अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP यानि आम आदमी पार्टी के द्वारा इस बार उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया गया है। इसलिए पार्टी के कार्यकर्ता इस बार शहर एवं गांव में झाड़ू लेकर अपना प्रचार करते हुए नजर नहीं आने वाले। बता दें कि वह सभी विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A.के प्रत्याशियों का प्रचार प्रसार करते नजर आएंगे।
आम आदमी पार्टी इस लोकसभा चुनाव में सपा एवं कांग्रेस के प्रत्याशियों को जिताने के लिए जनता से अपील करेगी। बताते चले कि पार्टी के द्वारा यूपी में दिल्ली से सटे हुए गौतमबुद्धनगर की लोकसभा सीट की मांग की जा रही थी किंतु वह भी नहीं मिली। हालांकि जहां दिल्ली एवं पंजाब जैसे अन्य कई राज्यों में आप पार्टी विपक्षी गठबंधन के साथ मिलकर मैदान में उतरी है, वहीं उत्तर प्रदेश में पार्टी सिर्फ प्रचार ही करेगी।
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में आप पार्टी के संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के द्वारा वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सामने ताल ठोंककर उत्तर प्रदेश में पार्टी के द्वारा अपने पांव जमाने की भरसक कोशिश की गई थी। लेकिन केजरीवाल को वहां हार का सामना ही करना पड़ा था, लेकिन बता दें कि उन्होंने अपनी पार्टी को सर्वाधिक आबादी वाले तथा राजनीति की दृष्टि से भी सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य में लांच किया था।
उसके बाद पार्टी ने संजय सिंह को यूपी का प्रभारी बनाया तथा संगठन के निर्माण में वह जुट गए। साल 2017 में हुए विधानसभा एवं साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने चुनावी मैदान में उतरने का साहस नहीं किया। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में आप के द्वारा अपने 349 प्रत्याशी मैदान में उतारे गए थे लेकिन सभी की वहां जमानत भी जब्त हो गई।
पार्टी के सभी प्रत्याशियों को मिलाकर कुल 3,47,147 वोट ही मिले। वोट प्रतिशत की बात करें तो वह सिर्फ 0.38 प्रतिशत ही था। साल 2023 में हुए नगर निकाय चुनाव में पार्टी के छह नगर पंचायत अध्यक्ष तथा तीन नगर पालिका अध्यक्ष एवं 59 नगर पंचायत सदस्य तथा 28 नगर पालिका सदस्य और नगर निगम वार्डों में आप पार्टी के कुल आठ पार्षद जीते थे जिसके बाद कार्यकर्ताओं का दोबारा जोश बढ़ा।
बता दें की लोकसभा चुनाव की तैयारियां अब तेज हो गईं हैं लेकिन दिल्ली में हुए शराब कांड के आरोप में आप पार्टी के यूपी प्रभारी रहे संजय सिंह को साल 2023 के अक्टूबर माह में जेल भेज दिया गया था। तब से देखा जाए तो प्रदेश में यह संगठन कमजोर पड़ गया। इस बार चुनाव न लड़ने की भी वजह यही बताई जा है। पार्टी के वर्तमान कार्यवाहक प्रदेश अध्यक्ष सभाजीत सिंह ने बताया है कि पार्टी हाईकमान के द्वारा जो निर्णय लिया गया है उसका ही पालन किया जाएगा।