2027 को लेकर, यूपी-कांग्रेस का गेमचेंजर मास्टरप्लान!: पंचायत चुनाव जीतो, विधायकी का टिकट पाओ'; 3 कैटेगरी में बटेंगी सीटें...
2027 को लेकर, यूपी-कांग्रेस का गेमचेंजर मास्टरप्लान!

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा धमाका करते हुए कांग्रेस ने 2027 विधानसभा चुनाव की तैयारियों का बिगुल फूंक दिया है। लेकिन इस बार बात सिर्फ पोस्टर लगाने, रैली करने या हाईकमान की सिफारिश की नहीं है अब सत्ता की कुर्सी पंचायत चुनाव से होकर गुजरेगी। कांग्रेस ने ऐलान किया है कि पंचायत चुनाव में जीतने वाले या संगठन को मजबूत करने वाले कार्यकर्ताओं को ही अगला विधानसभा टिकट मिलेगा।

कांग्रेस का ऐलान: "पंचायत में मेहनत करो, विधायक बनो :

आपको बता दें कि 2027 का रोडमैप कांग्रेस ने जिस रणनीतिक अंदाज़ में तैयार किया है, वह यूपी की राजनीति में एक नई कहानी लिखने जा रहा है। अब संगठन और मेहनत को टिकट की पहली शर्त बना दिया गया है। पार्टी ने साफ कर दिया है न पहचान लगेगी, न पैरवी अब सिर्फ परफॉर्मेंस के आधार पर विधायक बनो। प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने एक साफ-साफ संदेश दे दिया है कि अब हर पंचायत कार्यकर्ता ही भविष्य का विधायक बन सकता है। कांग्रेस का नारा है कि संगठन आधारित उम्मीदवार चयन, पहचान नहीं परफॉर्मेंस से मिलेगा टिकट।

3 कैटेगरी में बाँटी गईं सीटें :

गौरतलब है कि कांग्रेस ने पूरे प्रदेश की 403 सीटों को तीन श्रेणियों में बांटा है पहली कैटेगरी A है जहां कांग्रेस की पकड़ मजबूत है, जीत की संभावनाएं ऊंची हैं। वहीं दूसरी B कैटेगरी है जहाँ मुकाबला बना सकते हैं, थोड़ी मेहनत की जरूरत है। वहीं C कैटेगरी ऐसी कैटेगरी है जहां कांग्रेस की स्थिति कमजोर है, लेकिन लंबी दूरी की तैयारी का फोकस है।

क्या है मकसद? :

विदित है कि हर सीट पर अलग-अलग स्तर की रणनीति, अलग सोशल मीडिया नैरेटिव और अलग जनसंपर्क कैम्पेन चलाया जाएगा। बूथ लेवल तक माइक्रो मैनेजमेंट होगा और डिजिटल डेटा, जातीय समीकरण व फील्ड फीडबैक को रणनीति की शक्ति बनाया जाएगा।

100 दिन का “संगठन सृजन अभियान” :

आपको बता दें कि अभी कांग्रेस का नारा है कि संगठन नहीं, तो सत्ता नहीं। कांग्रेस ने अपनी पूरी रणनीति का आधार संगठन को बना लिया है उसका टारगेट 100 दिन में बूथ, ब्लॉक, जिला और मंडल स्तर पर संगठन खड़ा करना है। कांग्रेस 15 जून तक वार्ड और ब्लॉक अध्यक्ष नियुक्त करेगा। साथ ही हर जिले में "संगठन सृजन कोऑर्डिनेटर" तैनात किया जाएगा। वहीं सोशल मीडिया से लेकर ज़मीन तक जनसंपर्क का एक जाल बिछाया जाएगा।

सपा से अकेले रहकर पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला :

जानकारी के अनुसार कांग्रेस इस बार पंचायत चुनाव सपा से अलग होकर लड़ेगी। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह सिर्फ ताकत आज़माने की बात नहीं है, बल्कि सपा पर भविष्य में बराबरी के गठबंधन का दबाव-बनाने की भी चाल है। 2024 में 6 सीटें जीतने साथ ही 9 सीटों पर कड़ा-मुकाबला देने के बाद कांग्रेस अब खुद को 45 से 50 विधानसभा सीटों पर मजबूत-दावेदार मान रही है। ऐसे में सपा के "35 से 40 सीट के सूत्र" को कांग्रेस साफ तौर पर मना कर रही है। कांग्रेस नेता इमरान मसूद का कहना है कि अब 17 और 63 का सूत्र नहीं चलेगा, यूपी में 50-50 की बात होगी।

फोकस में दलित, पिछड़ा और युवा :

गौरतलब है कि कांग्रेस दलितों के लिए सामाजिक न्याय का एजेंडा चलाएगा। पिछड़ों के लिए प्रतिनिधित्व और संगठन में जगह साथ ही युवाओं को सोशल मीडिया, छात्र राजनीति और रोजगार मुद्दों से जोड़ने का प्लान कांग्रेस ने बनाई है। कांग्रेस अब केवल गांधी-परिवार की पार्टी नहीं, आम परिवार की भी पार्टी है।

हाईकमान तय करेगा गठबंधन :

अजय राय का बयान कि "टिकट चाहिए तो पसीना बहाओ, गठबंधन चाहिए तो सम्मान दो"  इससे साफ है कि चाहे गठबंधन हो या नहीं, कांग्रेस 403 सीटों पर उम्मीदवार तैयार कर रही है। उनका सीधा संदेश सपा को है कि अगर हम लड़ने लायक हैं, तो हमें हिस्सेदारी भी लड़ने लायक चाहिए।

पंचायत से विधानसभा तक 5-स्तरीय नेटवर्क का मास्टर प्लान :

आपको बता दें कि पार्टी का लक्ष्य है कि ऐसा संगठन खड़ा किया जाए जो सिर्फ चुनावी मौसम में नहीं, हर वक्त मैदान में दिखे। बूथ से लेकर ब्लॉक, जिला, मंडल और प्रदेश तक पांच स्तर का नेटवर्क बनाया जा रहा है। पंचायत चुनाव अब टेस्ट जैसा है कि जो यहां पास होगा, वही विधानसभा में टिक पाएगा।

यह पहला मौका है जब यूपी कांग्रेस ने इतनी व्यवस्थित, डेटा-आधारित और सामाजिक-संवेदनशील रणनीति के साथ मैदान में उतरने का ऐलान किया है। अगर पंचायत चुनाव में कांग्रेस ज़मीन पर परफॉर्म कर पाती है, तो न सिर्फ सपा से मजबूती से सीटों की सौदेबाज़ी करेगी, बल्कि 2027 में यूपी की राजनीति में वापसी की तैयारी भी कर सकती है।

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