चीन पाकिस्तान सहित आधी दुनिया अग्नि 5 की जद में: एक साथ कई लक्ष्य भेदने और परमाणु हमले में सक्षम भारतीय दिव्यास्त्र, बड़ी उपलब्धि
चीन पाकिस्तान सहित आधी दुनिया अग्नि 5 की जद में

सार:

भारत ने सोमवार को मिशन दिव्यास्त्र का सफल परीक्षण किया। इसके तहत ऐसी अग्नि-5 मिसाइल तैयार की गई है जो एक साथ अनेक लक्ष्य भेदने में सक्षम है। पीएम मोदी ने इस सफलता के लिए डीआरडीओ के वैज्ञानिकों को बधाई भी दी।

विस्तृत खबर:

भारत ने सोमवार को मिशन दिव्यास्त्र का सफल परीक्षण किया। इसके तहत ऐसी अग्नि-5 मिसाइल तैयार की गई है, जो एक साथ अनेक लक्ष्य भेदने में सक्षम है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस सफलता के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों को बधाई दी। अग्नि-5 का यह एडिशन मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) टेक्नोलॉजी पर आधारित है। यह तकनीक अभी तक केवल ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, अमेरिका और चीन के पास थी। इस सफलता के साथ भारत छठा देश बन गया। 

एक बार में अनेक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम

मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) प्रोद्यौगिकी के तहत किसी मिसाइल में एक ही बार में अनेक परमाणु हथियारों को ले जाने की क्षमता होती है। इन हथियारों से अलग-अलग टारगेट को भेद सकते हैं।

अग्नि-5 ने सटीकता के साथ भेदे निशाने

अग्नि-5 भारत की पहली और एकमात्र इंटर कॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल है, जो एमआईआरवी प्रोद्यौगिकी से एक साथ अनेक लक्ष्य भेद सकती है। इस स्वदेशी तकनीक को डीआरडीओ ने तैयार किया है।

आइए जानते हैं इस मिसाइल की खूबी

*इस मिसाइल की रेंज 5,000 किलोमीटर है। अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल एक साथ अनेक हथियार ले जाने में सक्षम है।

*1.5 लाख टन तक न्यूक्लियर हथियार ले जा सकती है। इसकी गति 24 मैक है। यानि साउंड की स्पीड से 24 गुना अधिक।

*06 बार मिसाइल के सफल के परीक्षण हो चुके हैं। पहली परीक्षण 2012 में हुआ था। 

*मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) से सुसज्जित है। यानी एक साथ अनेक लक्ष्य के लिए लॉन्च की जा सकती है।

*लॉन्चिंग सिस्टम में कैनिस्टर तकनीक का उपयोग किया गया है। इस वजह से इस मिसाइल को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।

*इस्तेमाल भी आसान है, इसी कारण से देश में इसकी कहीं भी तैनाती की जा सकती है।

डॉ. कलाम द्वीप से हुआ परीक्षण

"मिशन दिव्यास्त्र" नामक यह उड़ान परीक्षण उड़ीसा के डॉ. एपीजे कलाम द्वीप से किया गया। अनेक टेलीमेट्री और रडार स्टेशनों ने कई प्रवेश वाहनों को ट्रैक और मॉनिटर किया। मिशन ने डिजाइन किए गए मापदंड को पूर्ण किया।

1970 में अमेरिका ने विकसित की थी तकनीक

मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) प्रोद्यौगिकी सर्वप्रथम विकसित की थी। 20 वीं सदी के अंत तक अमेरिका और सोवियत संघ(अब रूस) दोनों के पास एमआईआरवी से सुस्सजित अनेक इंटरकॉन्टिनेंटल और सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइलें थी।

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