नई दिल्ली : भारत में शासन की पूरी परिभाषा बदलने वाली एक ऐतिहासिक घोषणा हुई है।
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का नाम बदलकर ‘सेवा तीर्थ’ कर दिया है। वहीं देशभर के राजभवन अब ‘लोक भवन’ के नाम से जाने जाएंगे। केंद्रीय सचिवालय को भी नया नाम ‘कर्तव्य भवन’ मिल गया है। सरकार इसे “सत्ता से सेवा की ओर बढ़ने की सांस्कृतिक यात्रा” बता रही है। सरकार के शीर्ष सूत्रों के मुताबिक, यह कदम सिर्फ नाम बदलने का नहीं, बल्कि शासन की सोच बदलने का संकेत है। PMO ने भी कहा कि “यह प्रशासनिक नहीं, सांस्कृतिक सुधार है। हम शक्ति के केंद्र नहीं, सेवा के धाम तैयार कर रहे हैं।”
78 साल पुराने साउथ ब्लॉक से अब PM का दफ्तर बदलेगा घर :
आपको बता दें कि पीएम मोदी का कार्यालय अब ऐतिहासिक साउथ ब्लॉक छोड़कर नए अल्ट्रा-मॉडर्न कैंपस सेवा तीर्थ-1 में शिफ्ट होगा।
नया कैंपस सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा है।
सेवा तीर्थ परिसर में क्या होगा?
●सेवा तीर्थ-1 - PMO
●सेवा तीर्थ-2 - कैबिनेट सचिवालय
●सेवा तीर्थ-3 - NSA कार्यालय
14 अक्टूबर को कैबिनेट सचिव ने यहां सेना प्रमुखों के साथ हाई-लेवल मीटिंग भी की, जो इस नए परिसर की गतिविधि को संकेत देता है।
राजभवन नहीं, अब ‘लोक भवन’: औपनिवेशिक शब्दावली पर बड़ी चोट
गौरतलब है कि गृह मंत्रालय ने राज्यों को पत्र भेजकर कहा कि ‘राजभवन’ औपनिवेशिक मानसिकता की याद दिलाता है। इसलिए अब
●राजभवन - लोक भवन
●राज निवास - लोक निवास
कौन-कौन से राज्यों ने नाम बदल दिया?
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम, उत्तराखंड, ओडिशा, गुजरात, त्रिपुरा और लद्दाख ने नया नाम अपना लिया है। राजस्थान भी सूची में शामिल हो गया है।
मोदी सरकार की “औपनिवेशिक सफाई” मुहिम में एक और बड़ा कदम :
आपको बता दें कि बीते वर्षों में कई अंग्रेज़ी निशान मिटाए गए
●राजपथ - कर्तव्य पथ
●PM आवास - लोक कल्याण मार्ग
●बीटिंग रिट्रीट समारोह से ‘Abide With Me’ गीत हटाया गया
●सरकारी वेबसाइटों पर हिंदी प्राथमिक भाषा
अब PMO का ‘सेवा तीर्थ’ में तब्दील होना इस मुहिम का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
अमित शाह बोले—‘प्रधानसेवक’ की सोच को मिला रूप :
आपको बता दें कि गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि “पिछले 11 साल से मोदी सरकार सत्ता नहीं, सेवा की पर्याय है। प्रधानमंत्री खुद को प्रधानसेवक कहते हैं। ‘सेवा तीर्थ’ इस सोच को औपचारिक रूप देता है।” उन्होंने कहा कि लोक भवन और लोक निवास भी इसी संस्कृति का विस्तार हैं।
सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट: सिर्फ इमारतें नहीं, सोच का पुनर्निर्माण -
विदित है कि 20 हजार करोड़ की लागत वाला यह प्रोजेक्ट भारत के सत्ता-केंद्र को नए युग के अनुरूप बनाने के लिए तैयार किया जा रहा है।
इसमें शामिल हैं—
●नया संसद भवन
●संयुक्त केंद्रीय सचिवालय
●नया PM आवास
●नया VP आवास
●कर्तव्य पथ का पुनर्निर्माण
नॉर्थ-ब्लॉक व साउथ-ब्लॉक को भविष्य में "युगे-युगीन भारत राष्ट्रीय संग्रहालय" बनाया जाएगा, जो दुनिया के सबसे बड़े म्यूजियम्स में शामिल होगा।
कुल मिलाकर एक संकेत, भारत अब “राज” नहीं “लोक” का देश है।
PMO अब सेवा तीर्थ, राजभवन अब लोक भवन, सचिवालय अब कर्तव्य भवन के नाम से जाना जाएगा। यह सिर्फ नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि भारत के लोकतांत्रिक चरित्र को पुनर्परिभाषित करने की कोशिश है जहां सत्ता सिंहासन नहीं, सेवा का माध्यम है।