यूपी: मुख्तार अंसारी पर हत्या, हत्या के प्रयास, धमकी, धोखाधड़ी और कई अन्य आपराधिक कृत्यों में कुल 65 मामले दर्ज हुऐ थे। इनमें से 18 मामले हत्या के थे। उसके खिलाफ उत्तर प्रदेश के लखनऊ, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, सोनभद्र, मऊ, आगरा, बाराबंकी तथा आजमगढ़ जिलों के अलावा नई दिल्ली और पंजाब में भी मुकदमे दर्ज थे। अंसारी के खिलाफ 2010 में कपिल देव सिंह की हत्या और 2009 में उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में मीर हसन नामक व्यक्ति की हत्या के प्रयास मामले में आरोप साबित हो चुके थे। वहीं अधिकांश मामलों सुनवाई चल रही थी।
देश में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान भले ही एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की हो किंतु मुख्तार का संबंध हमेशा से ही आपराधिक गतिविधियों से जुड़ा रहा। पहली बार मुख्तार ने अपराध की दुनिया में वर्ष 1988 में कदम रखा था। 25 अक्टूबर 1988 को आजमगढ़ के ढकवा के संजय प्रकाश सिंह उर्फ मुन्ना सिंह ने मुख्तार अंसारी के खिलाफ हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराया था। हालांकि, अगस्त 2007 में इस मामले में मुख्तार दोषमुक्त हो गया था।
1990 के दशक में मुख्तार अंसारी ने अपना गैंग बना लिया। उसने कोयला खनन, रेलवे जैसे कामों में 100 करोड़ का कारोबार खड़ा कर लिया। फिर वो गुंडा टैक्स, जबरन वसूली और अपहरण के धंधे में भी आ गया। उसका सिंडिकेट मऊ, गाजीपुर, बनारस और जौनपुर में एक्टिव था।
आपको बता दें कि पूर्वांचल में उस वक्त दो बड़े गैंग थे- ब्रजेश सिंह और मुख्तार अंसारी गैंग।
1990 में गाजीपुर में तमाम सरकारी ठेकों पर ब्रजेश सिंह गैंग ने कब्जा करना शुरू कर दिया था। इस दौरान उनका मुख्तार गैंग से सामना हुआ। यहीं से ब्रजेश सिंह से दुश्मनी शुरू हो गई। ब्रजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी के काफिले पर हमले भी कराए थे।
मुख्तार अंसारी के खिलाफ चर्चित केस