चुनावी घोषणा के बाद लोकतंत्र का महापर्व शुरू: राष्ट्रीय राजधानी की 7 सीटों पर 25 मई को होगा मतदान, 29 अप्रैल को आयेगा नोटिफिकेशन
चुनावी घोषणा के बाद लोकतंत्र का महापर्व शुरू

राजधानी दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर छठे चरण में एक साथ 25 मई को मतदान होगा। चुनाव को लेकर 29 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी होगी। प्रत्याशी अपना नामांकन 6 मई तक दाखिल कर सकेंगे। इसके पश्चात 7 मई को स्क्रूटनी की जाएगी। प्रत्याशी 9 मई तक अपना नाम वापस ले सकेंगे। 

दिल्ली पश्चिम में सर्वाधिक मतदाता:

मतदाताओं को संख्या के हिसाब से 24.88 लाख वोटर्स वाली दिल्ली पश्चिम लोकसभा सीट सबसे बड़ी है, जबकि 14.81 लाख वोटर्स के साथ नई दिल्ली सबसे छोटी लोकसभा  सीट है। 

आम आदमी पार्टी-कांग्रेस और बीजेपी के बीच मुख्य मुकाबला:

आगामी लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला(आप और कांग्रेस का) गठबंधन और बीजेपी के बीच माना जा रहा है। अभी तक बीजेपी सातों लोकसभा सीटों पर अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर चुकी है। वहीं कांग्रेस को गठबंधन में अपने हिस्से की 3 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी घोषित करने हैं। 

बीजेपी के उम्मीदवार घोषित:

बीजेपी ने पूर्वी दिल्ली सीट से हर्ष मल्होत्रा, उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से वर्तमान सांसद मनोज तिवारी, चांदनी चौक सीट से प्रवीण खंडेलवाल, नई दिल्ली से बांसुरी स्वराज,दक्षिणी दिल्ली से रामवीर सिंह बिधूड़ी, पश्चिमी दिल्ली से कमलजीत सहरावत और उत्तरी पश्चिमी दिल्ली से योगेन्द्र चंदोलिया को उम्मीदवार घोषित किया। वहीं, आप ने पूर्वी दिल्ली से कुलदीप कुमार, नई दिल्ली से सोमनाथ भारती,दक्षिणी दिल्ली से सहीराम और पश्चिमी दिल्ली से महाबल मिश्रा को चुनावी मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने अपने हिस्से की तीनों सीटों(चांदनी चौक,उत्तर पूर्वी दिल्ली और उत्तर पश्चिमी दिल्ली) पर अभी तक प्रत्याशी नहीं घोषित किया गया है। 

मोदी सरकार के काम बखूबी जानती है जनता: नेता प्रतिपक्ष

विपक्षी गठबंधन के हौसले इतने पस्त हैं कि वे अब तक अपने प्रत्याशी तक घोषित नहीं कर पाए हैं। जबकि बीजेपी के सातों प्रत्याशी विगत कई दिनों से जन संपर्क अभियान में लगे हैं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार जब भ्रष्टाचार में लिप्त थी। तब केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली में अनेक कार्य किए हैं,जनता को सब पता है।

हर नेता के अपने-अपने दावे, अब जनता के जवाब का समय

आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने कहा कि हम चुनाव में जाने के लिए पूर्णतया तैयार हैं। यह इलेक्शन भारत के संविधान और विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को बचाने के लिए है। गोपाल राय ने कहा कि लोकसभा चुनाव की घोषणा का आम आदमी पार्टी स्वागत करती है। उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर मजबूती से चुनाव लड़ेगी। हमें विश्वास है कि विगत 10 वर्षों में जनता को जो भी दर्द सहना पड़ा है, यह चुनाव उसका उत्तर देने का अवसर प्रदान करेगा।

जनता से विकास पर मांगेंगे वोट: दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष

दिल्ली बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि यह चुनाव विकास के मॉडल पर लड़ा जाएगा। भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में हमारी सरकार ने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं और उस दिशा में निरंतर काम जारी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के कार्यों को लेकर हम जनता के बीच जाएंगे और मजबूती के साथ सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे।

उन्होंने कहा की राजधानी दिल्ली में छठे चरण में चुनाव होना है। इसलिए हम पार्टी कार्यकर्ताओं के मध्य तालमेल बनाए रखने और अभियान की गति को निरंतर बनाए रखने के लिए अपनी चुनावी रणनीति की समीक्षा करेंगे। प्रत्येक सीट के हिसाब से हम चुनाव अभियान की रणनीति बनाकर प्रचार-प्रसार में उतरेंगे।

गठबंधन होगा विजयी: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष

लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अरविंद सिंह लवली ने बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से मांग की है कि वह अपने सातों सांसदों द्वारा विगत 10 वर्षों में किए गये विकास कार्यों का रिपोर्ट कार्ड प्रस्तुत करे।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस और इंडिया के प्रत्याशी दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करेंगे। लवली ने आरोप लगाया कि बीजेपी अपने सांसदों के खराब प्रदर्शन और हार के भय से हर चुनाव में उम्मीदवार बदलकर जनता को गुमराह करती है। उन्होंने चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद बीजेपी सांसदों पर जनता के बीच से गायब रहने का आरोप लगाया।

आचार संहिता की वजह से दिल्ली सरकार की कई योजनाएं अटक गईं:

लोकसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही पूरे देश में आदर्श आचार संहिता(एमसीसी)लागू हो गई है।  इसकी वजह से दिल्ली सरकार की कई योजनाओं के लिए अब जून तक इंतजार करना पड़ेगा।  इन योजनाओं में मोहल्ला बस सेवा से लेकर पानी बिल की एकमुश्त समाधान योजना तक शामिल है।  कई योजनाएं क्रियान्वयन के अंतिम चरण में थीं, लेकिन आचार संहिता की वजह से उन्हें भी रोक दिया गया है।

 मोहल्ला बस

 दिल्ली सरकार लास्ट माइल कनेक्टिविटी के लिए नौ मीटर वाली मिनी बसें सड़कों पर उतारने की तैयारी कर रही है।  इस महीने के अंत तक इन बसों का उद्घाटन होना था, लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण ये बसें फिलहाल सड़कों पर नहीं उतर पाएंगी। मोहल्ला बस के लिए लोगों को जून तक इंतजार करना पड़ेगा।  इसके तहत सरकार दिल्ली में 2000 से अधिक बसें उतारने की तैयारी कर रही है।

 वन टाइम सेटलमेंट योजना

दिल्ली में पानी के बिल को लेकर काफी शिकायतें हैं। लगभग साढ़े 10 लाख उपभोक्ता ऐसे हैं जो पानी का बिल नहीं भर रहे हैं।  सरकार ने ऐसे बिलों की माफी और सुधार के लिए एकमुश्त समाधान योजना की घोषणा की थी।  इसका कैबिनेट नोट भी तैयार हो गया था, लेकिन आपत्तियों के कारण यह रुक गया था।  इसका कैबिनेट प्रस्ताव इसी महीने आना था। लेकिन अब यह योजना भी जून तक के लिए अटक गई है।

 सीनियर बिजनेस ब्लास्टर्स

दिल्ली सरकार ने स्कूलों में बच्चों को उद्यमिता कौशल सिखाने के लिए बिजनेस ब्लास्टर्स कार्यक्रम शुरू किया था।  इसके लिए बजट में अलग से बजट की भी घोषणा की गई थी। कैबिनेट में इसके प्रस्ताव को भी मंजूरी मिल चुकी है। अधिकारियों ने बताया कि यह स्कीम आखिरी चरण में थी, जल्द ही इसकी अधिसूचना जारी होनी थी लेकिन आचार संहिता लागू होने की वजह से इसे अभी लागू नहीं किया जाएगा।

 लाजपत नगर पार्किंग का उद्घाटन

दिल्ली नगर निगम(एमसीडी) ने लाजपत नगर में एक बहुमंजिला पार्किंग का निर्माण किया है।  इसे इसी महीने प्रारंभ करने की योजना थी। लेकिन आचार संहिता के कारण इसका उद्घाटन कार्यक्रम भी प्रभावित हुआ। अधिकारियों का कहना है कि अब इसे चुनाव के बाद ही जनता के उपयोग के लिए खोला जाएगा।

 महिला सम्मान निधि

दिल्ली सरकार ने महिला सम्मान निधि योजना की घोषणा की है। इसके तहत 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को हर माह 1,000 रुपये दिये जायेंगे। चुनाव के बाद योजना को अधिसूचित किया जाएगा। चुनाव के दौरान सभी कागजी प्रक्रिया पूर्ण कर ली जायेगी।  इसके पश्चात इसकी अधिसूचना जारी कर पहली किस्त सितंबर-अक्टूबर माह तक जारी की जा सकती है।

लोकसभा चुनाव की दिशा तय करने वाले 10 महारथी

आम चुनाव की घोषणा के साथ ही पार्टियों के दिग्गज नेता प्रचार की रणनीति में लग गए हैं। देश की राजनीति की दशा-दिशा तय करने वाले 10 प्रमुख नेताओं पर एक नजर-

नरेंद्र मोदी

लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए प्रयासरत प्रधानमंत्री मोदी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करने के प्रयास में हैं। 73 वर्षीय नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनने के लिए पूरे आत्मविश्वास के साथ चुनावी समर में उतर रहे हैं।

मल्लिकार्जुन खड़गे

राजनीति में 5 दशक के अनुभवी मल्लिकार्जुन खड़गे ने अक्तूबर 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष की कमान संभाली। पार्टी अध्यक्ष के तौर पर सबसे मुश्किल परीक्षा होगी।

नीतीश कुमार

लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर नीतीश कुमार ने पाला बदला है। 73 वर्षीय नेता का राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन(एनडीए) में जाना, 'इंडिया' गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ। उनके भाजपा के साथ जाने से बिहार में स्थिति परिवर्तित हो गई है।

तेजस्वी यादव

राजद नेता तेजस्वी यादव फिर से बिहार में विपक्ष में हैं, लेकिन 'इंडिया' गठबंधन में उनका कद बढ़ा है। 34 वर्षीय नेता ने बिहार में विपक्षी समूह का उत्साहपूर्वक नेतृत्व किया है।

राहुल गांधी

राहुल गांधी(पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष) को पार्टी वैचारिक मानती है। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो  यात्रा ने  उनकी छवि में बदलाव किया, इसका कितना प्रभाव चुनाव पर होगा यह समय बताएगा।

अमित शाह

भारतीय जनता पार्टी  के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह फिर अपनी पार्टी की रणनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। चाहे अनुच्छेद 370 को निरस्त करना हो या नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लागू करना, उन्होंने विपरीत परिस्थिति में सरकार को संभाला है।

ममता बनर्जी

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। वह पश्चिम बंगाल में बीजेपी के साथ अन्य दलों को कड़ी टक्कर देती हैं।

एम के स्टालिन

द्रमुक प्रमुख ने तमिलनाडु में अपना प्रभुत्व स्थापित किया है और दक्षिण के राज्यों में बीजेपी के खिलाफ विपक्ष की बड़ी ताकत हैं। स्टालिन से राज्य में विपक्षी गठबंधन को अहम चुनावी बढ़त दिलाने की आशा है।

शरद पवार

भतीजे अजित पवार से परेशान और धोखा खाने वाले 83 वर्षीय शरद पवार शायद अपने राजनीतिक करियर के अंतिम  पड़ाव में सबसे मुश्किल लडाई लड़ रहे हैं। कभी हार न मानने वाले पवार एनडीए के लिए कठिनाई खड़ी कर सकते हैं।

असदुद्दीन ओवैसी

एआईएमआईएम सुप्रीमो ने चुनावों में विपक्षी गठबंधन के लिए खेल बिगाड़ा है। क्या वह विपक्षी दलों या भाजपा का सियासी समीकरण बदल देंगे, यह देखना बेहद दिलचस्प होगा।

राजधानी दिल्ली में दो बार से बीजेपी का दबदबा

देश की राजधानी दिल्ली के वोटर्स सियासत के माहिर खिलाड़ी साबित हो रहे हैं। पिछले दो लोकसभा चुनाव में सभी 7 सीटें भाजपा को जबकि विधानसभा चुनाव में 90 फीसदी सीटें आप को देते रहे हैं।

इस चुनाव में कांग्रेस और आप ने गठबंधन कर लिया है, लेकिन पिछले दो चुनावों में दोनों पार्टियों को मिले वोटों का जोड़ भी बीजेपी के मतों के पार नहीं गया है। ऐसे में इस गठबंधन का कितना लाभ विपक्ष को होगा, यह कहना मुश्किल है। स्थानीय सांसदों के विरुद्ध किसी भी तरह के असंतोष से निपटने के लिए भाजपा पूर्व स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन समेत 4 सांसदों का टिकट काट चुकी है।

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