नई दिल्ली। हरीश साल्वे समेत देश के 600 से अधिक वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर एक विशेष समूह की ओर से अदालती फैसलों को प्रभावित करने और बदनाम करने की कोशिश पर चिंता जताई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वकीलों की चिंता को लेकर कांग्रेस पर तीखा निशाना साधा। पीएम मोदी ने कहा, डराना-धमकाना और धौंस जमाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। देश की जगह स्वार्थ के लिए प्रतिबद्धता के चलते 140 करोड़ देशवासी इन्हें लगातार खारिज कर रहे हैं।
बार काउंसिल के चेयरपर्सन मनन कुमार मिश्रा, वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे, चेतन मित्तल, अदीश अग्रवाल, पिंकी आनंद, उज्ज्वला पवार, हितेश जैन और उदय हॉल्ला समेत प्रमुख वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ को खतरे में न्यायपालिका- राजनीतिक और व्यावसायिक दबाव से न्यायपालिका की रक्षा शीर्षक से पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि निहित स्वार्थ वाले लोगों का समूह न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है। ऐसा खासतौर से नेताओं के भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में हो रहा है। इन स्वार्थियों की रणनीति हमारी अदालतों को नुकसान पहुंचा रही है। लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डाल रही है। इस कठिन दौर में सीजेआई का नेतृत्व अहम है। शीर्ष कोर्ट को सख्ती से खड़ा होना चाहिए, अदालतों को बदनाम होने से बचाना चाहिए।
पहले आरोप लगाओ, फिर कोर्ट में बचाव करो
पत्र में वकीलों ने लिखा कि कितना अजीब है कि राजनेता किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हैं फिर उसी का कोर्ट में बचाव करते हैं और यदि कोर्ट का फैसला उनके अनुकूल नहीं आता है, तो कोर्ट के अंदर और मीडिया के जरिये अदालत की आलोचना करते हैं। ऐसा दोगला व्यवहार हमारी कानूनी व्यवस्था के प्रति आम आदमी के मन में सम्मान के लिए खतरनाक है।
सियासत भी गरमाई
न्यायपालिका पर हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री नहीं जानते होंगे, लेकिन न्यायपालिका पर उनका इस तरह टिप्पणी करना उचित नहीं है। खरगे ने आरोप लगाया कि पीएम देश की संस्थाओं को निजी संपत्ति समझते हैं।
भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा, कांग्रेस, आप जैसे दलों से जुड़े वकील न्यायपालिका पर दबाव डालते हैं। बिना सबूत के जजों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करते हैं, जो चिंताजनक है।
वकीलों ने कहा, यह सम्मानजनक चुप्पी का समय नहीं है। पत्र में किसी विशिष्ट मामले का उल्लेख नहीं है, पर यह ऐसे समय में आया है, जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक मामलों को निपटा रही हैं।
डराना और धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति:पीएम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वकीलों के पत्र को टैग करते हुए एक्स पर पोस्ट में कहा, 'डराना और धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है। पाँच दशक पहले उन्होंने प्रतिबद्ध व्ययपालिका का आह्वान किया था अपने स्वार्थी की पूर्ति के लिए वे बेशर्मी से दूसरों से तो प्रतिबद्धता चाहते हैं, लेकिन देश के प्रति किसी भी प्रतिबद्धता से बचते हैं। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें नकार रहे हैं।'
मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी पर किया पलटवार
पलटवार करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर लिखा- 'प्रधानमंत्री मोदी, आप न्यायपालिका के बारे में बात कर रहे हैं। आप यह भूल गए कि सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों को अभूतपूर्व प्रेस कान्फ्रेंस करने और लोकतंत्र के खात्मे के विरुद्ध चेतावनी देने पर मजबूर होना पड़ा था। यह आपके शासनकाल में हुआ था। एक जज को आपकी सरकार ने राज्यसभा में नामित किया था। इसलिए कौन प्रतिबद्ध न्यायपालिका चाहता है।