भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद दुष्यंत चौटाला की पार्टी जजपा आई बिखराव के कगार पर: क्या फिर से एक साथ आएंगे इनेलो और जजपा?
भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद दुष्यंत चौटाला की पार्टी  जजपा आई बिखराव के कगार पर

हरियाणा राज्य में भारतीय जनता पार्टी के साथ साढ़े चार साल तक सरकार को चलाने वाली जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) अब एकदम बिखराव की ओर बढ़ती जा रही है। जेजेपी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह, साथ ही राष्ट्रीय महासचिव कमलेश सैनी और उनके साथ पूर्व विधायक सतविंदर राणा के पार्टी छोड़ने के बाद अब कई सारे मौजूदा विधायक भी दल-बदल करने को तैयार बैठे हैं।


जानिए किस तरह इनेलो से टूटकर बनी थी जजपा

आपको बता दें की पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) में टूट फूट के बाद जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) का एक तरह से जन्म हुआ था। इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के बड़े बेटे अजय चौटाला और साथ में पोते दुष्यंत चौटाला जेजेपी पार्टी के संस्थापक नेताओं में शामिल हैं, जबकि उनके छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला के हाथों में इनेलो पार्टी की बागडोर है।

जजपा ने आम आदमी पार्टी के साथ लड़ा था लोकसभा चुनाव

इनेलो पार्टी से अलग होने के बाद जेजेपी ने साल 2019 के अंदर आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन के साथ में लोकसभा का चुनाव लड़ा था। जहां पर जेजेपी ने सात और आम आदमी पार्टी ने तीन लोकसभा सीटों पर अपने अपने उम्मीदवार उतारे थे लेकिन हरियाणा में कांग्रेस, आप, जेजेपी और इनेलो के सभी प्रत्याशियों को मात देते हुए भाजपा ने सभी 10 की 10 लोकसभा सीटों पर अपनी जबरदस्त जीत हासिल की थी।

जजपा को विधान सभा चुनाव के अंदर मिली थीं 10 सीटें

2019 के अंदर ही हुए विधानसभा के चुनाव में जेजेपी ने 10 सीटों पर जीत हासिल करते हुए भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाई और तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ दुष्यंत चौटाला को डिप्टी सीएम बनाया गया। इन साढ़े चार सालों के कार्यकाल में जेजेपी के आधे से ज्यादा दर्जन विधायक न केवल भाजपा के रंग में घुल गए, बल्कि मौका मिलने पर किसी भी वक्त भगवा चोला धारण करने को तैयार भी बैठे हैं। वहीं पर कुछ विधायक कांग्रेस के साथ अपनी अपनी पींगें बढ़ा रहे हैं। ऐसे हालात में उन्हें जहां फायदा नजर आएगा, उस दल में कूद जाएंगे।

किसी भी वक्त बदल सकते ये नेता अपना पाला 

बता दें की भाजपा और जेजेपी का गठबंधन टूट जाने के बाद मुख्यमंत्री नायब सैनी और पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जेजेपी में एक जबरदस्त तरीके से अपनी सेंधमारी की। इसका असर भी यह हुआ कि जेजेपी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष निशान सिंह के साथ साथ कई और दूसरे नेता भी दुष्यंत चौटाला का साथ छोड़ चुके हैं।

वहीं पर जेजेपी के 10 विधायकों में शामिल पूर्व पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली, रामकुमार गौतम, रामनिवास सुरजाखेड़ा, चौधरी ईश्वर सिंह और जोगी राम सिहाग किसी भी वक्त अपना दल बदल कर सकते हैं। देवेंद्र बबली बहुत पहले से ही मनोहर लाल खट्टर के भरोसे में हैं।

देखिए दुष्यंत चौटाला ने क्या लिखा

जेजेपी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के नाते पूर्व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के द्वारा अपनी पार्टी के नाराज हुए पड़े नेताओं को मनाने के सभी के सभी प्रयास फेल हो चुके हैं। वहीं पर भाजपा और जजपा गठबंधन के सूत्रधार रहे कैप्टन मीनू बैनीवाल भी अब कल भाजपा में शामिल होने वाले हैं। इससे निराश होकर दुष्यंत चौटाला को अपने एक्स हैंडल पर यह लिखना पड़ा कि जब जंग अपनों से ही हो तो हार जाना बेहतर होता है।

क्या एक बार फिर से एक होंगे जजपा और इनेलो?

बता दें की इनेलो के प्रधान महासचिव अभय चौटाला और जेजेपी पार्टी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष के नाते दुष्यंत चौटाला के बीच एकदम छत्तीस का आंकड़ा है। दोनों के दोनों ही ताऊ देवीलाल की राजनीतिक विरासत के दावेदार बनते हैं। बदलती हुई परिस्थितियों में जेजेपी अध्यक्ष अजय चौटाला ने इस तरह के संकेत दिए कि यदि इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला अगर चाहें तो इनेलो और जेजेपी पार्टी फिर से एक हो सकते हैं, लेकिन पिछले साढ़े चार साल तक सत्ता का सुख भोगने के बाद जेजेपी पार्टी को इनेलो के साथ जोड़ने के लिए अभय चौटाला बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं।

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