गढ़ ब्रजघाट: उत्तर प्रदेश से कटकर उत्तराखंड बनने के बाद तीर्थ नगरी हरिद्वार प्रदेश का हिस्सा नहीं रही। उसके बाद सरकार ने ब्रजघाट को छोटा हरिद्वार के रूप में विकसित कर प्रमुख तीर्थ स्थल बनाने की घोषणा की। वर्ष 2005 में योजना तैयार की गई, लेकिन आकांक्षा के अनुरूप काम शुरू नहीं हो सका।
वर्ष 2017 में सरकार ने 100 करोड़ रुपये की लागत से कार्ययोजना तैयार की, जिसमें से कुछ योजनाओं पर काम भी आरंभ हुआ, लेकिन आकांक्षा फिर निराशा में बदल गई। महज 20 करोड़ से ही विकास कार्य हो सके हैं, हालांकि वे भी रखरखाव के अभाव में जर्जर हो रहे हैं।
वैदिक सिटी और हैगिंग पुल बनने के साथ ही आदर्श रेलवे स्टेशन और अंतर्राज्यीय बस अड्डे का निर्माण किया जाना था। कई दलों की सरकारें आई और गई, लेकिन विकास की दहलीज पर खड़ा व्रजघाट आज भी छोटा हरिद्वार बनने की वाट जोह रहा है। लोगों की आकांक्षा है कि इस दिशा में गंभीरता से प्रयास किए जाएं।
आइए जानते हैं ब्रजघाट पर अभी तक कराए गए विकास कार्यों का खाका:
ब्रजघाट में सिंचाई विभाग ने गेस्ट हाउस, भोगापुर में एम्यूजमेंट पार्क, लेजर शो फव्वारा को 20 करोड़ से तैयार किया है। कई साल से उनका उद्घाटन तक नहीं हुआ है। यहां 100 करोड़ से 11 बड़ी परियोजनाओं पर काम होना है। मल्टीलेवल कार पार्किंग, घाटों के सुंदरीकरण, प्रवेश द्वार, ग्रेनाइट पत्थरों का कार्य, ब्रजघाट की चारदीवारी को राजस्थान के पत्थरों से तैयार किया जा रहा है।
घाटों के सुंदरीकरण के साथ ही पांच करोड़ से फेसिंग लाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है। इससे घाट और ब्रजघाट परिसर रंग-बिरंगी रोशनी और पत्थरों से चमचमाते हुए नजर आएंगे। हर की पौड़ी पर गंगा के बीच में ही प्लेटफार्म बना है। वहीं गंगा आरती का कार्यक्रम संपन्न होता है। ऐसी व्यवस्था ब्रजघाट पर भी की गई है। गढ़ और ब्रजघाट को 24 घंटे बिजली देने की योजना है।
पर्यटन केंद्र बनाने की घोषणा को बीते 2 दशक:
प्रमुख गंगा नगरी गढ़-ब्रजघाट को तीर्थ स्थल और पर्यटन 2017 केंद्र के रूप में विकसित करना योगी सरकार की प्राथमिकताओं में रहा। पांच जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ब्रजघाट को उत्तर प्रदेश का हरिद्वार बनाने की घोषणा गंगातट से की थी। यहाँ पर 2005 से रुका हुआ विकास का कार्य तेजी से आरंभ किया गया। अब इंवेस्टर्स समिट के माध्यम से जिला प्रशासन ने गढ़ को टूरिज्म के रूप में विकसित करने की निवेशकों के साथ चर्चा की है।
देश-विदेश के निवेशकों ने इसमें रुचि भी दिखाई है। जिला प्रशासन को अकेले गढ़ टूरिज्म के लिए तीन हजार करोड़ के प्रस्ताव मिले हैं। इस निवेश से गढ़मुक्तेश्वर में डेस्टिनेशन वेडिंग रिसोर्ट, होटल, रिसोर्ट, प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए बिजनौर से नरौरा के बीच गंगा में रहने वाली डाल्फिन को आर्कषण का केंद्र बनाने के लिए डाल्फिन वाच बनाई जाएगी। इसका बोटिंग के माध्यम से टूरिस्ट आनंद उठा सकेंगे, अब इन योजनाओं के सिरे चढ़ने का इंतजार है।
साल 2017 में सीएम योगी आदित्यनाथ ने ब्रजघाट को उत्तर प्रदेश का हरिद्वार बनाने की घोषणा गंगातट से की थी। 20 करोड़ रुपये की लागत से ही विकास कार्य हो सके हैं, हालांकि वे भी रखरखाव के अभाव में जर्जर हो रहे हैं। 100 करोड़ की योजनाओं में से अभी तक मात्र 20 करोड़ रुपये से ही विकास हुए हैं।
इन विकास योजनाओं की है तैयारी:
गंगा पर आने वाले पक्षियों को प्राकृतिक वन्य वातावरण उपलब्ध कराना है। धार्मिक आयोजनों के विशेष स्थान, अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित घाट , मल्टीलेवल पार्किंग बननी है। वहीं बोटिंग गेस्ट हाउस और होटल, बटरफ्लाई पार्क, वाइल्ड लाइफ पार्क, ईको टूरिज्म पर काम किया जाना है। वैदिक सिटी, गंगा पर हैंगिंग पुल, ब्रजघाट में इलेक्ट्रिक शवदाह गृह, वैदिक यूनिवर्सिटी, अंतरराज्यीय बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, संग्रहालय और प्राचीन मंदिरों को जीर्णोद्धार होना है।
शार्ट फिल्म में गढ़-गंगा का इतिहास देखकर निवेशकों में दिखा उत्साह:
डिस्ट्रिक इंवेस्टर्स समिट में देश-विदेश के इंवेस्टर शामिल हुए थे। जिला प्रशासन ने उनको 12 मिनट 21 सेकंड की गढ़मुक्तेश्वर पर आधारित शार्ट फिल्म दिखाई। उसे देखने के बाद कई निवेशकों ने तीर्थनगरी में निवेश करने की इच्छा जताई। विधानसभा व लोकसभा चुनावों में हर बार प्रत्याशी गंगानगरी की तस्वीर बदलने की बात कहते हैं।
सचिव-गंगा आरती महासभा व्रजघाट विष्णु नागर ने बताया कि ब्रजघाट का विकास हरिद्वार की तर्ज पर किया जाना था। इनमें से कुछ कार्य किए गए, लेकिन कई महत्वपूर्ण कार्यों पर काम ही आरंभ नहीं हुआ है। विकास कार्यों में लगातार हो रहे विलंब से मिनी हरिद्वार की परिकल्पना अधर में लटकी है।
इनका कार्य तो शुरू ही नही हुआ:
अस्थि विसर्जन घाट की स्थापना की जानी है, इसका आरंभ नहीं हुआ है।
महिला स्नानघाट बनाया जाना है, अभी इसका नक्शा तक नहीं बना है।
महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम बनाना है, जो दो-तीन बने हैं, उन पर अतिक्रमण है।
फव्वारे के लिए बिजली का कनेक्शन तक प्रशासन नहीं करा पाया है।
बजघाट जाम के लिए जाना जाता है, इसके समाधान की योजना ही तैयार नहीं है।