको बता दें कि ईडी के सूत्रों के अनुसार ये दवाएं सिर्फ तस्करी के ज़रिए विदेश या शहरों तक ही नहीं, बल्कि कई स्कूल-कॉलेज और युवा समूहों तक भी पहुंचाई जा रही थीं। यह जनरेशन ड्रग्स को टारगेट करने वाली सबसे संगठित साजिश मानी जा रही है।
कंपनियों के लाइसेंस हो सकते रद्द :
विदित है कि स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी को भी इस केस की जानकारी दे दी गई है। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो इन कंपनियों के दवा निर्माण और वितरण के लाइसेंस रद्द किए जा सकते हैं।
जब दवा बनाने वाली कंपनियां ही नशे का व्यापार करने लगें, तो जनता का भरोसा टूटना तय है। ईडी की यह कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है। सूत्रों का दावा है कि यह नेटवर्क देशभर के कई मेडिकल हब से जुड़ा है। आने वाले हफ्तों में बड़े नाम और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।