किसी ने छापे के डर से तो किसी ने काम मिलने की लालसा में दिया चुनावी चंदा? : इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर विपक्ष हुई हमलावर, लगाए जमकर आरोप: जाने क्या हैं सच्चाई?
किसी ने छापे के डर से तो किसी ने काम मिलने की लालसा में दिया चुनावी चंदा?

लोकसभा चुनाव से पहले देश में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सियासत काफी गरमाई हुई है। इलेक्टोरल बांड के खुलासे के बाद से ही विपक्ष पूरे मामले में लगातार केंद्र की मोदी सरकार के ऊपर निरंतर हमलावर होती नजर आ रही है। 

बता दें कि कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड की समस्त जानकारी चुनाव आयोग को उपलब्ध कराई थी। जिसके बाद चुनाव आयोग ने इसे अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक भी कर दिया था। 

सार्वजनिक किए गए आंकड़ों के अनुसार मिली जानकारी से पता चलता है कि इस अवधि में BJP को कुल 60 अरब रुपये से भी अधिक की धनराशि प्राप्त हुई है। तो वहीं दूसरी तरफ सबसे अधिक कीमत वाले इलेक्टोरल बॉन्ड को खरीदने वाली कंपनियों में नंबर 1 कम्पनी के रूप में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज़ का नाम सामने आया। जिसने 1368 करोड़ रुपए के बॉन्ड्स खरीदे हैं।

जानते हैं पूरे मामले को लेकर किसने क्या कहा:

राहुल गांधी: कांग्रेस नेता तथा वायनाड से सांसद राहुल गांधी के द्वारा तो इलेक्टोरल बॉन्ड को अब तक का प्रधानमंत्री कार्यालय का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया गया है। उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था केंद्रीय एजेंसियों की मदद लेकर भाजपा को लाभ पहुंचाने वाली तथा 'जबरन वसूली रैकेट' की तरह कार्य करती है। इसलिए उन्होंने इसे राष्ट्र-विरोधी गतिविधि के रूप में होने वाला घोटाला भी बताया है।

भारत जोड़ो न्याय यात्रा के आखिरी दिन राहुल गांधी एक संवाददाता सम्मेलन में संबोधित करते हुए यह कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड्स से बड़ी कोई राष्ट्र-विरोधी गतिविधि हो ही नहीं सकती है। उन्होंने कहा की केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी CBI तथा प्रवर्तन निदेशालय (ED) एवं इनकम टैक्स विभाग जैसी अन्य सभी केंद्रीय एजेंसियां बीजेपी तथा आरएसएस के हाथ का हथियार बन कर रह गई हैं। 

राहुल गांधी ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से पता चलता है कि यह पूरी व्यवस्था भारत के प्रधानमंत्री के द्वारा संचालित होने वाली दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा वसूली रैकेट है। कुछ साल पहले ही मोदी जी के द्वारा राजनीतिक वित्त प्रणाली को स्वच्छ और पारदर्शी करने की बात की गई थी तथा इसके लिए ही चुनावी बॉन्ड को पेश किया गया था। उनकी यह अवधारणा ही दुनिया का सबसे बड़ा तथा जबरन वसूली रैकेट है।

भाजपा पर राहुल ने लगाए गंभीर आरोप:

उन्होंने आगे काफी विस्तार से यह बताते हुए कहा कि देश की तमाम कंपनियों पर ईडी, आईटी तथा सीबीआई के छापे बीजेपी सरकार में पड़ते रहे हैं तथा कुछ दिनों के बाद जब वही कंपनियां चुनावी बॉन्ड के द्वारा भाजपा को चुनावी चंदा देती हैं तब उनका चरित्र बिल्कुल साफ हो जाता है। बाद में उन्ही कंपनियों को ही ठेका भी मिलता है। यह व्यवस्था कंपनी से कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा लेने तथा उनसे हफ्ता लेने का एक साधन मात्र बन गई है। उन्होंने आगे कहा कि अभी तो पूरी सूची भी बाहर नहीं आई है। छद्म कंपनियां अभी भी मौजूद हैं।

उन्होंने कहा कि शिवसेना तथा राकांपा जैसी कई राजनीतिक पार्टियों को इसी पैसे का इस्तेमाल करके BJP के द्वारा तोड़ा जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी बताए की यह पैसा कहां से आया है? उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई तथा ईडी इसकी जांच क्यों नहीं कर रहे हैं? जबकि वह जबरन वसूली कर रहे हैं। राहुल बोले कि राजनीतिक दलों को भाजपा तथा अमित शाह के द्वारा तोड़ा जा रहा है तथा पूरा महाराष्ट्र यह जानता है कि इसके लिए पार्टी के पास पैसा यहीं से आया है।

कपिल सिब्बल ने साधा निशाना:

राज्यसभा सांसद तथा कांग्रेस के पूर्व नेता कपिल सिब्बल ने भी मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने चुनावी बॉन्ड के सार्वजनिक होने के बाद कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल्स से तो यह पता अवश्य चलता है कि कहीं न कहीं इसमें ‘लाभ के बदले लाभ देने’ वाला काम भी हुआ है। उन्होंने पीएम मोदी पर भी तंज कसते हुए कहा कि कभी किसी ने यह कहा था की ‘ना मैं खाऊंगा ना ही खाने दूंगा’। दरअसल पीएम मोदी ने साल 2014 से पहले भ्रष्टाचार को खत्म करने वाले अपने एक वादे में यह बात कही थी। 

कपिल सिब्बल ने ट्वीट के माध्यम से यह कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के सभी दानदाता तथा साथ ही लाभ के बदले लाभ लेने वाले भी अब स्पष्ट रूप से दिख रहे है। उन्होंने आगे भी बिना पीएम मोदी का नाम लिए ही उन पर कई निशाने साधे। 

इससे पहले भी उन्होंने एसबीआई की तरफ से चुनावी बॉन्ड की डिटेल्स जारी करने वाले मामले में सुप्रीम कोर्ट से मांगे गए एक्सटेंशन पर भी कई टिप्पणियां की थी। उन्होंने कहा था कि SBI के द्वारा इसे टालने की पूरी कोशिश की गई लेकिन कोर्ट बेहद मजबूती के साथ खड़ा रहा।

चंदा लेकर सरकार ने दिया उनको भारी लाभ:

कांग्रेस के द्वारा भी इलेक्टोरल बॉन्ड के हुए खुलासे के बाद यह कहा गया है कि इससे साफ होता है कि लाभ के बदले में लाभ देने वाला काम तो हुआ है। पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा किया कि कई ऐसी कंपनियों हैं जिनके इस प्रकार के मामले देखने को मिले हैं, जहां पर इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से चंदा दिया गया हो तथा बाद में सरकार की तरफ से भी उसे भारी लाभ मिला हो।

उन्होंने आगे कहा कि करीब 1,300 से भी ज्यादा कंपनियों तथा व्यक्तियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से चंदा दिया है। जिसमें बात करें तो साल 2019 के बाद से भारतीय जनता पार्टी को करीब 6,000 करोड़ से भी अधिक मिला चंदा शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर रखी अपनी राय:

अमित शाह ने शुक्रवार को एक टीवी इंटरव्यू के दौरान कहा कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा इस इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक क़रार दिए जाने के बजाय इसमें सुधार लाने की कोशिश की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड को तो राजनीति में मौजूद काले धन तथा उसकी भूमिका को जड़ से ख़त्म करने के लिए लाया गया था।

उन्होंने यह भी कहा कि हम सभी को अब सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले को स्वीकार करना होगा। मैं शीर्ष कोर्ट के इस फ़ैसले का पूरी तरह से सम्मान करता हूं, लेकिन मेरा यह भी मानना है कि कोर्ट द्वारा इसे पूरी तरह खत्म न करके बल्कि इसमें सुधार करना चाहिए था। 

सरकार को कोर्ट से मांगनी चाहिए माफी:

अधीर रंजन चौधरी ने तो यहां तक कह दिया कि सरकार को इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में भी माफ़ी मांगनी चाहिए क्योंकि कि क़ानून के कई दिग्गज जानकारों के प्रयासों के बाद भी अदालत ने इसे असंवैधानिक क़रार कर दिया है।

उन्होंने कहा कि जिस दिन सदन में अरुण जेटली इस कानून को वित्त विधेयक के रूप में लेकर आए थे हम उसी दिन से लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। हमारा विरोध तो उसी दिन से शुरू हो गया था जिस दिन से सरकार के द्वारा चोरी-छिपे पिछले दरवाज़े से तथा सभी को डरा कर-धमका कर अपनी जेबों को भरने की कोशिश करते हुए यह इलेक्टोरल बॉन्ड लाया गया था।

उन्होंने आगे कहा कि हम आज न्यायपालिका तथा न्यायाधीशों का तहेदिल से आभार जताते हैं। उनके इस क्रांतिकारी क़दम के बाद यह सारे देश में साबित हो चुका है कि सरकार बहुमत के बल पर चाहे कुछ भी कर लें किंतु हमारे देश की न्यायपालिका देश में किसी अनर्थ अथवा गैरकानूनी कामों को किसी भी समय रोकने में काबिल है। 

समझते हैं कि क्यों रद्द किया कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड:

सुप्रीम कोर्ट ने बीते गुरुवार को इलेक्टोरल बॉन्ड की वैधता पर एक फ़ैसला सुनाते हुए इस पर तत्काल रूप से रोक लगा दी थी। दरअसल सर्वोच्च अदालत ने इसे अब असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखना संविधान में अनुच्छेद 19 (1) (ए) तथा  सूचना के अधिकार का उल्लंघन है। 
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि राजनीतिक पार्टियों को इसके माध्यम से आर्थिक मदद मिलने के साथ ही उसके बदले में कुछ और भी प्रबंध करने की व्यवस्था को काफी बढ़ावा मिल सकता है।

चीफ़ जस्टिस ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड काले धन पर काबू पाने वाला एकमात्र तरीक़ा नहीं हो सकता है। इसके कई और भी विकल्प हो सकते हैं।

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