सबसे पहले जानते हैं पुष्कर सिंह धामी का परिचय:
जन्म तिथि :16 सितंबर, 1975
जन्म स्थान: कनालीछीना, पिथौरागढ़
मां का नाम: बिशना धामी
पिता का नाम: स्व. शेर सिंह धामी
(रिटायर्ड सूबेदार)
पत्नी :गीता धामी
शिक्षा :स्नातकोत्तर व एलएलबी,लखनऊ विश्व विद्यालय
उत्तराखंड के बने सबसे युवा मुख्यमंत्री:
उत्तराखंड के इतिहास में पुष्कर धामी सबसे युवा मुख्यमंत्री हैं। जुलाई, 2021 में उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके बाद मार्च 2022 के विधानसभा चुनाव में खटीमा से हार के बावजूद भाजपा हाईकमान ने उन पर विश्वास जताया और दोबारा मुख्यमंत्री पद की बागडोर सौंपी। चंपावत उपचुनाव में उन्होंने करीब 94 फीसदी वोट हासिल कर जीत दर्ज की थी। धामी 2001 में मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के ओएसडी रहे हैं।
जीत की हैट्रिक लगाने की जिम्मेदारी है धामी के कंधों पर:
उत्तराखंड में पांचों सीटों पर जीत की हैट्रिक लगाने की जिम्मेदारी युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कंधों पर है। बीते दो साल में समान नागरिक संहिता, धर्मांतरण विरोधी कानून और नकल विरोधी कानून जैसे बड़े फैसले लेने वाले धामी इनको भुनाकर भाजपा के उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। साल 2014 तथा 2019 में हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा राज्य की सभी पांचों सीटें फतह कर चुकी है।
चुनाव से पहले ही विपक्ष के कई नेताओं को भाजपा के पाले में लाकर अपने राजनैतिक कौशल का परिचय देने वाले धामी ने पार्टी के पांचों प्रत्याशियों के नामांकन में पहुंच कर कार्यकर्ताओं को खास संदेश दिया है। वे अब तक भाजपा में कांग्रेस के एक विधायक समेत आठ पूर्व विधायकों को शामिल करा चुके हैं।
भाजपा ने उन्हें ऐसी विधानसभा सीटों की भी जिम्मेदारी सौंपी है, जहां भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ नहीं पाया है। धामी इन सीटों पर चुनावी बिगुल फूंकेंगे। पार्टी की तरफ से इसका रोडमैप भी तैयार कर लिया गया है।
यूसीसी से देशभर में आए सुर्खियों में:
धामी ने उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) विधेयक विधानसभा से पारित कराने के बाद देशभर में सुर्खियां बंटोरी। ऐसा करके वह भाजपा के आक्रामक नेताओं में भी शुमार हो चुके हैं।
प्रमुख स्टार प्रचारकों में हैं शामिल:
यह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लिए गए बड़े फैसलों का ही नतीजा है कि पार्टी ने उन्हें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हिमाचल और जम्मू कश्मीर के प्रमुख स्टार प्रचारकों में शामिल किया है।
23 सीटों पर बढ़त दिलाने की होगी चुनौती:
2022 में हुए विधानसभा चुनाव में BJP उत्तराखंड की 70 सीटों में से 23 सीटें हार गई थी। इस बार इन सभी सीटों पर लोकसभा चुनाव में भाजपा बढ़त बनाने के लिए शुरुआत से ही अपना पूरा जोर लगा रही है।
मुख्यमंत्री के साथ लोकसभा और राज्यसभा सांसदों को भी इन सीटों पर मत प्रतिशत बढ़ाने का जिम्मा दिया गया है । चकराता (देहरादून), धारचूला (पिथौरागढ़), मंगलौर, भगवानपुर और पिरान कलियर (हरिद्वार) तो ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां भाजपा का कभी खाता ही नहीं खुला।