ग्रेटर नोएडा : ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में गुरुवार को ई-ऑफिस प्रणाली (Go-Live) को आधिकारिक रूप से लागू कर दिया गया है। यह न सिर्फ एक तकनीकी पहल है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और गति की दिशा में क्रांतिकारी कदम भी माना जा रहा है। अब सभी फाइलें ऑनलाइन तरीके से प्रोसेस होंगी और अधिकारी कहीं से भी डिजिटल साइन कर सकेंगे। इससे फाइलों की मंजूरी में अनावश्यक देरी खत्म होगी और पारदर्शिता बढ़ेगी।
क्या है ई-ऑफिस प्रणाली और क्यों है ये खास? :
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार की डिजिटल प्रशासनिक नीति के तहत अब सरकारी विभागों को ई-ऑफिस में तब्दील किया जा रहा है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण इस बदलाव को लागू करने वाला प्रमुख निकाय बन गया है।
सभी फाइलें अब डिजिटल फॉर्म में होंगी — कोई पेपरवर्क नहीं! :
गौरतलब है कि ऑफिसर और कर्मचारी अब कहीं से भी फाइलें देख, अप्रूव और ट्रैक कर सकेंगे। इससे कार्यालय में मौजूद रहने की बाध्यता समाप्त हो गयी है। हर अप्रूवल पर तारीख और समय की मुहर होगी, जिससे यह पता चल सकेगा कि फाइल कब और किस स्तर पर कितनी देर रुकी।
ई-ऑफिस से क्या बदलेगा? :
आपको बता दें कि पहले फाइलें हाथों से चलती थीं अब सब कुछ ऑनलाइन होगा। विदित है कि फाइलें पहले टेबल से टेबल दौड़ती थी अब एक क्लिक में अगले अधिकारी तक पहुँच जाएगी। पहले फाइलों की स्थिति पता नहीं चलती थी अब हर फाइल की स्थिति ट्रैक हो सकेगी। पहले देरी, गुमशुदगी, बहाने रहते थे अब पारदर्शिता, जवाबदेही, समयबद्धता सुनिश्चित होगी
डेटा सुरक्षित, निगरानी हाईटेक :
गौरतलब है कि एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) द्वारा तैयार इस प्रणाली में सभी फाइलें क्लाउड आधारित डाटा बैंक में संरक्षित रहेंगी। प्राधिकरण की 55,000+ पुरानी फाइलों को पहले ही स्कैन कर डिजिटल किया जा चुका है। अब हर नया आवेदन हो या निवेश मित्रा पोर्टल पर आई शिकायत; सबका समाधान ई-ऑफिस से ही होगा।
अधिकारियों ने क्या कहा? :
आपको बसीईओ एनजी रवि कुमार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अब प्राधिकरण के सभी विभाग ई-ऑफिस पर ही कामकाज करें। ओएसडी अभिषेक पाठक ने बताया कि अधिकारियों और कर्मचारियों की ईमेल आईडी बन चुकी हैं, डिजिटल सिग्नेचर की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
ई-ऑफिस से क्या होगा बदलाव? :
ई-ऑफिस से ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में सरकारी कामकाज अब पेपरलेस, पारदर्शी और तेज़ हो गया है। जनता को अब जल्द और स्पष्ट सेवाएं मिलेंगी। अब किसी योजना के आवेदन या शिकायत के निस्तारण के लिए धक्के खाने की जरूरत नहीं। साथ ही ऑनलाइन ट्रैकिंग सिस्टम से जनता को पता चलेगा कि उनकी फाइल या आवेदन किस स्तर पर है। इससे काम तेज और पारदर्शी तरीके से होगा।
उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर यह व्यवस्था पूरे प्रदेश के सरकारी महकमों में लागू की जा रही है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण अब इस दिशा में प्रदेश का अग्रणी उदाहरण बन गया है। यह केवल व्यवस्था का आधुनिकीकरण नहीं, एक डिजिटल प्रशासनिक क्रांति है जो शायद आने वाले समय में पूरे उत्तर प्रदेश के लिए आदर्श बने।