नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कल 4 शख्सियतों को मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया। इनमें पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह, पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर और कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वामीनाथन शामिल हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को 31 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनके घर जाकर उन्हें सम्मानित करेंगी।
गौरतलब है कि वे स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण सम्मान समारोह में नहीं आ सके। आडवाणी के घर प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा मौजूद रहेंगे।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित कल के कार्यक्रम में चारों शख्सियतों के परिजनों ने यह सम्मान हासिल किया। नरसिम्हा राव के बेटे पीवी प्रभाकर राव, चौधरी चरण सिंह के पोते जयंत चौधरी, कर्पूरी ठाकुर के बेटे रामनाथ ठाकुर और एमएस स्वामीनाथन की बेटी नित्या राव ने राष्ट्रपति से यह सम्मान लिया। आपको बता दें कि पिछले दिनों 5 व्यक्तियों को भारत रत्न देने की घोषणा हुई थी।
कर्पूरी ठाकुर:
कर्पूरी ठाकुर को जन नायक के नाम से जाना जाता है। ये वर्ष 1970-71 और वर्ष 1977-79 तक दो बार बिहार के 11वें मुख्यमंत्री रहें। ठाकुर ने सामाजिक न्याय और समावेशी विकास पर ज़ोर देते हुए हाशिए पर मौजूद समुदायों के अधिकारों की वकालत की। कर्पूरी ठाकुर ने बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशों को लागू कर अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आरक्षण का लाभ प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। उन्होंने एक अभूतपूर्व आरक्षण मॉडल प्रस्तुत किया, जिसमें OBC, आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (EBC), महिलाओं और उच्च जातियों के बीच आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिये विशिष्ट कोटे के साथ 26% आरक्षण आवंटित किया गया था।
मनकोम्बु संबासिवन (एम.एस.) स्वामीनाथन:
स्वामीनाथन ने नॉर्मन बोरलॉग के साथ उच्च उपज देने वाली गेहूँ और चावल की किस्में विकसित कीं, जिससे वर्ष 1960 से 70 के दशक में भारत में कृषि में क्रांति हुई। वस्तुतः भारत की हरित क्रांति के जनक के रूप में विख्यात एम.एस. स्वामीनाथन ने भारत को कृषि में आत्मनिर्भर बनने के साथ आधुनिक बनाया। स्वामीनाथन ने राष्ट्रीय किसान आयोग का नेतृत्व करते हुए कृषि उपज के लिये उचित मूल्य और धारणीय कृषि पद्धतियों की वकालत की।
उन्होंने पौधों में विविधता और कृषक अधिकार संरक्षण अधिनियम, 2001 को विकसित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वामीनाथन को कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्राप्त हुए जिनमें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार, रेमन मैग्सेसे पुरस्कार, पद्मश्री (1967), पद्म भूषण (1972) पद्म विभूषण (1989) जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार शमिल हैं।
पामुलपर्थी वेंकट (पी.वी.) नरसिम्हा राव:
पी. वी. नरसिम्हा राव वर्ष 1991 से 1996 तक भारत के प्रधानमंत्री रहें।
उन्होंने अपनी परमाणु रणनीति को आगे बढ़ाने के भारत के अधिकार को छोड़ने से इनकार करके राष्ट्रीय स्वतंत्रता को बनाए रखा। इन्हीं के कार्यकाल में वर्ष 1991 के LPG सुधारों के बाद अर्थव्यवस्था को वैश्वीकरण के लिये खोल दिया गया, व्यापार बाधाओं को कम किया गया और कई उद्योगों में निजीकरण शुरू किया गया।
73वें और 74वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम का क्रियान्वयन पी.वी.नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान ही हुआ था।
चौधरी चरण सिंह:
स्वतंत्रता सेनानी चौधरी चरण सिंह ने भारत के 5वें प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वर्ष 1952 में कृषि मंत्री के रूप में उन्होंने ज़मींदारी प्रथा को खत्म करने में उत्तर प्रदेश का नेतृत्व किया। इन्हें किसानों का हितैसी माना जाता था।
ब्रिटिश सरकार से स्वतंत्रता के लिये चौधरी चरण सिंह ने महात्मा गांधी का पूर्ण रूप से अनुसरण किया और कई बार जेल गए।
लालकृष्ण आडवाणी:
आडवाणी ने भारत के 7वें उप प्रधानमंत्री तथा वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से सबसे लंबे समय तक के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।
आडवाणी को व्यापक रूप से प्रबल बौद्धिक क्षमता, प्रभावशील सिद्धांतों और एक सशक्त तथा समृद्ध भारत के विचार के प्रति अटूट समर्थन वाले व्यक्ति के रूप में माना जाता है।
कब हुई भारत रत्न देने की शुरूआत?
भारत रत्न को देश के सबसे बड़े पुरस्कार के रूप में देने की शुरुआत 2 जनवरी, 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने की थी। देश का पहला सर्वोच्च सम्मान भारत के पहले गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी, पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन और वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रशेखर वेंकट रमन को 1954 में दिया गया था।
1954 तक ये सम्मान केवल जीवित रहते हुए ही दिया जाता था, लेकिन 1955 में इसमें संशोधन किया गया और मरणोपरांत भी भारत रत्न दिये जाने का प्रावधान जोड़ा गया।
किन्हें दिया जाता है भारत रत्न?
भारत रत्न कला, साहित्य, विज्ञान, सार्वजनिक सेवा और खेल आदि किसी भी क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए दिया जाता है, जिससे देश का गौरव बढ़ा हो। हालांकि वर्ष 2011 में इसमें संशोधन किया गया।अब इसके लिए कोई क्षेत्र निर्धारित नहीं है।
भारत रत्न के लिए चुनने की प्रक्रिया
भारत रत्न सम्मान के लिए चुने जाने की प्रक्रिया पद्म पुरस्कारों के विपरीत किसी औपचारिक नामांकन प्रक्रिया के अधीन नहीं है।इसमें देश के प्रधानमंत्री किसी भी व्यक्ति को पुरस्कार के लिए नामित कर सकते हैं।इसके अलावा, मंत्रिमंडल के सदस्य, राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी प्रधानमंत्री को सिफारिशें भेज सकते हैं।इन सिफारिशों पर विचार किया जाता है और अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है। राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद इस पुरस्कार के लिए नाम घोषित किए जाते है।