CAA लागू होने के बाद इंटरनेट से लेकर जमीन तक चप्पे चप्पे पर पुलिस, पैरामिल्ट्री और खुफिया एजेंसियों की नजर: क्या पूर्वोत्तर मे हो रहा हैं विरोध, क्या विपक्षी नेता भी कर रहे हैं सरकार पर जमकर पलट वार? जानिए बहुत कुछ?
CAA लागू होने के बाद इंटरनेट से लेकर जमीन तक चप्पे चप्पे पर पुलिस, पैरामिल्ट्री और खुफिया एजेंसियों की नजर

मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए आज यानी सोमवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) नियमों की घोषणा तदनुसार गृह मंत्रालय द्वारा आज शाम सीएए के नियमों को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गयी है। 

लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले सीएए नियमों की अधिसूचना जारी करना मोदी सरकार का एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। इस बीच विपक्षी नेताओं ने भाजपा और मोदी सरकार पर जमकर पलटवार किया है।

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि जब देश के नागरिक रोजी-रोटी के लिए बाहर जाने पर मजबूर हैं तो दूसरों के लिए ‘नागरिकता कानून’ लाने से क्या होगा?

CAA लागू होने के बाद से यूपी पुलिस है हाई अलर्ट पर

लखनऊ-बरेली के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में पुलिस और पैरा-मिलिट्री फोर्स ने फ्लैग मार्च किया। वहीं संभल में भी पुलिस फोर्स की चौकसी बढ़ा दी गई है। संभल के प्रमुख चौराहों और प्रमुख मार्गों पर पैरा-मिलिट्री के जवान को तैनात किया जा रहा है। 

DGP ने अफसरों को किया था सतर्क

3 दिन पहले DGP प्रशांत कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सभी जिलों के डीएम-एसपी के साथ मीटिंग की थी। इसमें CAA लागू होने की संभावना को लेकर सतर्क रहने के निर्देश दिए थे।


सीएम योगी ने अधिनियम लागू करने को ऐतिहासिक बताया

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक्स पर लिखा कि मोदी सरकार द्वारा लिया गया य़ह फैसला ऐतिहासिक है। और प्रधानमंत्र नरेंद्र मोदी को धन्यवाद भी दिया। उन्होंने लिखा कि पीड़ित मानवता के कल्याणार्थ नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू करने का निर्णय ऐतिहासिक है। इससे पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफगानिस्तान में मजहबी बर्बरता से पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय के सम्मानजनक जीवन का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

सीएम योगी ने कहा, "मनुष्यता को आह्लादित करने वाले इस मानवीय निर्णय हेतु आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार एवं माननीय गृहमंत्री अमित शाह को धन्यवाद। इस अधिनियम के अंतर्गत भारत की नागरिकता प्राप्त करने जा रहे सभी लोगों का हार्दिक अभिनन्दन।"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और प्रतिबद्धता पूरी की: शाह

गृह मंत्री अमिस शाह ने एक्स पर कहा कि मोदी सरकार ने आज नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित कर दिया। ये नियम अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अल्पसंख्यक लोगों को हमारे देश में नागरिकता दिलाने मे योगदान देंगे।

शाह ने आगे कहा कि इस अधिसूचना के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज एक और प्रतिबद्धता पूरी की है और उन देशों में रहने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए हमारे संविधान निर्माताओं के वादे को साकार किया है।


विपक्षी नेता कर रहे हैं सरकार पर वार

कांग्रेस का कहना है कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को पाँच साल लग गए। वहीं सांसद औवैसी ने भी मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है।

 कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा है कि भाजपा का एकमात्र उद्देश्य हर मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम बनाना होता है।


कांग्रेस ने मोदी सरकार की टाइमिंग पर उठाया सवाल

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर मोदी सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा है कि दिसंबर 2019 में संसद द्वारा पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम के नियमों को अधिसूचित करने में मोदी सरकार को 5 साल लग गए।

भाजपा का एकमात्र उद्देश्य हर मुद्दे को हिंदू-मुस्लिम बनाना

कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि इतनी देरी क्यों हुई इसको लागू करने मे? और अगर देरी करनी ही थी तो चुनाव के बाद इसे लागू किया जा सकता था? भाजपा का एकमात्र उद्देश्य हर मुद्दे को हिंदू और मुस्लिम बनाना होता है।"

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने किया विरोध

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि जनता अब भटकावे की राजनीति का भाजपाई खेल समझ चुकी है। भाजपा सरकार ये बताए देश के नागरिक देश की नागरिकता छोड़ कर बाहर क्यूँ जा रहे। चाहे कुछ हो जाए इलेक्टोरल बांड का हिसाब तो देना ही पड़ेगा और फिर केयर फंड का भी।

हम लोकसभा चुनाव से पहले अशांति नहीं चाहते: ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि अगर नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) लोगों के साथ भेदभाव करता है तो वह इसका विरोध करेंगी। उन्होंने कहा, "सीएए, एनआरसी बंगाल और पूर्व के स्टेटस के लिए संवेदनशील है और ममता ने आगे कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले हम अशांति नहीं चाहते।"

सीएए को केरल में लागू नहीं किया जाएगा- पी विजयन

उधर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सीएए को सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी कानून बताया और कहा कि इसे केरल में लागू नहीं किया जाएगा।

औवैसी ने बताया सीएए का उद्देश्य

उन्होंने कहा कि सताए गए किसी भी व्यक्ति को शरण दें लेकिन नागरिकता धर्म या राष्ट्रीयता पर आधारित नहीं होनी चाहिए। सरकार को बताना चाहिए कि उसने इन नियमों को 5 साल तक क्यों लंबित रखा और वो अब इसे क्यों लागू कर रही है। एनपीआर-एनआरसी के साथ सीएए का उद्देश्य केवल मुसलमानों को लक्षित करना है, इसका कोई अन्य उद्देश्य नहीं है। ओवैसी ने आगे कहा कि इसका विरोध करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।


पूर्वोत्तर में हो रहा सबसे ज्यादा विरोध

नागरिकता संशोधन कानून का सबसे ज्यादा विरोध पूर्वोत्तर राज्यों, असम, मेघालय, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश में हो रहा है क्योंकि ये राज्य बांग्लादेश की सीमा के बेहद क़रीब हैं।

इन राज्यों में इसका विरोध इस बात को लेकर है कि यहां पड़ोसी राज्य बांग्लादेश से मुसलमान और हिंदू दोनों ही बड़ी संख्या में बिना किसी परमिशन के आकर बस रहे हैं।

विरोध इस बात का है कि वर्तमान सरकार हिंदू मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की फिराक में प्रवासी हिंदुओं के लिए भारत की नागरिकता लेकर यहां बसना आसान बनाना चाहती है।

पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य असम में इस कानून के विरोध में कृषक मुक्ति संग्राम समिति, युवा संगठन असम जतियाबाड़ी युवा छात्र परिषद और वामपंथी राजनीतिक गठबंधन समूह वाम-डेमोक्रेटिक मंच शामिल हैं।


जानिए क्या है नागरिकता संशोधन अधिनियम के प्रमुख बिंदु

-नागरिकता अधिनियम, 1955 भारतीय नागरिकता से जुड़ा एक विस्तृत क़ानून है।इसमें बताया गया है कि किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता कैसे दी जा सकती है और भारतीय नागरिक होने के लिए ज़रूरी शर्तें क्या हैं।

-इस अधिनियम में पहले भी हो चुके है संशोधन। 2019 में एक बार केंद्र की बीजेपी सरकार इस क़ानून में संशोधन के लिए विधेयक लाई थी, जिसे नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 कहा गया।

-संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद जब इस विधेयक पर राष्ट्रपति की मुहर लगी तो यह क़ानून बन गया।

-अब आज 11 मार्च 2024 को इस क़ानून को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी गयी है। 

-इस क़ानून में पड़ोसी देशों से शरण के लिए भारत आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है।

-इस क़ानून के अनुसार 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश कर चुके अफ़ग़ानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को ही सिर्फ नागरिकता मिल पाएगी।

-नागरिकता (संशोधन) क़ानून, 2019 से पहले किसी भी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता लेने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य था, लेकिन अब पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों के लिए यह समय अवधि 11 साल से घटाकर 6 साल कर दी गई है।

-इसके पहले भारत में अवैध तरीके से आने वाले लोगों को नागरिकता नहीं मिलती थी और उन्हें वापस उनके देश भेज दिया जाता था या हिरासत में रखने का प्रावधान था, लेकिन अब ऐसे लोगों को नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 के तहत देखा जाएगा औए उनको भारत की नागरिकता भी दी जाएगी।

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