वाराणसी: कांग्रेस ने शनिवार को प्रदेश अध्यक्ष अजय राय को वाराणसी लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है। यह तीसरी बार होगा जब वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चुनाव मैदान में उतरेंगे, इसके पहले से ही 2014 और 2019 में इसी सीट से चुनाव लड़े हैं। वे दोनों चुनावों में तीसरे स्थान पर रहे थे।
2014 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस ने अजय राय को भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार और प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के खिलाफ उतारा था। उस समय, आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अरविंद केजरीवाल भी चुनाव लड़ रहे थे और वह दूसरे स्थान पर थे, जबकि अजय राय तीसरे स्थान पर थे। 2019 के चुनाव में भी, अजय राय तीसरे स्थान पर रहे। उस समय, सपा की शालिनी यादव दूसरे स्थान पर थीं, जबकि सपा और बसपा के बीच गठबंधन था। अब फिर से, कांग्रेस ने अजय राय को प्रत्याशी बनाया है, और इस बार कांग्रेस का सपा के साथ गठबंधन भी है।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत भाजपा से ही की थी। 1996 से 2007 तक, उन्होंने भाजपा के टिकट से तीन बार विधायक रहे। 2009 में उन्होंने पार्टी से लोकसभा के टिकट के लिए आवेदन किया, लेकिन टिकट नहीं मिला, जिसके बाद वे समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। 2009 में उन्होंने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं सके। उन्होंने उसी साल पिंडरा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उपचुनाव लड़ा और विजय प्राप्त की। इसके बाद, 2012 में अजय कांग्रेस से जुड़े और पिंडरा सीट से जीत हासिल की।
अजय राय पर कई अपराधिक मामले भी दर्ज हैं, जिनमें गैंगस्टर और गुंडा एक्ट के मामले शामिल हैं। 2015 में उन्हें एनएसए के तहत गिरफ्तार भी किया गया था। उनके इन अपराधिक मामलों के कारण, 2021 में उनके चार शस्त्र लाइसेंस निलंबित कर दिए गए थे। उस समय, तत्कालीन डीएम कौशल राज शर्मा ने अजय राय के शस्त्र लाइसेंस को रद्द करने के आदेश दिए थे।
जातीय समीकरण के अनुसार, कुर्मी समाज के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। रोहनिया और सेवापुरी में सबसे अधिक कुर्मी समाज के वोटर हैं। इसके अलावा, ब्राह्मण और भूमिहार की संख्या भी प्रभावशाली है। एक आंकड़े के अनुसार, तीन लाख से अधिक गैर यादव ओबीसी, दो लाख से अधिक कुर्मी मतदाता और करीब दो लाख ही वैश्य और करीब पौने दो लाख भूमिहार मतदाता हैं। इसके अलावा, एक लाख यादव और लगभग एक लाख अनुसूचित जाति के मतदाता है।
पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे पूरी मेहनत से निभाऊंगा। इस बार के चुनाव में परिणाम अलग होंगे और मुझे पूरा भरोसा है कि बनारस की जनता मुझे आशीर्वाद देगी। - अजय राय, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
भाजपा को पहले से पता था कि अजय राय ही वाराणसी संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी होंगे। इसी कारण पार्टी ने भूमिहार मतदाताओं को साधने की व्यवस्था पहले ही कर ली थी। हाल ही में, धर्मेंद्र सिंह को एमएलसी बनाया गया है, जो भूमिहार बिरादरी से हैं और उत्तरी विधानसभा क्षेत्र में रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनाव का संयोजक सुरेंद्र नारायण सिंह को भी बनाया गया है, जो भूमिहार बिरादरी से हैं। उन्होंने रोहनिया विधानसभा क्षेत्र से विधायक के रूप में कार्य किया है।
महानगर अध्यक्ष विद्यासागर राय के पास कैंट विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी है, जो वाराणसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। इस क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा प्रत्याशी हैं। 2014 के चुनाव में उन्हें पौने छह लाख वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे अरविंद केजरीवाल को करीब दो लाख वोट मिले थे। 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी की जीत का आंकड़ा बड़ा था, जब उन्हें करीब पौने सात लाख वोट मिले और दूसरे नंबर पर रहीं सपा की शालिनी यादव को दो लाख वोट मिले थे।