नई दिल्ली: देशभर में सोमवार से एक वाहन-एक फास्टैग नियम लागू हो गया है। इस नियम का मकसद कई वाहनों के लिए एक ही फास्टैग या एक वाहन के लिए कई फास्टैग के इस्तेमाल को रोकना है।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, नियम लागू हो जाने के बाद अब एक वाहन पर एक से अधिक फास्टैग नहीं लगाए जा सकेंगे। जिन लोगों के पास एक वाहन के लिए कई फास्टैग हैं, वे एक अप्रैल, 2024 से उनका इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने पेटीएम फास्टैग का इस्तेमाल करने वाले वाहन मालिकों की समस्याओं को देखते हुए एक वाहन-एक फास्टैग के अनुपालन की समयसीमा 31 मार्च, 2024 तक बढ़ा दी थी। फास्टैग की पहुंच लगभग 98 फीसदी वाहनों तक है और इसके आठ करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं।
एनएचएआई ने एक वाहन, एक फास्टैग पहल काफी पहले ही शुरू कर दी थी जिसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था की कई वाहनों के लिये एकल फासटैग का उपयोग या किसी विशेष वाहन के लिये कई फास्टैग को जोड़ने का कार्य हो सके।
एनएचएआई द्वारा फासटैग उपयोगकर्त्ताओं को आरबीआई के निर्देशों अनुसार के अनुसार केवाईसी अपडेट करके अपने नवीनतम फासटैग की (अपने ग्राहक को जानें) प्रक्रिया को पूरा करने के लिये भी प्रोत्साहित किया गया अथवा वैध बैलेंस लेकिन अपूर्ण केवाईसी वाले फासटैग को 31 जनवरी, 2024 के बाद बैंकों द्वारा निष्क्रिय/ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था।
फास्टैग (FASTag) क्या है?:
फासटैग एक साधन/उपकरण है जो गतिशील वाहनों को निर्बाध रूप से सीधे टोल भुगतान कराने के लिये रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) तकनीक का इस्तेमाल करता है। एनएचएआई ने फासटैग की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाने के लिये दो मोबाइल ऐप को भी लॉन्च किया जिनके नाम –MyFASTag और FASTag पार्टनर हैं। टैग जारी होने की तारीख से 5 वर्ष के लिये वैध रहता है जो 7 अलग-अलग रंग कोड में उपलब्ध कराया जाता है।
FASTag के लाभ:
1. टोल प्लाज़ा के माध्यम से लगभग निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित हुई।
2. टोल/पथकर शुल्क हेतु कैशलेस भुगतान की सुविधा।
3. यातायात की भीड़ कम हुई तथा आवागमन का में लगने वाला समय कम हुआ।
टोल संचालक के लिये:
1. कम परिचालन लागत।
2. केंद्रीकृत उपयोगकर्त्ता खातों के माध्यम से बेहतर ऑडिट/लेखापरीक्षा नियंत्रण।
3. अधिक बुनियादी ढाँचे के निर्माण की आवश्यकता के बगैर क्षमता में भाडोत्री।
सरकार के लिये:
1. ईंधन की बचत तथा टोल प्लाज़ा पर प्रतीक्षा करने एवं बार-बार रुकने से होने वाले उत्सर्जन में कमी।
2. टोल लेनदेन के समय पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
3. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण क्या है?
एनएचएआई का गठन वर्ष 1988 में संसद के एक अधिनियम द्वारा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत सरकार द्वारा सौंपे गए राष्ट्रीय राजमार्गों के प्रबंधन, अनुरक्षण एवं विकास के लिये एक केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में किया गया था। हालाँकि प्राधिकरण फरवरी 1995 में यह पूरी तरह से क्रियाशील हुआ था। प्राधिकरण में अधिकतम पाँच पूर्णकालिक सदस्य, एक पूर्णकालिक अध्यक्ष और चार अंशकालिक सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा ही नियुक्त किया जाता है।
राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह कार्यक्रम क्या है?:
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ( एनपीसीआई) ने भारत की इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग ज़रूरतों को पूरा करने के लिये राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (एनईटीसी) कार्यक्रम बनाया है। यह कार्यक्रम एक राष्ट्रव्यापी और अंतर-संचालनीय टोल भुगतान समाधान प्रदान करता है जिसमें विवाद समाधान और निपटान के लिये क्लीयरिंग हाउस सेवाएँ शामिल होती हैं। एनईटीसी के संदर्भ में इंटरऑपरेबिलिटी का मतलब तकनीकी विशिष्टताओं और प्रक्रियाओं का एक मानकीकृत सेट है। जो फास्टैग उपयोगकर्त्ताओं को प्लाज़ा के ऑपरेटर की परवाह किये बिना किसी भी टोल प्लाज़ा पर भुगतान के लिये अपने टैग का उपयोग करने की अनुमति देता है।