तेहरान/तेल-अवीव : ईरान के तेहरान और इजरायल के तेल अवीव पर हमले से पूरे पश्चिम एशिया को विश्वयुध्द का डर सताने लगा है। इज़रायल और ईरान के बीच युद्ध अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। मिसाइलें, बमबारी और पलटवार ने पश्चिम एशिया को बारूद के ढेर पर लाकर खड़ा कर दिया है। दोनों ओर लाशें गिर रही हैं, और पूरी दुनिया दो खेमों में बंट गई है। कूटनीति की भाषा अब बंदूक की आवाज़ में दब चुकी है। सवाल ये है कि क्या ये सिर्फ़ दो देशों की जंग है, या तीसरे विश्व युद्ध की दस्तक?
मध्य पूर्व में परमाणु युद्ध की दस्तक :
आपको बता दें कि शनिवार रात, जब दुनियाभर में लोग अपने घरों में चैन की नींद सो रहे थे, उसी वक्त तेहरान, बुशहर और बेत याम में मिसाइलों की गूंज से ईरान की जमीन कांप रही थी और आसमान मिसाइलों की आग से चमक रहा था। इज़रायल ने पहली बार ईरान के ‘रक्षा मंत्रालय परिसर’ और ‘परमाणु रिसर्च ठिकानों’ पर सीधा हमला किया। जवाब में ईरान ने सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं।
F-35 विमान से ऑयल और रडार सिस्टम पर अटैक :
गौरतलब है कि इज़रायल के एफ-35 विमानों ने शनिवार देर रात तेहरान, बुशहर और करमानशाह में ईरानी ऑयल डिपो, हथियार डिपो और रडार सिस्टम को निशाना बनाया। जवाब में, ईरान की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने तेल अवीव, हाइफा और बेत याम में मिसाइलें बरसा दीं। इस हमले में बेत याम में सात लोग मलबे में दबे, और इज़रायल में मृतकों की संख्या 10 तक पहुंच गयी है। वहीं ईरान में 100 से ज़्यादा मारे गए, जिसमें दो परमाणु वैज्ञानिक और कई सैन्य जनरल भी शामिल है।
ईरान के सात राज्यों में डिफेंस-सिस्टम तैयार:
जानकारी के अनुसार ईरान ने बुशहर, तेहरान, करमानशाह, हामदान, यज़्द, मशहद और कुर्दिस्तान में S-300 और Bavar-373 जैसे अत्याधुनिक डिफेंस सिस्टम एक्टिव कर दिए हैं। सड़कें सूनी हैं, स्कूल बंद हैं, और मस्जिदों से ‘शहादत’ के नारे गूंज रहे हैं।
जंग के इस मुहाने पर कौन किस तरफ है? देखिए ये 'सत्ता समीकरण ':
आपको बता दें इस युद्ध में इज़रायल के साथ निम्नलिखित देश खड़े हैं। नीचें इस युद्ध पर उनके बयान वर्णित है।
इजरायल के साथ :
अमेरिका : "इज़रायल का आत्मरक्षा का अधिकार है"
यूके : "दोनों देश तनाव घटाओ, पर सुरक्षा ज़रूरी है"
फ्रांस : "ईरान की परमाणु की चाहत चिंता का विषय है।"
इटली : "शांति की बात करो, लेकिन इज़रायल गलत नहीं"
जर्मनी : "इस युद्ध से पूरा क्षेत्र अस्थिर हो सकता है"
ईरान के साथ :
चीन : "यह ईरान की संप्रभुता का उल्लंघन हैं।"
पाकिस्तान : "ईरान के साथ खड़े हैं"
तुर्किये : "इज़रायल ने अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ा"
यमन (हूती) : "हम युद्ध में उतरेंगे"
ओमान : "बातचीत की अपील, पर हमले का विरोध"
भारत – एक कूटनीतिक रस्साकशी के बीच, संतुलन साधता देश :
गौरतलब है कि भारत ने SCO के उस बयान से खुद को अलग रखा जिसमें इज़रायल की निंदा की गई थी। लेकिन विदेश मंत्री जयशंकर ने ईरानी समकक्ष से चर्चा की। भारत ने कहा – “हम चिंता में हैं, पर युद्ध नहीं चाहते”। हमनें स्पष्ट कर दिया कि “बातचीत और कूटनीति ही रास्ता है”
इज़राइल और ईरान के बीच जो युद्ध शुरू हुआ वह विध्वंशक बनता जा रहा है। दोनों देशों ने न सिर्फ़ एक-दूसरे की ज़मीन को युद्धभूमि बना दिया है, बल्कि वैश्विक संतुलन को भी हिला डाला है। अगर इस युद्ध ने और रफ्तार पकड़ी, तो यह महज़ इज़राइल-ईरान की लड़ाई नहीं रह जाएगी यह पूरी दुनिया को अपने लपेटे में ले सकती है। अब ज़रूरत है कि वैश्विक नेतृत्व तुरंत हस्तक्षेप करे, वरना तेहरान से तेल अवीव तक उठती ये लपटें जल्द ही पूरे विश्व को झुलसा सकती हैं।