एलोपैथी को कमतर आंकने और भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव को फिर से सुप्रीम फटकार: इतने नादान नहीं है आप, सार्वजनिक माफी के लिए दी एक सप्ताह की और मोहलत?
एलोपैथी को कमतर आंकने और भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव को फिर से सुप्रीम फटकार

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में कल 16 अप्रैल को पतंजलि के विज्ञापन मामले में योग गुरु स्वामी रामदेव के माफीनामे पर सुनवाई हुई। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों ही सुप्रीम कोर्ट में मौजूद रहे। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट माफी मांगी है। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि पतंजलि की माफी अभी स्वीकार नहीं की गई है। 

सुप्रीम कोर्ट ने स्वामी रामदेव से पूछा कि आपने कहा था कि कुछ और भी दाखिल करना चाहते हैं, क्या कुछ अतिरिक्त दाखिल किया गया ? इस पर रामदेव के वकील ने कहा कि अभी हमने फाइल तो कुछ नहीं किया है, लेकिन रामदेव और बालकृष्ण दोनों सार्वजनिक माफी मांगना चाह रहे हैं। रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन के लिए अखबार में सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने की पेशकश की है।

कोर्ट से वीडियो का प्रसारण हुआ बाधित

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण से बातचीत की जिसमें जस्टिस कोहली ने स्वामी रामदेव से कहा कि आप लोग मशहूर हैं, आपने योग के क्षेत्र में काफी काम किया है और अब आप बिजनेस भी करने लगे है। तभी सुप्रीम कोर्ट के वीडियो का प्रसारण बाधित हो गया.. तीन मिनट बाद सिर्फ ऑडियो आया। जस्टिस कोहली ने कहा कि ये बाधा सिर्फ संयोग है, हमारी ओर से कोई सेंशरशिप नहीं है। कोर्ट ने बाबा रामदेव से पूछा कि आपको माफी क्यों मिलनी चाहिये?


रामदेव बोले हमसे हुई है गलती

आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि यह गलतियाँ अज्ञानता के कारण हुई हैं और हमारे पास सबूत हैं। जस्टिस अमानुल्ला ने कहा कि आप एलोपैथी के पर उंगली नहीं उठा सकते, यह ठीक नहीं है। स्वामी रामदेव ने कहा कि हमने उत्साह में काम किया है, लेकिन हमें आगे सजग रहना चाहिए और हम एलोपैथी के बारे में कुछ नहीं बोलेंगे।

स्वामी रामदेव ने कोर्ट में कहा कि वे आगे से सतर्क रहेंगे और उन्हें यह ज्ञात है कि करोड़ों लोग उनसे जुड़े हुए हैं। कोर्ट ने कठोर टिप्पणी करते हुये कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद अपने ये सब किया है। आपको यह पता है कि लाइलाज बीमारियों के विज्ञापन करना गलत है और कानून सभी के लिए समान है। स्वामी रामदेव ने कहा कि उन्होंने बहुत सारे टेस्ट किए हैं, जिस पर जस्टिस कोहली ने उन्हें टोका और कहा कि उनका व्यवहार असंवैधानिक है।


लगातार नियमों के उल्लंघन किए है पतंजलि ने 

जस्टिस कोहली ने कहा कि इतनी इनोसेंस कोर्ट में नहीं चलती हैं कि आज आप माफी मांग रहे है। स्वामी रामदेव ने यह कहकर जवाब दिया कि ऐसी गलती फिर से नहीं होगी। इसके बाद जस्टिस कोहली ने बताया कि उनका पिछला रिकॉर्ड अच्छा नहीं है और कोर्ट को यह विचार करना होगा कि क्या वह माफी को स्वीकार करेंगे या नहीं, क्योंकि उन्होंने लगातार नियमों का उल्लंघन किया है। जस्टिस अमानुल्ला ने बताया कि उन्होंने दिल से माफी नहीं मांगी है, जो ठीक नहीं है।

23 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन के लिए अखबार में सार्वजनिक माफी प्रकाशित करने की पेशकश की है। सुप्रीम कोर्ट ने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों की सुनवाई की अगली तारीख यानि 23 अप्रैल को उपस्थित रहने को कहा गया है। 


समझिए क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने 21 नवंबर, 2023 के आदेश में कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद के प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने सुप्रीमकोर्ट को आश्वासन दिया था कि अब से वह किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करेंगे, खासकर पतंजलि आयुर्वेद द्वारा निर्मित और विपणन किए गए उत्पादों के विज्ञापन या ब्रांडिंग के संबंध में। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को इस आश्वासन का पालन करने के लिए बाध्य किया जाएगा। अगर इस आश्वासन का पालन नहीं किया जाता और मीडिया में बयान जारी किया जाता है, तो शीर्ष अदालत अप्रसन्न होगी। आश्वासन का पालन नहीं करने और उसके बाद मीडिया में बयान जारी किए जाने पर शीर्ष अदालत ने अप्रसन्नता व्यक्त की थी। उसके बाद, न्यायालय ने पतंजलि को कारण बताने के लिए नोटिस जारी किया कि क्यों न उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए।

ब्रांड एक भरोसा है, इसे कभी नहीं तोड़ा जाना चाहिए

हरीश बिजूर कंसल्ट्स इंक के संस्थापक हैं। वह कहते हैं 'ब्रांड एक भरोसा है। वो भरोसा जो उपभोक्ता किसी उत्पाद पर करता है। और इस भरोसे को कभी तोड़ा नहीं जाना चाहिए और ना ही तोड़ने की कोशिश करनी चाहिए। ब्रांड की नैतिकता आज एक गंभीर समस्या है। हरीश बिजूर जी कहते हैं कि कंपनियों, ब्रांड्स और उनके लुभावने ऑफरों में ईमानदारी होनी चाहिए। किसी को भी ईमानदारी के रास्ते से भटकना नहीं चाहिए। दुनियाभर में सिर्फ सच बोलना ही सबसे अच्छा माना जाता है। कोई अतिशयोक्ति नहीं। कोई झूठ नहीं। कोई ऐसा लालच नहीं करना चाहिए जो झूठ हो या आधा सच हो।’


भ्रामक विज्ञापनों के लिए क्या इन्टरनेट जिम्मेदार?

इंटरनेट की वजह से विज्ञापन के नए तरीके सामने आए है जिसकी वजह से भ्रामक विज्ञापनों की समस्या और बढ़ा गयी है क्युकी विज्ञापन के नियम-कानून बदलते मार्केटिंग के साथ तालमेल नहीं रख पा रहे हैं। स्मार्टफोन और सोशल मीडिया की वजह से आज बहुत कम खर्च में विज्ञापन और प्रचार सामग्री देश के दूर-दराज के इलाकों तक पहुंच जाती है। सोशल मीडिया पर हम जितने तरह के विज्ञापन और प्रचार देखते हैं, वही असल जिंदगी में हमारे फैसलों को प्रभावित करते हैं। वजन कम करना, गोरा रंग पाना, स्वस्थ दिल के लिए तेल... ये चीजें अनगिनत हैं। कंपनियां खूबसूरत सपने दिखाती हैं, और भोक्ता उन्हें सच मान लेते हैं।

अन्य खबरे