महिला और बाल सुरक्षा: उत्तर प्रदेश का अंबेडकरनगर जिला इन दिनों बच्चियों और युवतियों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है। बीते एक महीने में यहां से कई लड़कियों के लापता होने की घटनाएं दर्ज हुई हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जिले के अलग-अलग थानों में 50 से अधिक अपहरण की एफआईआर दर्ज की गईं, वहीं कुछ परिवारों ने सामाजिक बदनामी के डर से शिकायत दर्ज ही नहीं कराई। दूसरी ओर रिपोर्ट में यह संख्या सात बताई गई है। आंकड़ों में यह बड़ा अंतर पूरे मामले को और गंभीर बना रहा है।
नाबालिग और कमजोर वर्ग पर बढ़ रहा खतरा:
ज्यादातर अपहृत बच्चियां नाबालिग और कमजोर आर्थिक पृष्ठभूमि से बताई जा रही हैं। अनुसूचित जाति और गरीब परिवारों की बच्चियां इस तरह की वारदातों की सबसे ज्यादा शिकार बनी हैं। कई मामलों में परिवारों का कहना है कि आरोपी युवक मोबाइल, पैसे और शादी का झांसा देकर उनकी बेटियों को अपने जाल में फंसा रहे हैं।
लव जिहाद का आरोप और सियासी रंग
विश्व हिंदू परिषद ने इन घटनाओं को ‘लव जिहाद’ का नाम दिया है। संगठन का कहना है कि मुस्लिम युवक सुनियोजित तरीके से हिंदू लड़कियों को प्रेम जाल में फंसाकर अपहरण और मतांतरण करा रहे हैं। हालांकि, पुलिस का कहना है कि अब तक किसी संगठित गिरोह या नेटवर्क के सबूत नहीं मिले हैं।
पुलिस का रुख और कार्रवाई:
अंबेडकरनगर के पुलिस अधीक्षक केशव कुमार ने कहा कि हर शिकायत पर तुरंत एफआईआर दर्ज की जा रही है। विशेषकर 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों के मामलों में बरामदगी और मजिस्ट्रेट के सामने बयान की प्रक्रिया प्राथमिकता पर की जा रही है। जांच में यह सामने आया है कि आरोपी अक्सर रुपये, मोबाइल और शादी का लालच देकर बच्चियों को बहलाते हैं। पुलिस ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
राजनीति का तूल:
अंबेडकरनगर के सांसद लालजी वर्मा ने कहा कि मौजूदा सरकार के कार्यकाल में महिला अपराधों में वृद्धि हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार बच्चियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रही है और विशेषकर कमजोर वर्ग की लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है।
अपहरण से मतांतरण तक का मामला
मालीपुर क्षेत्र से हाल ही में एक मामला सामने आया, जिसमें एक युवती को शादी का झांसा देकर अपहरण किया गया और बाद में मतांतरण कर निकाह करा दिया गया। अकबरपुर और अन्य इलाकों से भी ऐसे ही कई मामले दर्ज हुए हैं। परिजनों का आरोप है कि अपहरण के बाद जबरन धर्म परिवर्तन और निकाह के लिए दबाव बनाया गया।
आंकड़ों में विरोधाभास, सच्चाई पर सवाल:
एक ओर कुछ मीडिया रिपोर्टें एक महीने में 56 लड़कियों के गायब होने का दावा कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर स्थानीय समाचार पत्रों में यह संख्या सिर्फ सात बताई जा रही है। इससे साफ है कि घटनाओं की सच्चाई को लेकर अभी भी असमंजस बरकरार है।
अंबेडकरनगर की ये घटनाएं केवल स्थानीय नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की महिला सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़ा करती हैं। जब तक जांच पूरी नहीं होती, तब तक परिवारों की बेचैनी और बेटियों की सुरक्षा को लेकर चिंता लगातार बनी रहेगी।