जामा मस्जिद को लेकर होगी न्यायालय में सुनवाई: सीढ़ियों का जीपीआर सर्वे कराने की हुई मांग, मस्जिद में दबे मिल सकते हैं प्रभु श्री कृष्ण के विग्रह
जामा मस्जिद को लेकर होगी न्यायालय में सुनवाई

दरअसल आगरा के जिला न्यायालय में जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर तकनीक द्वारा वैज्ञानिक सर्वे कराने की मांग की गई है। अयोध्या में राम मंदिर और काशी में ज्ञानवापी के बाद जामा मस्जिद की सीढ़ियों का सीपीआर सर्वे करने के लिए एप्लिकेशन जमा कर दी गई है। जो कि श्री कृष्ण भगवान विराजमान बनाम उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड केस में योगेश्वर श्री कृष्ण जन्म स्थान सेवा ट्रस्ट ने लगाई है। जिसकी सुनवाई अब की जाएगी।

पिछले वर्ष योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्म स्थान सेवा ट्रस्ट के द्वारा आगरा कोर्ट में एक वाद दाखिल किया गया था। इस वाद में आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे मथुरा के श्री केशव देव मंदिर के विग्रह दबे होने का दावा किया गया था। इस केस के वकील अजय प्रताप सिंह ने बताया कि हमने कई अहम साक्ष्य जुटाए हैं। जिसके अनुसार भगवान केशव देव मंदिर के विग्रह आगरा की जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबे हुए हैं। इसलिए हमने जामा मस्जिद की सीढ़ियों का जीपीआर सर्वे कराने के लिए कोर्ट में आग्रह किया है।

सीढ़ियों के नीचे दबाए गए श्री कृष्ण के विग्रह:

अधिवक्ता अजय प्रताप ने बताया कि वर्ष 1669-70 में मुगल शासक औरंगजेब के आदेश के द्वारा मथुरा के श्री कृष्ण जन्म स्थान मंदिर के प्रभु श्री कृष्ण व साथ में अन्य विग्रह आगरा की जामा मस्जिद (बेगम साहब) की मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दबाए गए थे। ताकि वे नमाजी मस्जिद की सीढ़िया पर चढ़ते उतरते पैरों से कुचल कर सनातन धर्म और सनातन धर्मलंबियों को अपमानित कर सके। जामा मस्जिद कि सीढ़ियों के नीचे प्रभु श्री कृष्ण के विग्रह को दबाए जाने का उल्लेख औरंगजेब के शासनकाल में लिखी पुस्तक "मासिर ए आलमगीरी" के पाठ 13 में मिलता है।

उन्होंने बताया कि तीसरा साक्ष्य अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शोध छात्र सलीम अंसारी ने मास्टर ऑफ फिलॉसफी की थीसिस वर्ष 2015 में प्रोफेसर मोहम्मद अफजल खान की देखरेख में पूरी की। जिसका शीर्षक "Studying Mughal architecture under shahjahan: Mosques of Agra" में मिलता है। जिसमें सलीम अंसारी ने जहांआरा को बेगम साहब बताया है।

हमारे पूर्वजों द्वारा हुआ था मंदिर का निर्माण:

सिविल जज सीनियर डिवीजन तृतीय के न्यायालय में दायर दर्ज कराए वाद में एटा के विक्रम सिंह ने किया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान राठौड़ गहरवार बुंदेला वंश के अस्तित्व को जीवंत करता है। उन्हीं के वंश के पहले राजा विजयपाल सिंह देव ने इस मंदिर का निर्माण कराया और फिर वीर सिंह बुंदेला ने। उनका कहना है कि हमारे पूर्वजों ने मंदिर का निर्माण कराया था।

शाही मस्जिद ईदगाह की भूमि जिस स्थान पर है उस स्थान पर उन्हें भी प्रतिनिधित्व और संरक्षण का अधिकार मांगा है। इसके पीछे उनका तर्क है कि इसमें हमारे पूर्वजों का पैसा और समय लगा है। उन्होंने वर्ष 1968 में शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी और श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ के बीच हुआ समझौता और न्यायालय की डिक्री निरस्त करने की मांग की। उनका कहना है कि वह नयागांव के रहने वाले हैं जो कि राठौड़ और गहड़वाल (गहरवार) रियासत का एक नगर है। न्यायालय ने ये वाद इलाहाबाद हाई कोर्ट स्थानांतरित करने का आदेश दिया है ।

जीपीआर तकनीक से होगा सर्वे:

राम जन्मभूमि और काशी ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद में इसी जीपीआर तकनीक का प्रयोग हुआ था। इसमें जमीन की खुदाई किए बिना ही 10 मीटर गहराई तक धातु व अन्य महत्त्वाकांक्षी सूचनाओं के बारे में जानकारी मिल जाती है। पुरातन इतिहास जानने के लिए जमीन का खनन नहीं करना पड़ता है। विशेषज्ञों के मुताबिक सर्वे में परिसर के अंदर जमीन में दबी वस्तुओं की सातिक जनकारी लेने की यह एक अचूक एवं अद्भुत तकनीक है।

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