करवा चौथ का चमत्कारी मंदिर!: जानिए चौथ माता धाम का वो पौराणिक रहस्य, जिसकी वजह से हर साल उमड़ती है लाखों महिलाओं में श्रद्धा की लहर और दर्शन मात्र से...
करवा चौथ का चमत्कारी मंदिर!

धर्म और संस्कृति: राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा कस्बे में स्थित चौथ माता मंदिर इन दिनों श्रद्धा और आस्था का केंद्र बना हुआ है। करवा चौथ के अवसर पर यहाँ भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ता है। यह वही पवित्र स्थल है जहाँ हर साल हजारों महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना लेकर आती हैं। कहा जाता है कि चौथ माता के दर्शन मात्र से जीवन की हर इच्छा पूर्ण हो जाती है।

इतिहास और मान्यता:

यह मंदिर लगभग 567 वर्ष पुराना माना जाता है। ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार वर्ष 1451 में स्थानीय शासक भीम सिंह को चौथ माता ने स्वप्न में दर्शन दिए और उन्हें यहाँ मंदिर निर्माण का आदेश दिया। तब से यह स्थल करवा चौथ पर्व का मुख्य तीर्थ बन गया। अरावली की पहाड़ियों की गोद में बसा यह मंदिर लगभग 1000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है जहाँ तक पहुँचने के लिए भक्तों को 700 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं।

मान्यता है कि माँ चौथ माता स्वयं देवी पार्वती का स्वरूप हैं। करवा चौथ व्रत की कथा भी इन्हीं के आशीर्वाद से जुड़ी मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव से सौभाग्यवती स्त्रियों के कल्याण हेतु इस व्रत की परंपरा की स्थापना की थी। इसलिए करवा चौथ पर सुहागिनें चौथ माता की पूजा करके अखंड सौभाग्य और दीर्घ आयु की कामना करती हैं।

मंदिर की भव्यता और स्थापत्य कला:

मंदिर का निर्माण प्राचीन राजस्थानी शैली में हुआ है, जिसमें पत्थरों पर की गई कलाकृतियाँ और शिल्प अद्भुत हैं। यहाँ के तोरण द्वार, कुंड और विशाल शिखर इसकी ऐतिहासिकता और स्थापत्य सौंदर्य का प्रमाण हैं। पहाड़ी पर बने इस मंदिर से नीचे फैला बरवाड़ा कस्बा और अरावली की श्रृंखलाएँ अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं।

मंदिर परिसर में चौथ माता के साथ भगवान गणेश, भैरव बाबा और हनुमान जी की मूर्तियाँ भी विराजमान हैं। इन सभी देवताओं की एक साथ पूजा करने का विशेष धार्मिक महत्व माना गया है।

करवा चौथ पर विशेष आयोजन:

करवा चौथ के दिन मंदिर को फूलों और दीपों से सजाया जाता है। महिलाएँ सोलह श्रृंगार करके माँ के दर्शन के लिए घंटों तक लाइन में खड़ी रहती हैं। पूजा के बाद करवा जल और मिष्ठान प्रसाद वितरित किया जाता है जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है।

इस दिन लाखों श्रद्धालु यहाँ पहुँचते हैं जिनमें राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा, दिल्ली और उत्तरप्रदेश से आए भक्त शामिल होते हैं।

कई महिलाएँ बताती हैं कि चौथ माता से मांगी गई मुराद हमेशा पूरी होती है। कुछ भक्त हर साल यहाँ अपनी शादी की वर्षगांठ या संतान प्राप्ति के बाद धन्यवाद देने भी आते हैं।

बरवाड़ा और बॉलीवुड कनेक्शन:

चौथ का बरवाड़ा सिर्फ धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि पर्यटन और फिल्म जगत में भी प्रसिद्ध है। यहाँ का ऐतिहासिक बरवाड़ा फोर्ट, जिसे अब “सिक्स सेंसेस फोर्ट बरवाड़ा” नामक लग्जरी होटल में बदला गया है बॉलीवुड फिल्म ‘शेरशाह’ की शूटिंग का प्रमुख स्थल रह चुका है। करवा चौथ के समय कई सेलिब्रिटीज़ भी यहाँ माता के दर्शन करने आते हैं।

श्रद्धा, परंपरा और आस्था का संगम:

करवा चौथ की रात जब चाँद निकलता है तब चौथ माता मंदिर की घंटियों की गूंज अरावली की पहाड़ियों में गूँज उठती है। सैकड़ों दीपों की रोशनी में जब महिलाएँ थाल लेकर माता के सामने खड़ी होती हैं तो वहाँ का दृश्य किसी दिव्य लोक से कम नहीं लगता। उस क्षण हर महिला की आँखों में बस एक ही कामना होती है अपने सुहाग की लंबी उम्र और माँ चौथ का आशीर्वाद।

भक्तों का अनुभव:

भक्तों के अनुसार चौथ माता की कृपा से जीवन की हर कठिनाई दूर हो जाती है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से 700 सीढ़ियाँ चढ़कर माता के दर्शन करता है उसके जीवन की 700 बाधाएँ स्वतः दूर हो जाती हैं। यहाँ का करवा प्रसाद विशेष रूप से प्रसिद्ध है जिसे घर ले जाकर परिवार में बाँटना शुभ माना जाता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम:

करवा चौथ के अवसर पर बरवाड़ा कस्बे में हर साल भव्य मेला और भंडारा आयोजित होता है। महिलाएँ मेहंदी रचवाती हैं, पारंपरिक लोकगीत गाती हैं और “चौथ माता री जय” के जयकारों से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहता है। प्रशासन की ओर से भी सुरक्षा और साफ-सफाई के विशेष इंतज़ाम किए जाते हैं ताकि श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।

निष्कर्ष:

राजस्थान का यह पवित्र स्थल केवल एक मंदिर नहीं बल्कि स्त्री शक्ति, प्रेम और विश्वास का प्रतीक बन चुका है। यहाँ हर साल हजारों महिलाएँ अपनी श्रद्धा लेकर आती हैं और जब लौटती हैं तो उनके दिल में बस यही विश्वास होता है-
“जहाँ चौथ माता की कृपा होती है, वहाँ जीवन में कभी अभाव नहीं रहता।”

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