नई दिल्ली : देश की उच्च शिक्षा व्यवस्था अब पूरी तरह नए दौर में प्रवेश करने जा रही है। दशकों से चली आ रही नियामक प्रणाली को खत्म करते हुए सरकार ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब UGC, AICTE और NCTE जैसे बड़े-बड़े शिक्षा नियामक संस्थान अलग-अलग नहीं रहेंगे, बल्कि इनके विलय से एक नई और शक्तिशाली संस्था बनेगी जिसका नाम होगा 'विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान (VBSA)'। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने VBSA विधेयक 2025 को लोकसभा में पेश कर दिया है। यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत तैयार किया गया है और इसके लागू होते ही कॉलेज, यूनिवर्सिटी और प्रोफेशनल संस्थानों का पूरा सिस्टम बदल जाएगा।
सरकार ने क्यों उठाया इतना बड़ा कदम?
गौरतलब है कि सरकार का साफ कहना है कि अभी तक अलग-अलग नियामक, अलग नियम, दोहराव, देरी और भ्रम इन सबके कारण शिक्षा व्यवस्था जटिल और धीमी हो गई थी। VBSA के आने से एक ही नियम, एक ही ढांचा, तेज फैसले और ज्यादा पारदर्शिता आएगी। यानी अब उच्च शिक्षा एक सिस्टम में चलेगी, तीन-तीन संस्थाओं से नहीं।
IIT–IIM भी पहली बार एक दायरे में
गौरतलब है कि इस बिल की सबसे बड़ी और चौंकाने वाली बात यह है कि IIT और IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थान भी अब इसी ढांचे में आएंगे। अब तक ये संस्थान UGC या AICTE के सीधे नियंत्रण में नहीं थे। VBSA लागू होने के बाद सभी उच्च शिक्षा संस्थानों पर समान निगरानी और मानक लागू होंगे।
VBSA के भीतर होगा तीन परिषदों का नया सिस्टम
गौरतलब है कि विधेयक के तहत विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान के अंदर तीन मजबूत स्तंभ बनाए जाएंगे। यह है -
1. विकसित भारत शिक्षा विनियम परिषद (Regulatory Council)
यह कॉलेज और यूनिवर्सिटी के संचालन पर नजर रखेगी। नियमों का पालन हो रहा है या नहीं, इसकी जांच भी यही करेगी।
2. विकसित भारत शिक्षा गुणवत्ता परिषद (Accreditation Council)
यह संस्थानों की गुणवत्ता और मान्यता तय करेगी। कौन अच्छा पढ़ा रहा है, कौन नहीं इसका मूल्यांकन भी यही करेगा।
3. विकसित भारत शिक्षा मानक परिषद (Standards Council)
आपको बता दें कि यह पाठ्यक्रम, पढ़ाई का स्तर और लर्निंग आउटकम तय करेगी। यह सुनिश्चित करेगी कि हर छात्र को समान गुणवत्ता की शिक्षा मिले। इन तीनों परिषदों का समन्वय VBSA करेगा, ताकि नियम, गुणवत्ता और मानक तीनों एक साथ मजबूत हों।
अब सभी कॉलेज; यूनिवर्सिटी पर समान नियम
VBSA बिल के तहत नियम निम्नलिखित जगह लागू होंगे
●केंद्रीय विश्वविद्यालय
●राज्य विश्वविद्यालय
●निजी विश्वविद्यालय
●ओपन और डिस्टेंस लर्निंग
●ऑनलाइन और डिजिटल शिक्षा संस्थान
यानी अब कोई अलग-अलग कानून नहीं, एक देश एक शिक्षा ढांचा बनेगा।
नियम तोड़े तो भारी जुर्माना
विदित है कि VBSA बिल में पहली बार कड़े दंडात्मक प्रावधान किए गए हैं। नियम उल्लंघन पर ₹10 लाख से ₹75 लाख तक जुर्माना लगेगा वहीं बिना अनुमति यूनिवर्सिटी/संस्थान खोलने पर ₹2 करोड़ तक का जुर्माना लगाया जाएगा। नियामक परिषद को यह अधिकार भी होगा कि वह मान्यता दे, डिग्री देने की अनुमति दे या जरूरत पड़ने पर कार्रवाई करे।
अध्यक्षों की नियुक्ति कैसे होगी?
गौरतलब है कि VBSA और तीनों परिषदों के अध्यक्षों की नियुक्ति राष्ट्रपति करेंगे। इनका कार्यकाल 3 साल (5 साल तक बढ़ाया जा सकता है) रहेगा। हर परिषद में 14 सदस्य होंगे। साथ ही लापरवाही या कर्तव्य में चूक पर राष्ट्रपति को हटाने का अधिकार रहेगा। ज़रूरत पड़ने पर केंद्र सरकार पूरे आयोग या परिषद को भंग भी कर सकेगी।
शिक्षा व्यवस्था पर क्या होगा असर?
आपको बता दें कि सरकार का दावा है कि VBSA से शिक्षा प्रणाली ज्यादा मजबूत बनेगी, जवाबदेही तय होगी साथ ही छात्रों के हित केंद्र में होंगे और शिक्षा और रोजगार के बीच की दूरी कम होगी। यह बिल विकसित भारत के सपने को शिक्षा के रास्ते जमीन पर उतारने की कोशिश माना जा रहा है।
अब आगे क्या?
आपको बता दें कि अब VBSA विधेयक को संसदीय स्थायी समिति को भेजा गया है वहां विस्तृत चर्चा और सुझाव होंगे उसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
UGC, AICTE और NCTE का विलय सिर्फ प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि उच्च शिक्षा की दशा और दिशा बदलने वाला फैसला है। अगर यह बिल पूरी ताकत से लागू हुआ, तो आने वाले वर्षों में भारत की यूनिवर्सिटियां और कॉलेज वैश्विक स्तर पर ज्यादा मजबूत और प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।