वाराणसी: अब करीबन आधी आबादी के कंधों पर काशी में दुर्गा घाट पर गंगा आरती की जिम्मेदारी होगी। मंदिरों में दर्शन कराने से लेकर नाव संचालन तक महिलाएं ही करेंगी। इन सभी कार्यों में अनाथ आश्रम में रहने वाली लड़कियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
काशी विश्व मांगल्य सभा के काशी प्रकल्प ने महिला सशक्तीकरण के लिए महिलाओं को और हुनरमंद बनाने की कार्ययोजना तैयार की है। महिलाओं को टूरिस्ट गाइड के साथ ही महिला अर्चक के रूप में भी तैयार किया जाएगा। विश्व मांगल्य सभा काशी की प्रकल्प प्रमुख शिवांगी द्विवेदी ने बताया कि दो माह के अंदर ही प्रशिक्षण और महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
देश में ऐसा पहली बार हो रहा है जब गंगा आरती की जिम्मेदारी आधी आबादी के कंधों पर होगी। दो महीने में दुर्गा घाट से इसका श्रीगणेश होगा। यह देश का पहला घाट होगा जहां आधी आबादी मां गंगा की नियमित आरती उतारेगी। इसकी कार्ययोजना काशी विश्व मांगल्य सभा के काशी प्रकल्प की ओर से तैयार की गई है।
दुर्गाघाट पर नाना फड़नवीस के बाड़ा में भारतीय युद्धकला, नाव संचालन, गंगा आरती, टूरिस्ट गाइड सहित दो दर्जन से अधिक स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जाएगा। यहां रहने वाली महिलाएं अन्न क्षेत्र का संचालन भी करेंगी। दो से ढाई हजार लोगों को प्रतिदिन भोजन कराया जाएगा। आरती के प्रशिक्षण के बाद महिलाओं का समूह नियमित रूप से दुर्गा घाट पर गंगा आरती करेगा।
दुर्गा घाट स्थित फड़नवीस बाड़ा का जीर्णोद्धार कर 200 कमरों की धर्मशाला बनाई जाएगी और यह पूरी तरह से महिलाओं के लिए ही होगी। देश भर से काशी आने वाली श्रद्धालुओं, महिलाओं और पर्यटकों को यहां ठहरने का इंतजाम रहेगा।
शिवांगी द्विवेदी ने सेवा कार्य के लिए हाईकोर्ट की प्रैक्टिस छोड़ दी है। वर्ष 2022 तक वह लखनऊ हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करती थीं। अब विश्व मांगल्य प्रकल्प के साथ जुड़कर महिला उत्थान के लिए काम करती हैं। समाज के प्रति समर्पण के कारण ही उन्होंने नई मुहिम शुरू की है।
काशी विश्व मांगल्य सभा की ओर से दुर्गाघाट और पंचगंगा घाट के प्राचीन धरोहरों को सहेजने संवारने का काम तीन फेज में होगा। पहले चरण में धर्मशाला का निर्माण कार्य शुरू हो चुका है। दूसरे में विट्ठल मंदिर व हॉल का निर्माण और तीसरे फेज में बिंदु माधव मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। पहले फेज के काम पर 37 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
विश्व मांगल्य सभा द्वारा पंचगंगा स्थित बिंदु माधव मंदिर का जीर्णोद्धार कराया जाएगा। इस मंदिर का शिखर काशी का सबसे ऊंचा शिखर होगा। जीर्णोद्धार के बाद बिंदु माधव मंदिर आध्यात्मिक पर्यटन के फलक पर एक और नया केंद्र बनेगा। पर्यटक आसानी से इस मंदिर तक पहुंच सकें, इसकी योजना तैयार की जा रही है। इस धरोहर के पुराने स्वर्णिम वैभव से पर्यटकों को रूबरू कराने की योजना तैयार कर ली गई है।