मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को फिर सौंपी ताकत!: बनाया चीफ नेशनल को-ऑर्डिनेटर, लिए 3 रणनीतिक फैसले...क्या बसपा को मिल गया नया वारिस?
मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को फिर सौंपी ताकत!

 नई दिल्ली/लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने पार्टी में बड़ा धमाका कर दिया है! जिस भतीजे को कभी ‘अपरिपक्व’, ‘अहंकारी’ और ‘ससुर के प्रभाव में चला गया’ कहकर पार्टी से बाहर निकाल दिया था, अब उसी आकाश आनंद को उन्होंने सबसे ताकतवर पद पर बिठा दिया है, इस बार उन्हें "चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर" का पद दिया गया है यानी मायावती के बाद अब बसपा की नंबर-2 पोजिशन पर वही भतीजा खड़ा है जिसे पिछले 16 महीने में तीन बार हटाया और फिर लौटाया गया।

जिन्हें कभी निष्कासित किया, आज उन्हीं को उत्तराधिकारी की कुर्सी पर बिठाया:

जानकारी के अनुसार आकाश आनंद अब बसपा के तीनों क्षेत्रीय नेशनल कोऑर्डिनेटरों—राजा राम, रामजी गौतम और रणधीर सिंह बेनीवाल से भी ऊपर होंगे। पार्टी ने पहली बार चीफ नेशनल कोऑर्डिनेटर का पद बनाया है, और सीधा उसे मायावती के उत्तराधिकारी का संकेत माना जा रहा है, चाहे सार्वजनिक रूप से मायावती इस बात से इनकार करें।

जानें क्रमवार, कैसे आकाश को कभी हटाया तो कभी बिठाया!

10 December 2023: आकाश को उत्तराधिकारी घोषित किया गया।

7 मई 2024: 'अपरिपक्व' बताकर जिम्मेदारियों से हटा दिया गया।

23 जून 2024: फिर से जिम्मेदारी मिली।

2 March 2025: मायावती ने फिर हटाया, कहा – "मेरे जीते जी कोई उत्तराधिकारी नहीं!"

3 मार्च 2025: पार्टी से निष्कासित किया

13 अप्रैल 2025: आकाश ने माफी मांगी, सार्वजनिक रूप से "मैं अब सलाह नहीं लूंगा, बस मायावती ही गुरु हैं।"

अब – 17 मई 2025: आकाश को पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा बनाया।

क्या BSP का नया चेहरा होगा आकाश? या फिर से लगेगा झटका:

गौरतलब है कि आकाश आनंद का अब तक का सफर उथल-पुथल से भरा रहा है। लंदन से एमबीए कर लौटे आकाश ने 2017 में राजनीति में कदम रखा। पहली बार सहारनपुर की रैली में दिखे। फिर स्टार प्रचारक बने, लेकिन वोटों में असर नहीं दिखा। दिल्ली से लेकर झारखंड और यूपी तक बसपा का ग्राफ गिरता गया।

अब मायावती एक बार फिर उसी आकाश पर दांव लगा रही हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे BSP की रणनीतिक ‘युवा कार्ड’ खेलने की कोशिश मान रहे हैं – ताकि चंद्रशेखर आज़ाद और कांग्रेस के दलित कार्ड का जवाब दिया जा सके।

BSP की तीन बड़ी घोषणाएं – बसपा को फिर ‘रंग’ में लाने की तैयारी:

 1. बिहार में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान: BSP अब गठबंधन के बजाय अकेले 240 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।

 2. BVF की वापसी: दलित उत्पीड़न और महापुरुषों की प्रतिमाओं के अपमान के खिलाफ ‘बहुजन वालंटियर फोर्स’ को फिर एक्टिव किया जाएगा।

 3. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की तारीफ: मायावती ने केंद्र सरकार की सर्जिकल जवाबी कार्रवाई की सराहना करते हुए कहा कि पाकिस्तान की धमकियों से डरने की जरूरत नहीं।

क्या मायावती ने बदल दी है रणनीति:

आपको बता दें कि सियासी गलियारों में सवाल गूंज रहा है,क्या मायावती ने सियासी उत्तराधिकारी तय कर दिया है?
या यह भी एक अस्थायी ‘ट्रायल’ है, जैसा पिछले दो मौकों पर हुआ? मायावती का अतीत कहता है उनके फैसले जितनी जल्दी आते हैं, उतनी ही तेजी से पलटे भी जाते हैं।
लेकिन इस बार फर्क ये है पार्टी की हालत बेहद नाज़ुक है, ऐसे में रिपोर्ट के अनुसार ये परिवर्तन स्थायी हो सकता है।

साल दर साल BSP का गिरा वोट शेयर:

आपको बता दें कि बसपा ने 2007 में 206 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी लेकिन बसपा आज सिर्फ एक विधायक तक सिमट चुकी है ।
वहीं 2019 लोक-सभा में मात्र 10 सीटें जीतने के बाद पिछले लोक-सभा चुनाव में शून्य पर सिमट गई। इस दौरान बसपा का वोट शेयर 9.3% पर आ गया, जो पहले 19% था।


चंद्रशेखर बनाम आकाश- दलित युवाओं की जंग शुरू:

गौरतलब है कि पश्चिम यूपी में चंद्रशेखर रावण की बढ़ती लोकप्रियता ने बसपा की नींव हिलाई है। मायावती अब आकाश को आगे कर उसी युवाशक्ति को फिर से साधना चाहती हैं।

राजनीतिक जानकार कहते हैं कि “आकाश को फिर से लाकर मायावती ने पार्टी को एक मौका और दिया है, लेकिन अगर ये दांव भी उलटा पड़ा, तो BSP का पुनर्जीवन और भी कठिन हो जाएगा।”

बसपा में यह फेरबदल सिर्फ एक पद की घोषणा नहीं है बल्कि यह मायावती की राजनीतिक विरासत को सौंपने या बचाने की अंतिम कोशिश हो सकती है। अब सबकी निगाहें आकाश आनंद पर हैं:
क्या वह ‘उत्तराधिकारी’ के रोल में खरा उतरेंगे या फिर मायावती को एक बार फिर कहना पड़ेगा – “मेरे जीते जी कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा।”

अन्य खबरे