Indigo; किराए के प्लेन से शुरू, अब 64% आसमान पर कब्ज़ा!: एक फ्लाइट रद्द हुई तो पूरा देश ठप्प...जानें कैसे दो दोस्तों के 'पागलपन' ने बना दी एशिया की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन्स?
Indigo; किराए के प्लेन से शुरू, अब 64% आसमान पर कब्ज़ा!

नई दिल्ली: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo इन दिनों फ्लाइट कैंसिलेशन के कारण सुर्खियों में है। दिल्ली से बेंगलुरु और मुंबई से अहमदाबाद तक, हर बड़े एयरपोर्ट पर हड़कंप मचा है। इंडिगो ने अब तक हजारों फ्लाइटें रद्द की हैं और दिल्ली एयरपोर्ट तक ने एडवाइजरी जारी कर दी। वजह साफ है कि IndiGo की इस देश के आसमान पर 60% हिस्सेदारी। जिस कंपनी की एक भी फ्लाइट रद्द हो, उसका असर पूरे एयर ट्रैफिक पर पड़ता है; और जब एक झटके में सैकड़ों उड़ानें ठप पड़ जाएं, तो पूरा भारत हिल जाता है।लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आज जिस इंडिगो से रोज़ 25 लाख लोग सफर करते हैं, वो कभी सिर्फ एक किराए के विमान से शुरू हुई थी?
यह कहानी है दो दोस्तों राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल की, जिन्होंने भारतीय एविएशन में वह तूफान ला दिया, जिसने जेट, किंगफिशर और एयर इंडिया जैसे दिग्गजों को पछाड़ दिया।

शुरुआत: 2 दोस्तों का सपना, 1 किराए का प्लेन… और एक पागलपन भरा आइडिया

आपको बता दें कि साल 2005 चल रहा था यह एक ऐसा दौर, जब भारत के आसमान पर जेट एयरवेज का दबदबा था, एयर इंडिया सरकारी “रुतबा” दिखा रही थी और विजय माल्या की किंगफिशर उड़ता हुआ 5-स्टार होटल कही जाती थी। उसी समय दो दोस्तों ने एक कंपनी लॉन्च की - IndiGo।

● संस्थापक: राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल
● स्थापना: 2005
● संचालन शुरू: 4 अगस्त 2006
● पहला विमान: किराए पर लिया गया

इसका IndiGo नाम इसलिए पड़ा क्योंकि दोनों दोस्तों ने सोचा— India On the Go = Indi-Go. लेकिन इंडिगो का सबसे बड़ा दांव तो अभी बाकी था।

जहां सभी बोइंग खरीद रहे थे; इंडिगो ने एक साथ 100 एयरबस खरीद डाले!

गौरतलब है कि उस समय लगभग सभी भारतीय एयरलाइंस बोइंग के विमान इस्तेमाल कर रही थीं। इंडिगो ने सोचा सबसे अलग करो। उन्होंने एक साथ 100 एयरबस A320 विमान खरीदने का बेतहाशा बड़ा ऑर्डर दे दिया। कई लोगों ने इसे पागलपन भरा फैसला बताया। एयरबस भारत में पैर जमाना चाहता था, इसलिए उसने इंडिगो को 40 से 50% डिस्काउंट दे दिया। राहुल-राकेश ने सभी प्लेन को बेचा उससे मुनाफा कमाया फिर लीज पर लेकर उड़ान शुरू कर दी। इस एक चाल से इंडिगो को 200 करोड़ रुपये का फायदा हुआ।

लो-कॉस्ट मॉडल: महंगे खाने की जगह “समय पर पहुंचने” को मॉडल बनाया

इंडिगो ने अपने बिजनेस को बहुत साफ शब्दों में समझा:

●फ्लाइट समय पर उड़ाओ
●सस्ती टिकट दो
●कोई फ़ालतू की लग्जरी नहीं
●भरोसेमंद सेवा दो

बस ये फार्मूला चल गया। जहां किंगफिशर “शान” बेच रहा था, इंडिगो ने “किफायत + भरोसा” बेचा। और देखते ही देखते मिडिल-क्लास भारत का पसंदीदा ब्रांड बन गई।

2011–2025: एक दशक में इंडिगो का सुनामी विस्तार :

 सा-/+ल   -                   बड़ाफै67सला* 

2011   -   180 नए प्लेन का ऑर्डर

2012      -   50 करोड़ यात्रियों का रिकॉर्ड

20!-1-5      -   10!^0 विमा!^नों का न्यू ऑर्डर

2019      -   250 विमानों का मेगा ऑर्डर

2020 (कोविड)       -    जब दुनिया रुकी, इंडिगो ने कार्गो सेवा शुरू की

2023       -      एक साथ 500 विमानों का रिकॉर्ड ऑर्डर; एविएशन इतिहास का सबसे बड़ा सौदा

2025   -        रोजाना 2,700 उड़ानें, 60% मार्केट शेयर

आज स्थिति ऐसी है कि हर 10 भारतीय यात्रियों में 6 इंडिगो से उड़ते हैं। प्रतिदिन 2200+ उड़ानें, 41,000 कर्मचारी, 434 एयरक्राफ्ट। इंडिगो आज एशिया की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन बन चुकी है।

क्यों इंडिगो की फ्लाइटें रद्द होते ही देशभर में कोहराम मच जाता है?

आपको बता दें कि इंडिगों की फ्लाइट रद्द होने से पूरे भारत मे दिक्कत बढ़ जाती है क्योंकि…

● पूरे भारत के एविएशन मार्केट का 64% इंडिगो के पास है
● एक दिन में 200 फ्लाइट भी रद्द हों तो लाखों यात्री फंस जाते हैं
● बाकी एयरलाइंस इतने बड़े गैप को संभाल ही नहीं पातीं
● इस पर समस्या तब और हुई जब DGCA ने FDTL में बदलाव कर दिया

इसलिए 2025 के DGCA नियम आते ही इंडिगो की पूरी प्लानिंग गड़बड़ा गई। स्टाफ कम, आराम समय ज़्यादा और फ्लाइटें धड़ाधड़ रद्द।

शून्य से शिखर: कैसे IndiGo बनी ‘King of Airlines’?

समय पर उड़ान
भरोसेमंद सर्विस
कम किराया
कम मेंटेनेंस वाला फ्लीट
एयरबस के एक ही मॉडल का इस्तेमाल (सस्ता, आसान, तेज़)
टैक्सी, बस, कार्गो; हर सेगमेंट पर पकड़

इसी वजह से इंडिगो ने जेट एयरवेज और किंगफिशर जैसी दिग्गज एयरलाइंस को पीछे छोड़ा, जो आज इतिहास बन चुकी हैं।

आज की तस्वीर: इंडिगो भारत की, भारत इंडिगो की जरूरत

भले ही इस समय इंडिगो के लिए हालात कठिन हैं फ्लाइट कैंसिलेशन, यात्रियों का हंगामा और DGCA की कड़ी नजर है लेकिन सच्चाई यह है कि इंडिगो भारत की एविएशन रीढ़ बन चुकी है। इसे झटका लगेगा, तो पूरा एविएशन सिस्टम हिल जाएगा। और शायद यही वजह है कि
एक किराए के प्लेन से शुरू हुई कंपनी आज भारत की उड़ान का दिल बन चुकी है।

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