पेगासस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला!: इन कारणों से रिपोर्ट नहीं होगी सार्वजनिक और...जानें क्या है पेगासस मामला और क्यों था चर्चा में?
पेगासस रिपोर्ट पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला!

 नई दिल्ली: भारत के सबसे बड़े जासूसी कांड कहे जा रहे पेगासस मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने एक सनसनीखेज फैसला सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि टेक्निकल पैनल की पूरी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने कहा – "देश की सुरक्षा और संप्रभुता से जुड़ी जानकारी सड़कों पर चर्चा के लिए नहीं हो सकती!"

क्या है पेगासस कांड?

गौरतलब है कि 2019 में एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट ने दावा किया कि इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल भारत में नेताओं, पत्रकारों, अफसरों और एक्टिविस्ट्स की जासूसी के लिए किया गया। इस खुलासे से भारत में भूचाल आ गया और मामला अगस्त 2021 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। कोर्ट ने एक टेक्निकल पैनल गठित किया जिसने जांच कर रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को सौंपी थी।

टेक्निकल पैनल की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं होगी

सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने आज पेगासस जासूसी विवाद में तकनीकी पैनल की रिपोर्ट सार्वजनिक करने से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, “यह रिपोर्ट सड़क पर चर्चा का दस्तावेज नहीं बन सकती। देश की संप्रभुता और सुरक्षा से जुड़ी कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकती।”

‘निजता बनाम राष्ट्रीय सुरक्षा’ की टकराहट

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह स्पष्ट किया कि पैनल की रिपोर्ट व्यक्तिगत रूप से उन लोगों से साझा की जा सकती है जो यह जानना चाहते हैं कि वे पेगासस निगरानी का शिकार बने या नहीं। कोर्ट ने कहा, "हम विचार कर सकते हैं कि तकनीकी रिपोर्ट से जुड़ी सीमित जानकारी कुछ व्यक्तियों के साथ कैसे साझा की जाए।"


सिब्बल की दलीलों पर क्या हुआ?

वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि “व्हाट्सएप ने खुद ही हैकिंग की पुष्टि की थी। अमेरिकी अदालतों ने भी इसे स्वीकारा है।”
वहीं याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने मांग की कि 2021 में बनी रिपोर्ट सभी याचिकाकर्ताओं को साझा की जाए।

लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि 30 जुलाई को अगली सुनवाई होगी, और तब तय किया जाएगा कि किस हद तक रिपोर्ट किसी व्यक्ति विशेष से साझा की जा सकती है।

तो क्या अब भी जासूसी का रहस्य बना रहेगा?

कोर्ट का यह फैसला सरकार के पक्ष को मजबूती देता है, लेकिन इससे विपक्ष और एक्टिविस्ट्स की बेचैनी बढ़ सकती है, क्योंकि रिपोर्ट की गोपनीयता से यह सवाल और गहराता है कि आखिर सरकार छिपा क्या रही हैआपको बता दे कि पेगासस सिर्फ एक स्पाइवेयर नहीं, बल्कि भारत के लोकतंत्र, निजता और सरकार की पारदर्शिता पर एक कड़ा सवाल है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला जहां राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, वहीं इससे लोगों के मन में यह शंका भी बनी रहेगी – “क्या सच कभी सामने आएगा?”

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