ग्रेटर नोएडा : उत्तर प्रदेश में निवेश का नया इतिहास रचने की तैयारी है, और इसकी नींव जुलाई में ग्रेटर नोएडा में होने वाले "ग्लोबल कैपिटल कॉन्क्लेव" में रखी जायेगी। यह महा-आयोजन इन्वेस्ट यूपी और ग्रेनो प्राधिकरण की संयुक्त मेज़बानी में होगा, जिसमें दुनिया की दिग्गज मल्टीनेशनल कंपनियों और पूंजी निवेशकों के शामिल होने की पुष्टि हुई है।
विभिन्न देशों से आएंगे लोग :
आपको बता दें कि इस ग्लोबल कॉन्क्लेव में अमेरिका, जापान, कोरिया, यूरोप और खाड़ी देशों से आने वाले उद्योगपतियों और राजनयिकों को ग्रेटर नोएडा का ग्लोबल स्तर का बुनियादी ढांचा और अपार संभावनाएं दिखाया जाएगा। इसका मकसद है कि उन्हें यहां के निवेश माहौल से इतना प्रभावित करना कि वे न केवल पैसा लगाएं, बल्कि नोएडा को अपना नया ठिकाना बनाएं।
सेमीकंडक्टर, डेटा सेंटर और EV ज़ोन होंगे आकर्षण के केंद्र :
गौरतलब है कि कॉन्क्लेव में प्रमुख फोकस रहेगा सेमीकंडक्टर हब, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग, डेटा सेंटर, इलेक्ट्रिक व्हीकल जोन, और स्किल्ड मैनपावर पर। अधिकारियों के मुताबिक, अभी लगभग 35,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों पर काम चल रहा है, जिससे 35,000 से अधिक नौकरियों का रास्ता खुलेगा।
निवेशकों के सामने पेश होगी ‘न्यू इंडिया’ की तस्वीर :
आपको बता दें कि कॉन्क्लेव में मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस जैसी नीतियों के तहत यह दिखाया जाएगा कि ग्रेटर नोएडा भारत का सबसे भरोसेमंद निवेश गंतव्य क्यों है। कम खर्च में हाई-क्वालिटी इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक नेटवर्क, एयर कनेक्टिविटी और बेहतर सुरक्षा को प्रोजेक्ट की हाइलाइट्स बनाया जाएगा। सीईओ एनजी रवि कुमार का कहना है कि : “हम दुनिया के टॉप निवेशकों को ग्रेटर नोएडा की ज़मीन पर बुलाकर उसकी वास्तविकता दिखाना चाहते हैं। हमारे पास सस्ती, विकसित ज़मीन और सबसे सुरक्षित औद्योगिक वातावरण है।”
नोएडा में निवेश के लिए ज़मीन और ऑफिस स्पेस की तलाश तेज :
गौरतलब है कि कॉन्क्लेव से पहले ही नोएडा प्राधिकरण और इन्वेस्ट यूपी ने शहर की खाली औद्योगिक, व्यावसायिक और संस्थागत ज़मीन की सूची तैयार करने की कवायद शुरू कर दी है। शुक्रवार को इन्वेस्ट यूपी के सीईओ विजय किरन आनंद ने खुद नोएडा प्राधिकरण पहुंचकर अधिकारियों से जरूरी जानकारियाँ लीं और जीसीसी (ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर) के लिए संभावित जगहों का डेटा मांगा। प्राधिकरण के अनुसार, सेक्टर-132 जैसे क्षेत्रों में अभी काफी IT ऑफिस स्पेस उपलब्ध है, जो निवेशकों के लिए बड़ा अवसर बन सकता है।
जुलाई में ग्रेटर नोएडा का नक्शा बदलने वाला है। दुनिया की निगाहें इस कॉन्क्लेव पर होंगी, और अगर निवेशकों का भरोसा जीत लिया गया तो यूपी भारत का अगला ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस बन सकता है। यह न सिर्फ क्षेत्र की तस्वीर बदलेगा, बल्कि नौकरियों, तकनीक और ग्लोबल ब्रांड्स के लिए एक नया द्वार खोलेगा।