लखनऊ: लोकसभा चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न दल चुनावी प्रचार के साथ-साथ टिकटों एवम् प्रत्याशियों का भी समीकरण बैठाने में लगे हुए हैं। इसी क्रम में अटल बिहारी वाजपेई की सीट कहे जाने वाले लखनऊ संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पर भरोसा जताया है।
गौरतलब है कि राजनाथ सिंह लखनऊ संसदीय क्षेत्र से तीसरी बार मैदान में उतरेंगे। इससे पहले वे 2014 एवम् 2019 के चुनावों में जीत हासिल करके संसद पहुंचे थे। ऐसे में यह कयास लगाया जा रहा है कि क्या वे अपनी जीत की हैट्रिक पूरा कर पाएंगे या नहीं?
लखनऊ सीट पर राजनाथ का मुकाबला इंडिया गठबंधन से समर्थित सपा के नेता रविदास मेहरोत्रा से है हालांकि बसपा ने अभी अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से जीत की हैट्रिक लगाने के लिए चुनाव मैदान में उतरेंगे। गत पांच साल में राजनाथ सिंह ने लखनऊ को कई बड़ी सौगातें दी हैं। विश्वस्तरीय गोमतीनगर रेलवे स्टेशन, आउटर रिंग रोड, कई पुल, फ्लाईओवर, सड़कें और विकास की दर्जनों योजनाओं को आगे बढ़ाने का कार्य किया।
राजनाथ के प्रतिनिधि दिवाकर त्रिपाठी ने कहा कि चुनाव जीतने के बाद इंफ्रास्ट्रक्चर और मूलभूत सुविधाओं को बेहतर करने पर तो बल रहेगा ही, युवाओं और महिलाओं को शहर में ही नौकरियों के अधिक से अधिक अवसर मिले, इस पर काम होगा।
युवाओं को आइटी, फार्मा, डिफेंस और अन्य क्षेत्रों में रोजगार की तलाश में बाहर नहीं जाना पड़ेगा।
देश के वर्तमान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ सीट पर पहली बार 2014 में किस्मत आजमाई थी जिसमें उन्हें बड़ी सफलता मिली। दूसरी बार 2019 में भी उन्होंने यहां 3 लाख, 47 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की थी। हालांकि इस बार उनके सामने इंडिया गठबंधन ने समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता रविदास मेहरोत्रा को उतारा है।
गौरतलब है कि रविदास ने साल 2022 में मोदी-योगी लहर के बावजूद लखनऊ मध्य सीट से विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। वे साल 2012 से इस सीट पर जीतते रहे हैं। हालांकि 2017 में प्रदेश में कैबिनेट मंत्री होने के बावजूद वे यहां से हार गए थे। ऐसे में अब उन्हें पार्टी ने राजनाथ सिंह की हैट्रिक तोड़ने का मिशन दिया है। ये सीट कांग्रेस के लिए भी दु:खती रग रही है। यहां आखिरी बार 1984 में उसने जीत दर्ज की थी जिसके बाद उसने यहां से डॉ करण सिंह, रीता बहुगुणा जोशी और प्रमोद कृष्णन जैसे उम्मीदवार उतारे लेकिन सभी यहां विफल रहे। सवाल ये है कि क्या इस बार INDIA गठबंधन की संयुक्त ताकत राजनाथ का विजय रथ रोक सकेगी।
लखनऊ लोकसभा क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें आती हैं जो हैं- लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तरी, लखनऊ पूर्वी, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट। 2019 में हुए चुनाव के मुताबिक यहां कुल 19.37 लाख वोटर हैं जिसमें पुरुष मतदाता लगभग 11 लाख और महिला मतदाताओं की संख्या 9 लाख से अधिक है। लखनऊ के जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां करीब 71 फीसदी आबादी हिंदू है। इसमें से भी 18 फीसदी आबादी राजपूत और ब्राह्मण हैं। यहां ओबीसी समुदाय की आबादी 28 फीसदी और मुस्लिम वोटरों की संख्या 18 फीसदी है। साल 2022 में हुए चुनाव में पांच विधानसभा सीटों में से 3 पर बीजेपी को जीत मिली थी।
लखनऊ ने 1952 में हुए पहले चुनाव में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की बहन विजय लक्ष्मी पंडित को अपना सांसद चुना था। इसके बाद 1962 तक यहां से कांग्रेस ही जीतती रही। पहली बार 1967 में उर्दू के मशहूर कवि आनंद नारायण मुल्ला यहां से स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर जीत कर संसद पहुंचे। हालांकि 1971 में शीला कौल ने फिर से इस सीट पर कांग्रेस का परचम लहरा दिया। शीला कौल के बाद इस सीट पर जनता पार्टी के बड़े नेता और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवंती नंदन बहुगुणा ने जीत हासिल की। इस सीट पर अब तक 18 बार आम चुनाव हुए हैं जिसमें से 7 बार कांग्रेस और 8 बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है।
यहां सबसे लंबे समय तक यानी 5 बार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने जीत दर्ज की है। वे 1991 से लेकर 2004 तक यहां से सांसद रहे हैं।अटल जी के समय से ही ये सीट बीजेपी का गढ़ बन गई और इसे अटल जी की सीट के नाम से जाना जाने लगा।